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Tuesday 23 November 2021 04:24:27 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बांग्लादेश के सशस्त्र सेना दिवस पर नई दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग का दौरा किया, यह हर साल 21 नवंबर को मनाया जाता है। यह कार्यक्रम बांग्लादेश उच्चायोग ने आयोजित किया था, जिसमें बांग्लादेश के उच्चायुक्त मुहम्मद इमरान, राजदूत, मिशन प्रमुख, बांग्लादेश सशस्त्र बल के अधिकारी और मित्र राष्ट्रों के प्रतिनिधि एवं संग्राम के दिग्गज उपस्थित थे। रक्षामंत्री ने भारतीय सशस्त्र बल और भारत सरकार की ओरसे बांग्लादेश सशस्त्र बल को बधाई दी और शांति एवं सुरक्षा की दिशा में उनके प्रयासों केलिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहाकि भारत-बांग्लादेश संबंधों केलिए यह असाधारण महत्व का वर्ष है, क्योंकि हम बांग्लादेश की मुक्ति की स्वर्ण जयंती, भारत-बांग्लादेश राजनयिक संबंधों के पचास साल और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्म शताब्दी मना रहे हैं। उन्होंने 1971 के मुक्ति संग्राम में मुक्तिवाहिनी के ओजपूर्ण संघर्ष को सलाम किया, जो आजके बांग्लादेश सशस्त्र बल का मूलमंत्र है।
बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहाकि बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति का प्रेरक नेतृत्व देशके स्वतंत्रता संग्राम में लोगों केलिए मार्गदर्शक प्रकाश था। उन्होंने कहाकि बंगबंधु के आदर्शों ने बांग्लादेश को विकास की राह पर तेजी से अग्रसर करने की नींव रखी। रक्षामंत्री ने भारतीय सशस्त्र बलों के उन बहादुर सैनिकों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जो बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम केदौरान बांग्लादेश केसाथ खड़े रहे। उन्होंने कहाकि यह 20वीं शताब्दी के विश्व इतिहास में एक सुनहरा अध्याय है। उन्होंने भारत में असाधारण नेतृत्व को भी याद किया, जो 1971 में अन्याय एवं अत्याचार केखिलाफ लड़ाई लड़ने वाले देश के समर्थन में सभी बाधाओं और सीमाओं को पार करते हुए खड़ा रहा। उन्होंने कहाकि 1971 की घटना केप्रति भारत की प्रतिक्रिया महज किसी देश की नीति का मामला नहीं थी, बल्कि वह एक सभ्यता का प्रतिबिंब थी। उन्होंने कहाकि भारत का पूरा समर्थन स्वाभाविक और ऐतिहासिक अनुभव, गहरे भावनात्मक, सांस्कृतिक, भाषाई एवं भ्रातृ संबंधों से प्रेरित था, जो भारत-बांग्लादेश के लोगों को करीब लाता है। उन्होंने कहाकि हमें साझा बलिदान की बुनियाद पर स्थापित इस दोस्ती पर गर्व है, जो लगातार बढ़ रही है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम को 20वीं शताब्दी के इतिहास की एक अभूतपूर्व घटना बताया। उन्होंने कहाकि यह अन्याय, अत्याचार और उत्पीड़न केखिलाफ एक नैतिक लड़ाई थी, आम लोगों की बेरहमी से हत्या की जा रही थी, ऑपरेशन सर्चलाइट के बर्बर अत्याचारों ने दुनिया की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया था, हालांकि वह अत्याचार आम भारतीयों के दिलो-दिमाग गूंजने लगा था। भारत में प्रत्येक ने वास्तव में महसूस कियाकि उसके अपने भाई और बहन पर हमले हो रहे थे, भारत स्वयं गरीबी में था, लेकिन बांग्लादेश के लोगों की मुक्ति की लड़ाई में पूरे दिल से नैतिक और भौतिक समर्थन देने में उसे कोई झिझक नहीं थी। उन्होंने कहाकि यह एक ऐसे दमनकारी और अलोकतांत्रिक शासन से मुक्ति की लड़ाई थी, जिसने जनादेश की अवहेलना की थी। रक्षामंत्री ने कहाकि भारत ने लाखों शरणार्थियों को शरण दी, जबकि खुद हमारे लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं थे, एक संघर्षशील देश ने दूसरे को कंधे का सहारा दिया। रक्षामंत्री ने बांग्लादेश के आशुगंज में भारतीय सैनिकों केलिए स्मारक बनाने केलिए बांग्लादेश सरकार की सराहना की।
