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Friday 26 August 2022 12:38:15 PM
तिरुपति/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के श्रममंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया है। वीडियो कॉंफ्रेंसिंग में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव एवं रामेश्वर तेली और राज्यों के श्रममंत्री उपस्थित थे। प्रधानमंत्री के संबोधन की शुरुआत भगवान तिरुपति बालाजी को नमन से हुई। प्रधानमंत्री ने इसबात पर जोर दियाकि अमृतकाल में एक विकसित राष्ट्र के निर्माण केलिए भारत के सपनों और आकांक्षाओं को साकार करने में भारत की श्रमशक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है और इस सोच केसाथ देश संगठित और असंगठित क्षेत्र के करोड़ों श्रमिकों केलिए निरंतर काम कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवनज्योति बीमा योजना जैसे सरकार के विभिन्न प्रयासों को दोहराया, जिन्होंने श्रमिकों को एक प्रकार का सुरक्षा कवच प्रदान किया है, इन योजनाओं से श्रमिकों को उनकी मेहनत और योगदान को मान्यता देने का आश्वासन प्राप्त है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि एक अध्ययन के अनुसार आपातकालीन ऋणगारंटी योजना ने महामारी के दौरान 1.5 करोड़ नौकरियों को बचाया है। उन्होंने कहाकि हम देख रहे हैंकि जिस तरह देश ने अपने श्रमिकों की जरूरत के समय में सहायता की है, उसी तरह श्रमिकों ने इस महामारी से उबरने में अपनी पूरी ताकत लगा दी। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज भारत एकबार फिर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है, इसलिए इसका बहुत बड़ा श्रेय हमारे श्रमिकों को जाता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि ई-श्रम पोर्टल श्रमबल को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने की महत्वपूर्ण पहलों में से एक है, केवल एक वर्ष में पोर्टल पर 400 क्षेत्रोंके लगभग 28 करोड़ श्रमिकों को पंजीकृत किया गया है, इससे निर्माण श्रमिक, प्रवासी मजदूर और घरेलू कामगार विशेष रूपसे लाभांवित हुए हैं। उन्होंने सभी श्रममंत्रियों से अपने-अपने राज्य के पोर्टल को ई-श्रम पोर्टल से जोड़ने का अनुरोध किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि पिछले आठ वर्ष में उनकी सरकार ने गुलामी की मानसिकता के दौर वाले और उसे दर्शाने वाले उस अवधि के कानूनों को खत्म करने की पहल की है, इनमें सुधार हो रहा है, श्रम कानूनों को सरल बनाया जा रहा है। उन्होंने कहाकि देश अब बदल रहा है, इसे ध्यान में रखते हुए 29 श्रम कानूनों को 4 सरल श्रम संहिताओं में बदल दिया गया है, यह न्यूनतम मजदूरी, नौकरी की सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा के माध्यम से श्रमिकों का सशक्तिकरण सुनिश्चित करेगा। प्रधानमंत्री ने देश के बदलते परिदृश्य के अनुसार बदलाव की आवश्यकता को दोहराया। उन्होंने तेजी से निर्णय लेने और उन्हें तेजी से लागू करके चौथी औद्योगिक क्रांति का पूरा लाभ उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्लेटफॉर्म और गिग इकोनॉमी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने कामके उभरते आयामों केप्रति सचेत रहने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहाकि इस क्षेत्र में सही नीतियां और प्रयास भारत को वैश्विक को स्तर पर अग्रणी बनाने में मदद करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बातपर प्रकाश डालाकि देशका श्रम मंत्रालय अमृतकाल में वर्ष 2047 केलिए अपना विजन तैयार कर रहा