स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 6 September 2022 12:48:38 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा हैकि देशभर में ऐसा कोई छात्र नहीं होना चाहिए, जिसके पास 2047 केलिए कोई सपना न हो। प्रधानमंत्री ने शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित शिक्षकों से बातचीत करते हुए भारत के द्वितीय राष्ट्रपति, प्रख्यात शिक्षाविद, महान विचारक और भारतरत्न डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर उनको नमन किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि जब देश आजादी के अमृतकाल में अपने विराट सपनों को साकार करने में जुटा हुआ है, तब शिक्षा क्षेत्रमें डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनुकरणीय प्रयास हम सभीको प्रेरित करते हैं। उन्होंने सम्मानित शिक्षकों से कहाकि ये हमारा सौभाग्य हैकि हमारी वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शिक्षक हैं, अपने जीवन के प्रारंभिककाल में उन्होंने शिक्षक के रूपमें अतुलनीय कार्य किए हैं और ऐसे शिक्षक राष्ट्रपति से सम्मान पाना बड़ी गर्व की बात है। प्रधानमंत्री ने शिक्षकों के ज्ञान और समर्पण की चर्चा करते हुए कहाकि शिक्षकों की सबसे बड़ी गुणवत्ता एक सकारात्मक दृष्टिकोण है, जो उन्हें छात्रों केसाथ उनके सुधार केलिए लगातार कार्य करने में सक्षम बनाता है। उन्होंने कहाकि एक शिक्षक की भूमिका किसी व्यक्ति को सही राह दिखाना है, एक शिक्षक ही सपने देखना और उन सपनों को संकल्प में बदलना सिखाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि 2047 के भारत की स्थिति और नियति आजके छात्रों पर निर्भर है और उनके भविष्य को आजके शिक्षक आकार दे रहे हैं और जब एक शिक्षक छात्र के सपनों से जुड़ जाता है तो उसका सम्मान और स्नेह पाने में उसे सफलता मिल जाती है। प्रधानमंत्री ने छात्रों के जीवन के विभिन्न क्षेत्रोंमें संघर्ष और अंतर्विरोधों को दूर करने के महत्व के बारेमें भी चर्चा की। उन्होंने कहाकि यह महत्वपूर्ण हैकि एक छात्र स्कूल, समाज और घरमें जो अनुभव करता है, उसमें कोई विरोधाभास न हो। उन्होंने छात्रों के विकास केलिए उनके परिजनों केसाथ शिक्षकों और साझेदारों के एक समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षकों को छात्रों केलिए पसंद-नापसंद न रखने और हर छात्र केसाथ समान व्यवहार करने की भी सलाह दी। प्रधानमंत्री ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मिल रही सराहना पर कहाकि यह सही दिशामें उठाया गया कदम है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को एकसे अधिकबार पढ़ें। प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी की उपमा दी, जहां उन्होंने श्रीमदभागवद गीता को बार-बार पढ़ा, हरबार उन्हें एक नया अर्थ मिलता और बार-बार नया प्रकाशवान पुंज सामने खड़ा हो जाता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को इस तरह से आत्मसात करने की आवश्यकता पर जोर दियाकि यह सरकारी दस्तावेज छात्रों के जीवन का आधार बन जाए। उन्होंने कहाकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने में हमारे शिक्षकों की बहुत बड़ी भूमिका है। प्रधानमंत्री ने 'पंच प्रण' की अपनी स्वतंत्रता दिवस की घोषणा का स्मरण करते हुए सुझाव दियाकि इन पंच प्रणों पर स्कूलों में नियमित रूपसे चर्चा की जा सकती है, ताकि छात्रों केलिए उनकी भावना स्पष्ट हो। उन्होंने कहाकि इन प्रस्तावों को राष्ट्रकी प्रगति केलिए एक मार्गके रूपमें सराहा जा रहा है और हमें इसे बच्चों एवं छात्रों तक पहुंचाने का तरीका खोजने की जरूरत है। उन्होंने कहाकि दांडी यात्रा-1930 और 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान देशमें व्याप्त हुए उत्साह को फिरसे जगाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहाकि लगभग 250 वर्ष तक भारत पर शासन करनेवाले यूनाइटेड किंगडम को पीछे छोड़कर छठवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से बढ़कर 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा पाना आंकड़ों से कहीं अधिक है। उन्होंने तिरंगे केप्रति उत्साह के बारेमें बताया, जिसके कारण भारत आजकी दुनिया में नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि सभीसे देश केलिए जीने, मेहनत करने और समर्पित करने के उसी उत्साह को जगाने का आग्रह किया जैसा-1930 से 1942 के दौरान भारत में देखा गया था, जब हर भारतीय स्वतंत्रता केलिए अंग्रेजों से लड़ रहा था। प्रधानमंत्री ने कहाकि मैं अपने देशको पीछे नहीं रहने दूंगा। उन्होंने दोहरायाकि हमने हजारों सालकी गुलामी की बेड़ियों को तोड़ा है और अब हम नहीं रुकेंगे, हम केवल आगे बढ़ेंगे। प्रधानमंत्री ने शिक्षकों से भारतके भविष्य में एक समान उत्साह को जागृत करने का आग्रह किया, ताकि इसकी ताकत कई गुना बढ़े। गौरतलब हैकि शिक्षकों को राष्ट्रीय सम्मान देने का उद्देश्य देशके कुछ बेहतरीन शिक्षकों के अद्वितीय योगदान का उत्सव मनाना और उनका सम्मान करना है, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत से न केवल स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है, बल्कि छात्रों के जीवन कोभी समृद्ध किया है। शिक्षकों को राष्ट्रीय सम्मान के माध्यम से प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत मेधावी शिक्षकों को सार्वजनिक मान्यता दी जाती है। इस वर्ष सम्मान केलिए देशभर से 45 शिक्षकों का चयन एक कड़ी और पारदर्शी ऑनलाइन तीन चरणों की प्रक्रिया से किया गया था। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान और शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी भी उपस्थित थीं।