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Thursday 21 April 2022 04:00:52 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिकी कंपनियों को भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की नीतिगत पहलों का लाभ उठाने और ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ के विजन को साकार करने केलिए भारत में रक्षा उपकरण के संयुक्त अनुसंधान एवं विकास, विनिर्माण तथा रखरखाव केलिए आमंत्रित किया है। उन्होंने कहाकि भारत में विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना करने केलिए अमेरिकी कंपनियों का स्वागत है। रक्षामंत्री आज वीडियो कॉंफ्रेंसिंग केजरिए भारत में अमेरिकी वाणिज्य चैम्बर के सदस्यों को इसकी 30वीं वार्षिक आमसभा के जरिए संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अमेरिकी कंपनियों को भारतमें सह-उत्पादन, सह-विकास, निवेश संवर्धन तथा रखरखाव मरम्मत के विकास तथा ओवरहॉल सुविधाओं केलिए आमंत्रित किया। गौरतलब हैकि एमचैम इंडिया, भारत में प्रचालन करनेवाले अमेरिकी व्यवसाय संगठनों का एक संघ है। वर्ष 1992 में स्थापित एमचैम के 400 से अधिक कंपनियां सदस्य हैं, इसके मुख्य उद्देश्यों में उन गतिविधियों को बढ़ावा देना है, जो भारत में अमेरिकी कंपनियों द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करेंगी तथा द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि करेंगी।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि अभी हाल में कुछ अमेरिकी कंपनियों ने मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड के लक्ष्य को प्राप्त करने केलिए भारतीय उद्योग की साझीदारी में अपनी स्थानीय उपस्थिति को विस्तारित किया है। उन्होंने कहाकि यह महज एक शुरुआत है, बढ़ते व्यवसाय केसाथ हम भारत में अमेरिकी कंपनियों द्वारा अधिक निवेशों की आकांक्षा करते हैं। राजनाथ सिंह ने कहाकि औद्योगिक सुरक्षा समझौते का उपयोग करके हमें रक्षा प्रौद्योगिकी के सहयोग और स्वदेशीकरण को सुगम बनाने तथा एक-दूसरे की रक्षा आपूर्ति श्रृंखलाओं में अमेरिकी और भारतीय कंपनियों की सहभागिता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। रक्षामंत्री ने प्रमुख मूल उपकरण विनिर्माता और भारतीय कंपनियों की साझीदारियों को सुगम बनाने केलिए भारत सरकार की विभिन्न पहलों की सूची प्रस्तुत की। उन्होंने कहाकि एफडीआई सीमा में बढ़ोतरी से लेकर व्यवसाय करने की सुगमता में सुधार लाने तथा आईडेक्स प्लेटफॉर्म के जरिए नवोन्मेषण को प्रोत्साहित करने से लेकर भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देने केलिए संवर्धित सकारात्मक सूची को प्रोत्साहित करने तक सरकार का ध्यान पूरी तरह भारत स्थित कंपनियों तथा संयुक्त उद्यमों द्वारा रक्षा विनिर्माण, निर्यात के हिस्से को बढ़ाने पर केंद्रित है।
राजनाथ सिंह ने बतायाकि अमेरिकी कंपनियां भारत में न केवल एफडीआई तथा रोज़गार का स्रोत रही हैं, बल्कि वे भारत के रक्षा निर्यातों में भी योगदान दे रही हैं। राजनाथ सिंह ने कहाकि इन पांच वर्ष में उन्होंने 2.5 बिलियन डॉलर का योगदान दिया है, जो इस अवधि केदौरान अर्जित कुल निर्यातों का 35 प्रतिशत है। उन्होंने कहाकि भारतीय सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों केसाथ संयुक्त आरएंडडी में अमेरिकी कंपनियों की सहभागिता आत्मनिर्भर भारत की सफलता केलिए महत्वपूर्ण होंगी तथा अमेरिका-भारत संबंध को और सुदृढ़ बनाएंगी। रक्षामंत्री ने वाशिंगटन