है। यह दोहराते हुएकि भविष्य में कामके अनुकूल कार्यस्थलों, वर्क फ्राम होम इकोसिस्टम और लचीले कामके घंटों की आवश्यकता होगी प्रधानमंत्री ने कहाकि हम महिलाओं की श्रमशक्ति की भागीदारी के अवसरों के रूपमें कामके अनुकूल कार्यस्थलों जैसी व्यवस्था का उपयोग कर सकते हैं। लालकिले की प्राचीर से 15 अगस्त को राष्ट्र केनाम संबोधन को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि उन्होंने देशकी महिलाशक्ति की पूर्ण भागीदारी का आह्वान किया है। उन्होंने कहाकि नारीशक्ति का सही उपयोग करके भारत अपने लक्ष्यों को तेजीसे प्राप्तकर सकता है। प्रधानमंत्री ने देशमें नए उभरते क्षेत्रोंमें महिलाओं केलिए क्या किया जा सकता है, इस दिशा में सोचने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने भारत के डेमोग्रफिक डिवीडेंट अर्थात कुल आबादी में काम करने वाले लोगों का अनुपात अधिक है पर टिप्पणी करते हुए कहाकि 21वीं सदीमें भारत की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसका कितना अच्छा उपयोग किया जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हम उच्च गुणवत्ता वाला कुशल कार्यबल तैयार करके वैश्विक अवसरों का लाभ उठा सकते हैं। प्रधानमंत्री ने इस बातपर भी प्रकाश डालाकि भारत दुनिया के कई देशों केसाथ प्रवास और गतिशीलता साझेदारी समझौतों पर हस्ताक्षर कर रहा है, उन्होंने देशके सभी राज्यों से इन अवसरों का लाभ उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि हमें अपने प्रयासों को और ज्यादा बढ़ाना होगा, एक-दूसरे से सीखना होगा। प्रधानमंत्री ने इस तथ्य से अवगत कराया कि भवन और निर्माण श्रमिक हमारे कार्यबल का एक अभिन्न अंग हैं, उनके लिए जो 'उपकर' की व्यवस्था की गई है, उसका पूरा उपयोग करें। प्रधानमंत्री ने कहाकि मुझे बताया गया हैकि राज्यों ने इस उपकर मेसे लगभग 38,000 करोड़ रुपये का अभी तक उपयोग नहीं किया है। उन्होंने राज्यों से इस बातपर ध्यान देने का आग्रह किया कि कैसे ईएसआईसी आयुष्मान भारत योजना केसाथ मिलकर अधिक से अधिक श्रमिकों को लाभांवित कर सकती है। प्रधानमंत्री ने आश्वासन दियाकि हमारे ये सामूहिक प्रयास देश की वास्तविक संभावना को प्रकट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
गौरतलब हैकि केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय का (25-26 अगस्त 2022) तिरुपति आंध्र प्रदेश में यह दो दिवसीय सम्मेलन हो रहा है। सम्मेलन विभिन्न महत्वपूर्ण श्रम संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने केलिए सहकारी संघवाद की भावना से आयोजित किया जा रहा है। यह केंद्र और राज्य सरकारों केबीच बेहतर नीतियां बनाने और श्रमिकों के कल्याण केलिए योजनाओं के प्रभावी कार्यांवयन को सुनिश्चित करने में और तालमेल बनाने में मदद करेगा। सम्मेलन में अन्य मुद्दों के अलावा सामाजिक सुरक्षा को सार्वभौमिक बनाने केलिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का समावेश करके उन्हें ई-श्रम पोर्टल केसाथ एकीकृत करने संबंधी चार विषयगत सत्र हो रहे हैं-राज्य सरकारों के ईएसआई अस्पतालों के माध्यम से चिकित्सा देखभाल में सुधार केलिए स्वास्थ्य से समृद्धि और पीएमजेएवाई से एकीकरण, चार श्रम संहिताओं केतहत नियम तैयार करना और उनके कार्यांवयन के तौर-तरीके, विजन श्रमेव जयते @ 2047 काम की ओर न्यायसंगत और समान परिस्थितियों पर ध्यान देने केसाथ, गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों सहित सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा, कामपर लैंगिक समानता प्रमुख हैं।