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Friday 26 November 2021 12:07:44 PM
नई दिल्ली। भारत-बांग्लादेश मैत्री के 50 वर्ष पूरे होने और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की निर्णायक जीत के उपलक्ष्य में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज की 'भारत-बांग्लादेश: दोस्ती के 50 साल' पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें सेनाप्रमुख एवं क्लॉज़ के संरक्षक जनरल एमएम नरवणे, बांग्लादेश के उच्चायुक्त मुहम्मद इमरान और लेफ्टिनेंट जनरल एम हारुन-अर-रशीद बीर प्रोटिक (सेवानिवृत्त) पूर्व सेना प्रमुख बांग्लादेश मुख्य अतिथि थे। यह संगोष्ठी सहवेबिनार भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने पर केंद्रित है। संगोष्ठी में सॉफ्ट पावर डिप्लोमैटिक टूल्स के रूपमें पर्यटन एवं सामान्य संस्कृति, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी यानी ढांचागत संपर्क और आर्थिक एकीकरण की आवश्यकता जैसे उपायों पर विचार-विमर्श किया गया। संगोष्ठी में इस तथ्य पर भी विचार किया गयाकि बढ़े हुए द्विपक्षीय संबंध अधिक चुनौतियां लेकर आते हैं और दोनों देशों को संयुक्त रूपसे धैर्य केसाथ ऐसी चुनौतियों का सामना करने केलिए तैयार रहना चाहिए।
भारतीय सेना प्रमुख ने टिप्पणी कीकि भारत-बांग्लादेश की दोस्ती उन बांग्ला लोगों की सामूहिक इच्छा केलिए एक सम्मान है, जिन्होंने स्वतंत्रता के अधिकार केलिए संघर्ष किया, वे बेशुमार स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने अपनी मातृभूमि केलिए सर्वोच्च बलिदान दिया तथा वे नेता जिन्होंने एक स्वतंत्र बांग्ला राष्ट्र के सपने को जन्म देने केलिए आगे बढ़कर नेतृत्व किया। उन्होंने कहाकि यह दोस्ती इस महान संघर्ष में भारतीय सेना की भूमिका और योगदान की स्वीकृति है, जिसने हमारे लाखों भाइयों और बहनों के जीवन व भाग्य को बदल दिया। बांग्लादेश के उच्चायुक्त और पूर्व सेना प्रमुख ने बांग्लादेश-भारत संबंधों में प्रगति की बात की और मजबूत राजनयिक एवं रक्षा संबंधों की आवश्यकता को दोहराया। उनका विचार थाकि दोनों देशों को क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना चाहिए। वर्ष 1971 के युद्ध के पूर्व सैनिकों में से एक होने के नाते, पूर्व सेना प्रमुख ने उन दिनों को याद किया और अत्याधुनिक तकनीक के साथ सशस्त्र बलों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता को प्रोत्साहन दिया।
बांग्लादेश लिबरेशन@50 इयर्स: बिजॉय विद सिनर्जी: इंडिया-पाकिस्तान वॉर 1971 पुस्तक का भी विमोचन किया गया। यह पुस्तक 1971 के युद्ध की ऐतिहासिक घटनाओं और उपाख्यानों का मिश्रण है, इसमें भारत-बांग्लादेश दोनों के लेखक शामिल हैं, जिनमें से अनेक ने वास्तव में युद्ध में भागीदारी की थी। पुस्तक में युद्ध खंड से जुड़ी स्मृतियों का ज़िक्र करते हुए राजदूत शमशेर चौधरी बांग्लादेश के पूर्व विदेश सचिव ने युद्ध लड़ने और पाकिस्तानी सेना के साथ युद्धबंदी होने के अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने उन अत्याचारों और यातनाओं का भी खुलासा किया जो बांग्लादेशी पीओडब्ल्यू को पाकिस्तानी बलों के हाथों झेलनी पड़ी थीं। पुरस्कार समारोह में सेना प्रमुख ने ब्रिगेडियर नरेंद्र कुमार विजिटिंग फेलो क्लॉज़ को एक योद्धा के रूपमें और अनुसंधान के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान केलिए स्कॉलर वॉरियर पुरस्कार से सम्मानित किया। क्लॉज़ फील्ड मार्शल मानेकशॉ निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं को भी पुरस्कार और प्रशंसा प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।