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Sunday 4 September 2022 02:29:15 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा हैकि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान राष्ट्र का गौरव हैं। आईआईटी दिल्ली के हीरक जयंती समापन समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहाकि 1961 में जब आईआईटी दिल्ली ने छात्रों को प्रवेश देना शुरू किया तो भारत एक बहुतही युवा गणराज्य था, जो अभीभी गंभीर गरीबी और निरक्षरता की चुनौतियों का सामना कर रहा था, फिरभी भारत अपनी क्षमता में समृद्ध था और आईआईटी ने दुनियाभर में शिक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रमें भारत की क्षमता साबित की है। उन्होंने कहाकि स्वतंत्र भारत की गाथा में आईआईटी के एकसे बढ़कर एक किस्से हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि आईआईटी ने वैश्विक मंच पर भारत की बेहतर स्थितिमें बहुत योगदान दिया है, आईआईटी के संकाय और छात्रों ने दुनियाको भारत की दिमागी ताकत दिखाई है और उनमें से कुछ जिन्होंने यहां और अन्य आईआईटी में अध्ययन किया है, वे अब दुनिया में व्यापक डिजिटल क्रांति में सबसे आगे हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि आईआईटी का गौरव हमें यह आश्वासन देता हैकि भारत के अमृतकाल में प्रवेश करतेही यह भविष्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहाकि उन्हें यह जानकर खुशी हैकि आईआईटी दिल्ली बड़े पैमाने पर अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित कर रहा है और उद्घाटन किएगए अनुसंधान एवं नवाचार पार्क का उद्देश्य एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है, जिसमें छात्र, संकाय और उद्योग विकास एवं नवाचार को बढ़ावा देने केलिए विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत केपास एक महान प्रतिभा पूल है, जिसका पूरी तरहसे दोहन किया जाना बाकी है। उन्होंने कहाकि आईआईटी दिल्ली की छात्राओं ने भी अपने शुरुआती वर्षों में शानदार प्रदर्शन किया है, उन्होंने इस मिथक का भंडाफोड़ कर दिया हैकि बहुत कम महिलाएं 'एसटीईएम' यानी विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में उत्कृष्टता प्राप्त करती हैं, उनकी सफलता अधिक से अधिक लड़कियों को एसटीईएम में करियर बनाने केलिए प्रेरित करती है। उन्होंने कहाकि भारत को आत्मनिर्भर बनाने में यहां की युवतियों का योगदान सबसे अहम होने वाला है।
द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि हाल हीमें उनसे आईएएस प्रशिक्षुओं का एक समूह मिला, उनमें से कई आईआईटीयन थे, उनका प्रभाव ऐसा हैकि यह जीवन के सभी क्षेत्रों को छूता है, यह आंशिक रूपसे इस तथ्य के कारण भी हैकि आईआईटी ने विज्ञान और इंजीनियरिंग में अपनी पारंपरिक ताकत से बाहर विस्तार किया है, वे अब मानविकी, सामाजिक विज्ञान, डिजाइन, प्रबंधन और सार्वजनिक नीति में गुणात्मक कार्यक्रम पेश कर रहे हैं और यह बहुविषयक दृष्टिकोण नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति केसाथ अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। राष्ट्रपति ने कहाकि आईआईटी का प्रभाव विज्ञान और प्रौद्योगिकी से आगे निकल गया है, आईआईटी जीवन के हर क्षेत्र-शिक्षा, उद्योग, उद्यमिता, नागरिक समाज, सक्रियता, पत्रकारिता, साहित्य और राजनीति में अग्रणी हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि मूल आईआईटी मेसे एक के रूपमें आईआईटी दिल्ली हालके कुछ सदस्यों के समूह-आईआईटी रोपड़ और आईआईटी जम्मू केलिए एक संरक्षक है, इस प्रकार आईआईटी दिल्ली ने दुनियाभर में उत्कृष्टता केंद्रों के रूपमें आईआईटी की छवि बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राष्ट्रपति ने आईआईटी दिल्ली के अत्याधुनिक अनुसंधान, नवाचार पार्क और संस्थान की विकसित प्रौद्योगिकियों की एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त कीकि आईआईटी दिल्ली ने हमेशा खुदको बड़े समुदाय के हिस्सेके रूपमें देखा है और यह समाज केप्रति अपनी जिम्मेदारी केप्रति अत्यधिक संवेदनशील रहा है। उन्होंने कहाकि इसके सामाजिक सरोकार का ताजा उदाहरण कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में देखने को मिला, वायरस को नियंत्रित करने की चुनौती को ध्यान में रखते हुए आईआईटी दिल्ली ने महत्वपूर्ण अनुसंधान और विकास परियोजनाओं की शुरुआत की, इसने अन्य चीजों के अलावा रैपिड एंटीजन टेस्ट किट, पीपीई, एंटीमाइक्रोबियल फैब्रिक, उच्च दक्षता वाले फेस मास्क और कम लागत वाले वेंटिलेटर का डिजाइन तैयार करके उन्हें विकसित किया। द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि कोरोना महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई में आईआईटी दिल्ली का योगदान एक मॉडल है और इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान भी जनस्वास्थ्य के संकट में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि 2047 तक जबहम स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएंगे, चौथी औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप हमारे आसपास की दुनियामें काफी बदलाव आ चुका होगा। द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि जिस तरह हम 25 साल पहले समकालीन दुनिया की कल्पना करने की स्थिति में नहीं थे, उसी तरह आजहम कल्पना नहीं कर सकते हैंकि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन जीवन को बदलने जा रहे हैं।
