स्वतंत्र आवाज़
word map

महार रेजिमेंट एवं रेड ईगल त्रिशूल पर्वत को रवाना

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 27 April 2013 04:38:46 AM

trishul mountain

देहरादून। भारतीय सेना की प्रतिष्ठित रेजिमेंटों में से एक महार रेजिमेंट और रेड ईगल डिवीजन का एक संयुक्त पर्वतारोहण दल त्रिशूल पर्वत शिखर (7120 मीटर) का आरोहण करने शनिवार को यहां से रवाना हुआ। त्रिशूल पर्वत तीन पर्वतीय चोटियों का समूह है, जो उत्तराखंड राज्य के बागेश्वर जिले में स्थित है और भगवान शिव के त्रिशूल जैसा प्रतीत होता है। इस पर्वतारोहण का लक्ष्य जवानों में रोमांच एवं साहस की भावना उत्पन्न करना है, जिससे कि उनमें नेतृत्व मूल्यांकन, पहल तथा सहयोग की भावना को बढ़ावा मिलेगा। इस पर्वतारोहण का एक और उद्देश्य हमारे उभरते युवकों को सैन्य सेवा से जुड़ने के लिए प्रेरित करना है।
अभियान को मेजर जनरल सुरिंदर सिंह, विशिष्ट सेवा मेडल, जनरल ऑफिसर कमांडिंग, रेड ईगल डिवीजन के ने 26 अप्रैल 2013 को लखनऊ छावनी में फ्लैग ऑफ किया। साहसिक अभियान दल में 16 पर्वतारोही तथा 8 सहयोगी सदस्य शामिल हैं। यह पर्वतारोहण दल नंदप्रयाग से होते हुए बागड़ रोड हेड तक सड़क मार्ग से जाएगा, जोकि लखनऊ से 786 किलोमीटर की दूरी पर है और उसके पश्चात 34 किलोमीटर दुर्गम तथा चुनौतीपूर्ण रास्ते से प्रसिद्ध नंदा देवी अभ्यारण्य के बाहरी मार्ग से होकर गुजरेगा।
इस कठिन तथा चुनौतीपूर्ण चढ़ाई को सफलतापूर्वक चढ़ने के लिए अभियान दल ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, उत्तरकाशी में कठिन प्रशिक्षण प्राप्त किया है। त्रिशूल पर्वतशिखर गढ़वाल के हिमालय में स्थित है तथा भगवान शिव के दर्शन का द्वार माना जाता है। यह अभियान महार रेजिमेंट की स्थापना के प्लेटिनम जुबली वर्ष 2016 में माउंट एवरेस्ट शिखर पर विजय हासिल करने के क्रम में एक प्रयास है।
इस पर्वतारोहण दल का नेतृत्व 1 महार के लेफ्टिनेंट कर्नल अमित बिष्ट कर रहे हैं, जोकि एक कुशल पर्वतारोही हैं। मेजर जनरल सुरिंदर सिंह, विशिष्ठ सेवा मेडल, जनरल ऑफिसर कमांडिंग, रेड ईगल डिवीजन ने 26 अप्रैल2013 कोलखनऊ छावनी में पर्वतारोहण दल को बहुत हर्ष और उल्लास से फ्लैग ऑफ किया। इस पर्वतारोही दल में 4 अधिकारी, 3 सरदार तथा 17 अन्य पद महार रेजिमेंट तथा रेड ईगल डिवीजन कि यूनिटों से चुने गए हैं।
यह दल जोशीमठ, रूद्रप्रयाग, नंदप्रयाग होते हुए बागड़ जगह तक रोड से जाएगा। तत्पश्चात नंदा देवी अभ्यारण्य के बाहरी चुनौतीपूर्ण एवं अत्यंत मुश्किल पर्वतीय रास्ते से 34 किलोमीटर की दूरी तय कर बेस कैंप में पहुंचेगा। दल को मई के अंतिम सप्ताह में विजय हासिल करने तक तीन और कैंप लगाने पड़ेंगे। यह पर्वतारोही दल गढ़वाल पर्वत माला की रक्षा तथा हमारे जंगलों और इकोलोजी के बारे में जागरूकता का प्रचार करेगा। अभियान लेफ्टिनेंट जनरल ज्ञान भूषण, परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, जनरल ऑफिसर कमांडिग-इन-चीफ, दक्षिण पश्चिमी कमान एवं कर्नल ऑफ दी महार रेजिमेंट के नेतृत्व में एक और महान उपलब्धि होगी।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]