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Monday 4 April 2022 12:36:22 PM
अश्गाबात/ नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि आजादी केबाद से भारत की विदेश नीति लगातार विकसित और लोकप्रिय हो रही है, विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूपमें भारत के उदय और भारत की तकनीकी क्षमताओं की प्रासंगिकता ने प्रमुख वैश्विक वार्ताओं को आकार दिया है। उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस अश्गाबात में तुर्कमेनिस्तान के युवा राजनयिकों को संबोधित करते हुए कहाकि ग्लोबल साउथ यानी दक्षिणी अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओसीनिया क्षेत्र के देशों केसाथ भारत की भागीदारी में काफी बढ़ोतरी केसाथ प्रमुख शक्तियों से संबंध और भी अधिक गहरे हुए हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि हालिया वर्षों में भारत की विदेश नीति के प्रमुख स्तंभों मेसे एक 'पहले पड़ोसी' की नीति रही है, अपने पड़ोसियों केसाथ भारत के जुड़ाव का व्यापक दर्शन यह सुनिश्चित करना हैकि वे भी हमारे आर्थिक विकास और वृद्धि से लाभांवित हों, इस प्रकार पहले पड़ोसी नीति का ध्यान कनेक्टिविटी को बढ़ाना, व्यापार, निवेश का संवर्द्धन और एक सुरक्षित एवं स्थिर पड़ोस की रचना करना है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा हैकि भारत केलिए मध्य एशियाई देशों केसाथ कनेक्टिविटी एक प्रमुख प्राथमिकता है। उन्होंने कहाकि भारत, अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे और अश्गाबात समझौता दोनों का सदस्य है। उन्होंने कहाकि हमने ईरान में चाबहार पत्तन के परिचालन केलिए कदम उठाए हैं, जो मध्य एशियाई देशों केलिए समुद्र तक एक सुरक्षित, व्यवहार्य और निर्बाध पहुंच प्रदान कर सकता है। उन्होंने कहाकि कनेक्टिविटी का विस्तार करते हुए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण हैकि इसकी पहल सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के संबंध में परामर्शी, पारदर्शी और भागीदारीपूर्ण हो। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत इस क्षेत्र में सहयोग, निवेश और कनेक्टिविटी केलिए तैयार है। राष्ट्रपति ने कहाकि हालही मे 'हिंद-प्रशांत' भू-राजनीतिक शब्दावली को जोड़ा गया है, लेकिन इस क्षेत्र केसाथ भारत का जुड़ाव कई सदियों से है, यहां की गतिशीलता और जीवन शक्ति इसे एक वैश्विक आर्थिक केंद्र बनाती है। उन्होंने कहाकि हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक खुली, संतुलित, नियम-आधारित और स्थिर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था के पक्ष में हैं।
राष्ट्रपति ने कहाकि पिछले कुछ वर्ष में भारतीय विदेश नीति के प्रमुख क्षेत्रों मेंसे एक मध्य एशियाई देशों केसाथ हमारे ऐतिहासिक संबंधों का पुनरोद्धार रहा है, जो हमारे 'विस्तारित पड़ोस' का एक हिस्सा हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि विकासशील देशों के रूपमें भारत और मध्य एशियाई देश एकसमान परिप्रेक्ष्य और दृष्टिकोण साझा करते हैं, हम आतंकवाद, उग्रवाद, कट्टरपंथ और नशीले पदार्थों की तस्करी आदि जैसी सामान्य चुनौतियों का सामना करते हैं, भारत के अधिकांश मध्य एशियाई देशों के साथ सामरिक संबंध भी हैं। रूस और यूक्रेन केबीच जारी संघर्ष पर राष्ट्रपति ने कहाकि इस मुद्दे पर भारत की स्थिति दृढ़ और तार्किक है, हमने इसबात पर जोर दिया हैकि मौजूदा वैश्विक व्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय कानून, संयुक्तराष्ट्र चार्टर और क्षेत्रीय अखंडता एवं राज्यों की संप्रभुता के सम्मान में निहित है। उन्होंने कहाकि हम बिगड़ती मानवीय स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं, हमने हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने और बातचीत एवं कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है, हमने यूक्रेन को मानवीय सहायता भी प्रदान की है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि संयुक्तराष्ट्र सबसे अधिक सार्वभौमिक और प्रतिनिधि अंतर्राष्ट्रीय संगठन के रूपमें बना हुआ है। उन्होंने कहाकि बहुपक्षवाद में सुधार केलिए भारत के आह्वान के मूल में संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद का सुधार है, जो समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करता है, इस संदर्भ में भारत एक सुधार और विस्तार की गई संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद में हमारी स्थायी सदस्यता केलिए तुर्कमेनिस्तान के समर्थन को महत्व देता है। राष्ट्रपति ने कहाकि जैसे-जैसे तुर्कमेनिस्तान 'अरकाडग वाले लोगों के युग' में आगे बढ़ रहा है, भारत एक दीर्घकालिक मित्र के रूपमें लोगों के सामूहिक सपनों को साकार करने को लेकर इसके साथ साझेदारी करने केलिए तैयार है। उन्होंने उम्मीद जताई कीकि तुर्कमेनिस्तान की उनकी यात्रा दोनों देशों केबीच साझेदारी को और बढ़ावा देने केलिए एक नई गति प्रदान करेगी। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशन्स में एक 'इंडिया कॉर्नर' का भी उद्घाटन किया, जिसकी परिकल्पना भारत से संबंधित गतिविधियों के आयोजन में संस्थान के छात्रों केबीच भारत में रुचि उत्पन्न करने केलिए की गई है।
उन्होंने कहाकि भारत सरकार ने 'इंडिया कॉर्नर' केलिए कंप्यूटर, भारत पर पुस्तकें, संगीत वाद्ययंत्र और अन्य सामग्रियां प्रदान की हैं। इससे पहले राष्ट्रपति ने अश्गाबात में पीपुल्स मेमोरियल परिसर का दौरा किया और अनंत महिमा के स्मारक पर माल्यार्पण किया। उन्होंने बाग्यारलिक खेल परिसर का भी दौरा किया, जहां उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की, साथ ही भारतीय प्रशिक्षक की देखरेख में तुर्कमेनिस्तान के लोगों का योग प्रदर्शन देखा।