द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि अधिक जनसंख्या के बलपर हमें भविष्य की उन ताकतों से निपटने केलिए दूरदर्शिता और रणनीतियों की आवश्यकता है, जहां बाधाएं नए तौरपर एक सामान्य बात होंगी, रोज़गार का स्वरूप पूरी तरहसे बदल जाएगा। राष्ट्रपति ने कहाकि यदि हम भविष्य की अनिश्चितताओं से खुदको बचाने केलिए कदम उठाते हैं तो हम समृद्ध जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा उठा पाएंगे। राष्ट्रपति ने कहाकि हमें अपने संस्थानों को भविष्य के अनुकूल बनाने की जरूरत है, इसके लिए एक नए अध्यापन शिक्षण मैट्रिक्स, शिक्षाशास्त्र और विषय सामग्री की आवश्यकता होगी, जो भविष्योन्मुखी हों। उन्होंने आशा व्यक्त कीकि आईआईटी केसाथ हम चुनौती का सामना करने केलिए आवश्यक ज्ञान के आधार और सही कौशल केसाथ युवा पीढ़ी का पोषण करने में सक्षम होंगे। राष्ट्रपति ने जलवायु परिवर्तन को एक गंभीर चुनौती बताते हुए कहाकि एक अधिक जनसंख्या वाले विकासशील देशके रूपमें आर्थिक विकास केलिए हमें ऊर्जा की बहुत अधिक आवश्यकता है, इसलिए हमें जीवाश्म ईंधन से अक्षय ऊर्जा की ओर शिफ्ट होने की जरूरत है। उन्होंने कहाकि आनेवाले वर्षमें जिसप्रकार दुनिया उत्सुकता से पर्यावरणीय चुनौतियों केलिए तकनीकी समाधानों की तलाश कर रही है, भारत के युवा इंजीनियर और वैज्ञानिक मानवजाति को सफलता हासिल करने में मदद करेंगे।
केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी इस अवसर पर उपस्थित थे। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के मार्गदर्शन केलिए उनके प्रति आभार व्यक्त किया और कहाकि यह अमृतकाल के लक्ष्यों को साकार करने केलिए हमारी शिक्षा बिरादरी को और प्रेरित करेगा। शिक्षामंत्री ने 60 साल की शानदार यात्रा पर आईआईटी दिल्ली को बधाई दी। उन्होंने कहाकि आईआईटी दिल्ली ने राष्ट्रीय प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहाकि रिसर्च एंड इनोवेशन पार्क का उद्घाटन आईआईटी दिल्ली में अनुसंधान एवं विकास के सामाजिक प्रभाव को बढ़ाने केलिए और गति प्रदान करेगा। उन्होंने कहाकि यह बहुत गर्वकी बात हैकि कई विकसित देश अपने देशोंमें अपतटीय आईआईटी परिसरों की स्थापना और मेजबानी की दिशा में रुचि दिखा रहे हैं। उन्होंने कहाकि यह हमारे प्रतिष्ठित आईआईटी के कौशल, ताकत और गुणवत्ता का प्रतिबिंब है। धर्मेंद्र प्रधान ने इस बात पर प्रकाश डालाकि भारत आज नवाचार के नेतृत्व में विकास पथ पर है, इसे दुनिया में इस समय सर्वाधिक संख्या में डिजिटल लेनदेन का श्रेय मिलता है, स्वदेशी रूपसे विकसित 5जी भारत में डिजिटल क्रांति को और उत्प्रेरित करने वाला है, हमारे आईआईटी आधुनिक अर्थव्यवस्था के केंद्र हैं और उन्हें अपनी भूमिकाओं की फिरसे कल्पना करनी चाहिए।
धर्मेंद्र प्रधान ने आग्रह कियाकि आईआईटी दिल्ली को भारत को उद्योग 4.0 में सबसे आगे स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहाकि आईआईटी संस्थानों को भविष्यकी चुनौतियों का समाधान प्रदान करने और जिम्मेदारी लेने केलिए छात्रों को तैयार करना चाहिए। धर्मेंद्र प्रधान ने 'लोकतंत्र के मंदिर' का ज्ञान भागीदार बनने केलिए आईआईटी दिल्ली की उत्सुकता की सराहना की। उन्होंने कहाकि हमें 21वीं सदी की आकांक्षाओं को साकार करने और भारत को विश्वभर में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने केलिए शिक्षा, उद्योग तथा नीति-निर्माताओं को और मजबूत करने केलिए मिलकर काम करना चाहिए। शिक्षामंत्री ने कहाकि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने केलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उद्घोषित 'पंच प्रण' भी हमारे शैक्षणिक संस्थानों के भविष्य के रोडमैप को निर्धारित करता है। उन्होंने आग्रह करते हुए कहाकि आईआईटी को चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए और राष्ट्रीय लक्ष्यों को साकार करने केलिए बड़े संकल्पों केसाथ बढ़ना चाहिए। शिक्षामंत्री ने हीरक जयंती और उन्नत भारत अभियान पुस्तिकाओं का विमोचन किया और पहली प्रतियां राष्ट्रपति को भेंट कीं।