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ड्रोन नियमावली-2021 उदार बनाई गई

भारत में 2030 तक वैश्विक ड्रोन केंद्र बनने की संभावना

मोदी सरकार ड्रोन प्रोत्साहन परिषद की भी स्थापना करेगी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 26 August 2021 06:17:06 PM

drone rules-2021 went made generous

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ड्रोन संबंधी नए नियमों से भारत में इस क्षेत्र केलिए एक ऐतिहासिक क्षण की शुरुआत हो गई है। उन्होंने कहा कि ड्रोन संबंधी नए नियमों से स्टार्ट-अप्स के साथ-साथ इस सेक्‍टर में काम करने वाले युवाओं को भी काफी मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये नियम विश्वास और स्व-प्रमाणन की अवधारणा पर आधारित हैं, इसके तहत अनुमोदन एवं अनुपालन से संबंधित आवश्यकताओं और इस क्षेत्र में प्रवेश करने संबंधी बाधाओं को काफी हद तक कम कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इससे नवाचार और कारोबार केलिए संभावनाओं के नए द्वार खुल जाएंगे, इससे भारत को एक ड्रोन हब बनाने के लिए नवाचार, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग में भारत की विशिष्‍ट क्षमताओं का व्‍यापक उपयोग करने में काफी मदद मिलेगी। भारत सरकार विकासोन्मुखी नियामक व्यवस्था को सुगम बनाने केलिए शिक्षा जगत, स्टार्टअप्‍स और हितधारकों की भागीदारी के साथ ड्रोन प्रोत्साहन परिषद की भी स्थापना करेगी।
नागर विमानन मंत्रालय ने मार्च 2021 में यूएएस नियमावली-2021 प्रकाशित की थी, जिसे शिक्षाविदों, स्‍टार्टअप्‍स, एंड-यूजर्स और अन्‍य हितधारकों ने स्‍वाभाविक रूपसे प्रतिबंधात्‍मक माना था, क्‍योंकि इनमें अधिक कागजी कार्रवाई की जरूरत थी और ड्रोन की प्रत्‍येक उड़ान के लिए कई अनुमति लेने की जरूरत के साथ-साथ बहुत कम ‘फ्री टू फ्लाई’ ग्रीन जोन उपलब्‍ध थे। इनके बारे में प्राप्‍त फीडबैक के आधार पर सरकार ने यूएएस नियमावली-2021 को रद्द करके उसकी जगह उदार ड्रोन नियमावली-2021 लागू करने का निर्णय लिया है। मानवरहित विमान प्रणाली को आमतौर पर ड्रोन के रूपमें जाना जाता है, यह प्रणाली अर्थव्‍यवस्‍था के लगभग सभी क्षेत्रों जैसे-कृषि, खनन, बुनियादी ढांचा, निगरानी, आपातकालीन प्रतिक्रिया, परिवहन, भू-स्थानिक मानचित्रण, रक्षा और कानून लागू करने के बारे में अधिक लाभों का प्रस्‍ताव करती है। ड्रोन अपनी पहुंच, प्रतिभा, सरल उपयोग के कारण विशेष रूपसे भारत के दूर-दराज तथा दुर्गम क्षेत्रों में रोज़गार और आर्थिक विकास केलिए महत्‍वपूर्ण योगदान प्रदान कर सकते हैं। नवाचार, सूचना प्रौद्योगिकी, मितव्ययी इंजीनियरिंग में अपनी परंपरागत मजबूती और व्‍यापक घरेलू मांग को देखते हुए भारत में वर्ष 2030 तक वैश्विक ड्रोन केंद्र बनने की संभावना है।
ड्रोन नियमावली-2021 की प्रमुख विशेषताएं हैं-यह विश्‍वास, स्व-प्रमाणन और बिना दखल देने वाली निगरानी के आधार पर निर्मित है। सुरक्षा और संरक्षा विचारों को संतुलित रखते हुए सुपर-नॉर्मल विकास के युग में प्रवेश करने के लिए तैयार किया गया है। अनेक अनुमोदन समाप्‍त कर दिए गए हैं जैसे-विशिष्‍ट प्राधिकार संख्‍या, विशिष्‍ट प्रोटोटाइप पहचान विनिर्माण और उड़ान योग्यता का प्रमाण पत्र, अनुरूपता का प्रमाण पत्र, रखरखाव का प्रमाणपत्र, आयात मंजूरी, मौजूदा ड्रोनों की स्वीकृति, ऑपरेटर परमिट, अनुसंधान एवं विकास संगठन का प्राधिकार, छात्र रिमोट पायलट लाइसेंस, रिमोट पायलट प्रशिक्षक प्राधिकार, ड्रोन बंदरगाह प्राधिकार आदि। प्रपत्रों की संख्या 25 से घटाकर 5 कर दी गई हैं, 72 प्रकार के शुल्‍कों की संख्‍या घटाकर 4 कर दी गई हैं। शुल्क की मात्रा को घटाकर नाममात्र स्तर पर कर दिया गया है, जिनका ड्रोन के आकार के साथ कोई संबंध नहीं रहा है, उदाहरण केलिए रिमोट पायलट लाइसेंस शुल्क जो बड़े ड्रोन के लिए 3000 रुपये था, उसे सभी श्रेणियों केलिए घटाकर 100 रुपये कर दिया गया है, जो 10 साल केलिए वैध रहेगा।
डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म को उपयोगकर्ता के अनुकूल सिंगल विंडो सिस्टम के रूपमें विकसित किया जाएगा, इसमें न्यूनतम मानव इंटरफेस होगा और अधिकांश अनुमति स्व:जनित होंगी। इस नियमावली के प्रकाशन के 30 दिन के अंदर डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर हरे, पीले और लाल क्षेत्रों के साथ इंटरएक्टिव एयरस्‍पेस नक्शा प्रदर्शित किया जाएगा। ग्रीन जोन में ड्रोन के परिचालन केलिए किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। ग्रीन जोन का अर्थ है 400 फीट या 120 मीटर की ऊर्ध्वाधर दूरी तक का हवाई क्षेत्र है जिसे एयरस्‍पेस नक्‍शे में लाल क्षेत्र या पीले क्षेत्र के रूपमें नामित नहीं किया गया है और एक परिचालन हवाई अड्डे की परिधि से 8 और 12 किलोमीटर की पार्श्व दूरी के बीच स्थित क्षेत्र से 200 फीट या 60 मीटर की ऊर्ध्वाधर दूरी के ऊपर का हवाई क्षेत्र। पीले जोन के हवाई अड्डे की परिधि के 45 किलोमीटर से घटाकर 12 किलोमीटर तक कर दिया गया है। माइक्रो ड्रोंस (गैर-व्यावसायिक उपयोग केलिए) और नैनो ड्रोन केलिए रिमोट पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है। किसी भी लाइसेंस को जारी करने से पहले सुरक्षा मंजूरी की कोई आवश्यकता नहीं होगी। ग्रीन जोन में अपने या किराए के परिसर में ड्रोन का संचालन करने वाली अनुसंधान एवं विकास संस्‍थाओं को टाइप सर्टिफिकेट, विशिष्ट पहचान संख्या और रिमोट पायलट लाइसेंस की कोई जरूरत नहीं है।
भारतीय ड्रोन कंपनियों में विदेशी स्वामित्व के बारे में कोई प्रतिबंध नहीं है। ड्रोन का आयात डीजीएफटी नियंत्रित होगा, डीजीसीए से आयात मंजूरी की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है। ड्रोन नियमावली-2021 के तहत ड्रोन का कवरेज 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम कर दिया गया है, इसमें ड्रोन टैक्सियां भी शामिल होंगी। डीजीसीए ड्रोन प्रशिक्षण जरूरतों का निर्धारण करेगा, ड्रोन स्कूलों की निगरानी करेगा और ऑनलाइन पायलट लाइसेंस भी उपलब्‍ध कराएगा। डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म से अधिकृत ड्रोन स्कूल से रिमोट पायलट सर्टिफिकेट प्राप्त करने के 15 दिन के अंदर डीजीसीए रिमोट पायलट लाइसेंस जारी कर देगा। क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया या अधिकृत परीक्षण संस्थाएं टाइप सर्टिफिकेट जारी करने केलिए ड्रोन का परीक्षण करेंगी। टाइप सर्टिफिकेट की आवश्यकता तभी होगी, जब ड्रोन भारत में परिचालित किया जाएगा। केवल निर्यात केलिए ड्रोन के आयात और विनिर्माण को टाइप प्रमाणन और विशिष्ट पहचान संख्या से छूट दी जाएगी। नैनो और मॉडल ड्रोन (अनुसंधान या मनोरंजन के उद्देश्य से बने) को टाइप प्रमाणीकरण से छूट दी गई है।
निर्माता और आयातकर्ता स्व-प्रमाणन मार्ग के माध्यम से डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर अपने ड्रोन की विशिष्ट पहचान संख्या का सृजन कर सकते हैं। डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म से ड्रोन के हस्तांतरण और पंजीकरण को रद्द करने केलिए एक आसान प्रक्रिया निर्दिष्ट की गई है, 30 नवम्‍बर 2021 को या उससे पहले भारत में मौजूद ड्रोन को डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म से एक विशिष्ट पहचान संख्या जारी की जाएगी, बशर्ते उनके पास एक डीएएन, एक जीएसटी-भुगतान बिल हो और ड्रोन डीजीसीए अनुमोदित ड्रोन की सूची का हिस्सा हो। उपयोगकर्ताओं की स्व-निगरानी केलिए डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर डीजीसीए की मानक परिचालन प्रक्रिया और प्रशिक्षण प्रक्रिया नियमावली निर्धारित की जाएगी। जबतक निर्धारित प्रक्रियाओं से महत्वपूर्ण रवानगी न हो, तब तक किसी प्रकार के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है। नियमों के उल्लंघन पर अधिकतम जुर्माने की राशि को घटाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है। भविष्य में नो परमिशन-नो टेकऑफ, रीयल-टाइम ट्रैकिंग बीकन, जियो-फेंसिंग आदि जैसी सुरक्षा और संरक्षा सुविधाओं को अधिसूचित किया जाएगा, इसके अनुपालन के लिए उद्योग को छह महीने का समय दिया जाएगा। कार्गो डिलीवरी केलिए ड्रोन कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे। 

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