रक्षामंत्री ने कहाकि आज के स्वाभिमानी एवं पेशेवर बांग्लादेश सशस्त्र बल 1971 के मुक्ति संग्राम के अपने बुनियादी मूल्यों का ऋणी है। उन्होंने इस तथ्य की सराहना की कि आज बांग्लादेश सशस्त्र बल संयुक्तराष्ट्र शांतिसेना में सबसे अधिक योगदान देने वालों में शामिल है और वह कार्यों के प्रति प्रतिबद्धता एवं पेशेवर नजरिए केलिए दुनियाभर में सम्मानित है। राजनाथ सिंह ने युवा पीढ़ी विशेष रूपसे सशस्त्र बलों में शामिल होनेवालों के मन में मुक्ति संग्राम की भावना को जीवित रखने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि 1971 में बांग्लादेश पर जबरदस्त अत्याचार और दुख ढाने वाली ताकतें और जिन ताकतों के खिलाफ हमने साथ मिलकर अपना खून बहाया, वे अभी खत्म नहीं हुई हैं, वे विभिन्न रूपों में हमारे चारों ओर मौजूद हैं और छिपी हुई हैं, लेकिन घृणा, असहिष्णुता एवं हिंसा केप्रति उनका रुख पहले से अलग नहीं है, हमारे लिए उनसे निपटने का काम 1971 के मुकाबले कम दुर्जेय नहीं है। उन्होंने कहाकि हम कम से कम अपनी नई पीढ़ियों को 1971 की सच्ची कहानियों से अवगत करा सकते हैं।
रक्षामंत्री ने कहाकि भारत-बांग्लादेश केबीच घनिष्ठ रक्षा सहयोग तेजी से जारी है, जिसकी शुरुआत मुक्ति संग्राम के दौरान हुई थी। उन्होंने कहाकि पिछले कुछ वर्ष में कई गतिविधियों-रक्षा वार्ता, स्टाफ वार्ता, संयुक्त प्रशिक्षण, अभ्यास एवं उच्चस्तरीय आदान-प्रदान के जरिए दोनों देशों केबीच रक्षा सहयोग लगातार बढ़ा है। उल्लेखनीय हैकि बांग्लादेश के तीनों सेना प्रमुखों ने इस वर्ष भारत का दौरा किया और भारत के सेना एवं वायुसेना के प्रमुखों ने इस साल बांग्लादेश का दौरा किया है। भारत ने रक्षा उपकरणों की खरीद केलिए बांग्लादेश को 50 करोड़ डॉलर की ऋण सहायता प्रदान की है। उन्होंने कहाकि हमें उम्मीद है कि यह कदम न केवल संपत्ति की खरीद, बल्कि रक्षा सामग्री का साथ मिलकर विकास और उत्पादन करने केलिए संयुक्त गतिविधियों को भी बढ़ावा देगा। राजनाथ सिंह ने कहाकि एक-दूसरे की रक्षा एवं सुरक्षा चिंताओं का समर्थन करने केलिए भारत-बांग्लादेश केसाथ करीबी से लगातार काम करना चाहता है। उन्होंने कहाकि भारत अपने पड़ोसियों की सुरक्षा एवं विकास संबंधी चिंताओं केप्रति बेहद संवेदनशील है और हम भारत की चिंताओं केप्रति पड़ोसियों की ओर से उतनी ही संवेदनशीलता की उम्मीद करते हैं।
राजनाथ सिंह ने कहाकि इस संदर्भ में हमारे सशस्त्र बलों केलिए आपसी क्षमता बढ़ाने, आकस्मिक परिस्थितियों से निपटने और हमारे लोगों केलिए सुरक्षा एवं समृद्धि सुनिश्चित करने के साझा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक-दूसरे के साथ तालमेल बिठाना महत्वपूर्ण है। रक्षामंत्री ने कहाकि भारत-बांग्लादेश एक मजबूत एवं विस्तारित क्षेत्रीय सहयोग के जरिये दक्षिण एशिया के लोगों केलिए प्रगति एवं समृद्धि लाने वाले दमदार भागीदार हैं। उन्होंने कहाकि दोनों देश समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, आज हम गरीबी एवं भूखमरी, आतंकवाद एवं चरमपंथी विचारधारा और जलवायु परिवर्तन जैसी आम चुनौतियों के खिलाफ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ रहे हैं। राजनाथ सिंह ने बांग्लादेश की प्रगति की सराहना की और कहाकि यह मौजूदा समय में दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं मेंसे एक है। उन्होंने कहाकि भारत को 10 अरब डॉलर के कुल पोर्टफोलियो केसाथ बांग्लादेश का एक प्रमुख विकास भागीदार बनने का सौभाग्य प्राप्त है, यह भागीदारी पारस्परिक है, जैसाकि हाल ही में वैश्विक महामारी की दूसरी लहर के सबसे बुरे दौर में दिखा और उस दौरान हमें बांग्लादेश से पर्याप्त चिकित्सा सहायता मिली थी।
राजनाथ सिंह ने कहाकि भारत केलिए बांग्लादेश की सफलता उसकी अपनी सफलता है और वह उसके अपने हित में है। उन्होंने कहाकि भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंध शोनाली अध्याय यानी सुनहरे दौर से गुजर रहा है, जहां सुरक्षा, व्यापार, कनेक्टिविटी एवं लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान जैसे पारंपरिक क्षेत्रों में सहयोग लगातार बेहतर हुआ है, वहीं परमाणु प्रौद्योगिकी, आईटी, नवाचार एवं ब्लू इकोनमी जैसे नए एवं उभरते क्षेत्रों में हमारी भागीदार का विस्तार हो रहा है। रक्षामंत्री ने 6 दिसंबर केलिए बांग्लादेश को बधाई दी, क्योंकि इसी तारीख को भारत ने बांग्लादेश को एक स्वतंत्र संप्रभु देश केतौर पर मान्यता दी थी, इसे भारत और बांग्लादेश के साथ-साथ दुनिया के 18 अन्य देशों में मैत्री दिवस के रूपमें मनाया जाएगा।