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Saturday 18 September 2021 03:46:29 PM
दुशांबे/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के प्रमुखों की परिषद की 21वीं बैठक और अफगानिस्तान पर संयुक्त एससीओ-सीएसटीओ आउटरीज सेशन में वीडियो संदेश के माध्यम से भाग लिया। एससीओ सदस्य देशों के प्रमुखों की परिषद की 21वीं बैठक हाइब्रिड प्रारूप में दुशांबे में हुई, जिसकी अध्यक्षता ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति एमोमी रहमान ने की। दुशांबे में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर एससीओ क्षेत्र में बढ़ती कट्टरता और उग्रवाद के कारण आ रही समस्याओं पर प्रकाश डाला, जो उदार और प्रगतिशील संस्कृतियों एवं मूल्यों के गढ़ के रूपमें एससीओ क्षेत्र के इतिहास के विपरीत है। उन्होंने सुझाव दिया कि एससीओ संयम और वैज्ञानिक एवं तर्कसंगत विचार को प्रोत्साहन देने के एजेंडे पर काम कर सकता है, जो विशेष रूपसे क्षेत्र के युवाओं केलिए प्रासंगिक होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास कार्यक्रमों में डिजिटल तकनीकों के उपयोग के भारत के अनुभव पर बात की और इन ओपन सोर्स समाधानों को दूसरे एससीओ सदस्यों के साथ साझा करने की भी पेशकश की। प्रधानमंत्री ने कहा कि परस्पर विश्वास बढ़ाने केलिए संपर्क परियोजनाएं पारदर्शी, भागीदारीपूर्ण और परामर्श आधारित होनी चाहिएं। एससीओ शिखर सम्मेलन के बाद एससीओ और कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन केबीच अफगानिस्तान पर आउटरीच सत्र भी हुआ। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के हाल के घटनाक्रम से उग्रवाद की यह प्रवृत्ति आगे और बढ़ सकती है। उन्होंने अफगानिस्तान से नशीले पदार्थों, हथियारों और मानव तस्करी के खतरों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अफगान और भारतीय लोगों के बीच सदियों से विशेष संबंध हैं। अफगानिस्तान में मानवीय संकट का उल्लेख करते हुए उन्होंने अफगानिस्तान के लोगों के साथ भारत की एकजुटता को दोहराया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस संदर्भ में हमें चार विषयों पर ध्यान देना होगा, पहला यह कि अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन सम्मिलित नहीं है और बिना बातचीत के हुआ है, इससे नई व्यवस्था की स्वीकार्यता पर सवाल उठते हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं तथा अल्पसंख्यकों सहित अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व भी महत्वपूर्ण है, इसलिए आवश्यक है कि अफगानिस्तान में नई व्यवस्था को मान्यता देने पर फैसला वैश्विक समुदाय सोच-समझकर और सामूहिक तरह से ले। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर भारत संयुक्तराष्ट्र की केंद्रीय भूमिका का समर्थन करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दूसरा विषय है कि अगर अफगानिस्तान में अस्थिरता और कट्टरवाद बना रहेगा तो इससे पूरे विश्व में आतंकवादी और चरमपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा मिलेगा, दूसरे उग्रवादी समूहों को हिंसा से सत्ता पाने का प्रोत्साहन भी मिल सकता है। उन्होंने कहा कि हम सभी देश पहले भी आतंकवाद से पीड़ित रहे हैं और इसलिए हमें मिलकर सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान की धरती का उपयोग किसी भी देश में आतंकवाद फैलाने केलिए न किया जाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एससीओ सदस्य देशों को इस विषय पर सख्त और साझा मानदंड विकसित करने चाहिएं और ये मानदंड आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस के सिद्धांत पर आधारित होने चाहिएं, इनमें सीमा पार आतंकवाद और आतंकवाद को वित्तपोषण जैसी गतिविधियों पर रोक लगाने केलिए एक आचार संहिता होनी चाहिए एवं इनके प्रवर्तन की प्रणाली भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के घटनाक्रम से जुड़ा तीसरा विषय है कि बड़ी मात्रा में उन्नत हथियार अफगानिस्तान में रह गए हैं, इनके कारण पूरे क्षेत्र में अस्थिरता का खतरा बना रहेगा। उन्होंने कहा कि इन फ्लो मॉनिटरिंग और सूचना साझाकरण बढ़ाने केलिए एससीओ का आरएटीएस तंत्र सकारात्मक भूमिका निभा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महीने से भारत इस संस्था की काउंसिल की अध्यक्षता कर रहा है और इस विषय पर हमने व्यावहारिक सहयोग के प्रस्ताव विकसित किए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि चौथा विषय अफगानिस्तान में गंभीर मानवीय संकट का है, वित्तीय और व्यापार प्रवाह में रुकावट के कारण अफगान जनता की आर्थिक विवशता बढ़ती जा रही है, साथ में कोविड की चुनौती भी उनके लिए यातना का कारण है। उन्होंने कहा कि विकास और मानवीय सहायता केलिए भारत बहुत वर्ष से अफगानिस्तान का विश्वस्त साथी रहा है। उन्होंने कहा कि आधारभूत संरचना से लेकर शिक्षा, सेहत और क्षमता निर्माण तक हर सेक्टर में और अफगानिस्तान के हर भाग में हमने अपना योगदान दिया है, आज भी हम अपने अफगान मित्रों तक खाद्य सामग्री, दवाइयां आदि पहुंचाने केलिए इच्छुक हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम सभीको मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान तक मानवीय सहायता निर्बद्ध तरीके से पहुंच सके और अफगान समाज की सहायता केलिए हर क्षेत्रीय एवं वैश्विक पहल को भारत का पूर्ण सहयोग रहेगा।