में हालमे हुए भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रीस्तरीय संवाद को सकारात्मक एवं सार्थक बताया और कहाकि रक्षा क्षेत्र द्विपक्षीय संबंध का एक मजबूत और बढ़ता हुआ स्तंभ है। उन्होंने कहाकि ये संबंध आधारभूत समझौतों, सैन्य से सैन्य जुड़ाव, रक्षा क्षमताओं, रक्षा व्यापार एवं प्रौद्योगिकी सहयोग के संवर्धन सहयोग, परस्पर लॉजिस्टिक हिस्सा और अब सह-विकास तथा सह-उत्पादन केलिए दिए बल पर आधारित हैं। उन्होंने क्रेता-विक्रेता संबंध से साझीदार देशों और व्यवसाय साझीदारों की दिशा में बढ़ने की आवश्यकता पर जोर दिया।
रक्षामंत्री ने कहाकि भारत-अमरीका विशिष्ट रूपसे एक पारस्परिक लाभदायक और उज्ज्वल भविष्य केलिए एक-दूसरे की शक्ति का लाभ उठाने पर आधारित हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि रणनीतिक समन्वय के संदर्भमें देखने पर भारत और अमेरिका लोकतंत्र बहुलवाद तथा कानून के शासन की प्रतिबद्धता साझा करते हैं। उन्होंने कहाकि हमारे रणनीतिक हितों में समन्वय बढ़ रहा है, क्योंकि दोनोंही देश अनुकूल नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था चाहते हैं, जो संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा करती है, लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखती है तथा सभी केलिए शांति एवं समृद्धि को बढ़ावा देती है। रक्षामंत्री ने कहाकि भारत और अमरीका दोनों केपास एक मुक्त, खुले, समावेशी तथा नियम आधारित भारत-प्रशांत, हिंदमहासागर क्षेत्र का एक समान विजन है, भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी अंतर्राष्ट्रीय शांति, स्थिरता एवं समृद्धि केलिए बहुत महत्वपूर्ण है। रक्षामंत्री ने आर्थिक विकास तथा दोनों देशों की परस्पर समृद्धि को आगे बढ़ाने केलिए भारत-अमेरिका साझीदारी के वाणिज्यिक तथा आर्थिक स्तंभ को सुदृद्ध बनाने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने भारत-अमेरिका आर्थिक संबंध को 21वीं सदी के सर्वाधिक उल्लेखनीय व्यवसाय संबंधों मेसे एक बताया।
राजनाथ सिंह ने कहाकि पिछले एक वर्षमें दोनों देशों केबीच द्विपक्षीय व्यापार में तेजी आई है, जो वस्तु व्यापार में 113 बिलियन डॉलर से अधिक हो गई है। रक्षामंत्री ने कहाकि समान अवधि केदौरान हमने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की सहभागिता बढ़ाने से प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भता विजन की दिशा में की गई यात्राओं में सफलता प्राप्त करना आरंभ कर दिया है और इतिहास में पहलीबार निर्यातित वस्तुओं में 400 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार लिया है, अमेरिका केसाथ व्यापार और निवेश संबंध इस सफलता गाथा का एक महत्वपूर्ण तथ्य है। राजनाथ सिंह ने कहाकि भारत-अमरीका 2+2 मंत्रीस्तरीय बैठक केदौरान भारत-अमेरिका ने उन्नत संचार प्रौद्योगिकी, कृत्रिम आसूचना, क्वांटम साइंस, स्टेम, सेमिकंडेक्टर, बायोटेक्नोलॉजी जैसी महत्वपूर्ण तथा उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग बढ़ाने के इरादों की पुष्टि की है। उन्होंने निजी उद्योग से संयुक्त अनुसंधान विकास परियोजनाओं को विकसित एवं आरंभ करने, वित्त जुटाने, प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने एवं तकनीकी सहयोग बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ पद्धितियों के विनिमय, वहनीय तैनाती, सीईटी के वाणिज्यिकरण में सक्षम बनाने केलिए एकसाथ काम करने के सरकार के संकल्प की जानकारी दी।