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Thursday 8 September 2022 05:52:16 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में राज्यों के सहकारिता मंत्रियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया और कहाकि आनेवाले दिनों में यह सम्मेलन देशमें सहकारिता को एक नए पड़ाव तक लेजाने वाला सिद्ध होगा। सहकारिता मंत्री ने कहाकि अब सहकारिता आंदोलन केसाथ दोयम दर्जे का व्यवहार नहीं हो सकता, मोदीजी ने यह विश्वास समग्र सहकारिता क्षेत्र को दिया है, परंतु हमेभी पारदर्शिता लानी होगी, जवाबदेह होना होगा, कुशलता बढ़ानी होगी, टेक्नोलॉजी को एक्सेप्ट करना होगा, प्रोफेशनलिज्म को एक्सेप्ट करना होगा और परिश्रम करके नए नए क्षेत्रों में सहकारिता को पहुंचाना होगा। उन्होंने कहाकि सहकारिता राज्यों का क्षेत्र है और जबतक राज्य की इकाइयां इस बदलाव केलिए अपने आपको तैयार नहीं करतीं, ये कभी नहीं हो सकता। उन्होंने कहाकि इन सभी बदलावों को राज्य भी अडॉप्ट करें, तभी सहकारिता को ताकत मिल सकती है। उन्होंने कहाकि कोऑपरेटिव क्षेत्र को अगले 100 साल में अर्थतंत्र का एक मजबूत स्तंभ बनाकर देशके करोड़ों गरीबों के कल्याण का उद्देश्य है।
केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहाकि भारत में सहकारिता लगभग 125 साल पुराना विचार और संस्कार है, लेकिन किसीभी गतिविधि में अगर हम समयानुकूल बदलाव नहीं करते तो वो कालबाह्य हो जाती है और अब समय आ गया हैकि सहकारिता क्षेत्र आज की ज़रूरतों के अनुकूल अपने आपको मज़बूत करके एकबार फिर सबका विश्वास अर्जित करे। अमित शाह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जुलाई 2021 को सहकारिता मंत्रालय का गठन किया था और लगभग एकसाल में सहकारिता के जुड़े सभी क्षेत्रोंमें मंत्रालय ने कई बैठकों और सम्मेलनों का आयोजन किया है। उन्होंने कहाकि सहकारिता प्रमुख रूपसे राज्यों का विषय है और हमारे संविधान ने सहकारिता की सभी गतिविधियों को राज्यों पर छोड़ा है, लेकिन भारत जैसे विशाल देशमें पूरा सहकारिता आंदोलन एकही रास्ते पर चले, इसके लिए सभी राज्यों को इस बारेमें अपने कॉमन विचार तय करने होंगे। अमित शाह ने कहाकि सहकारिता को मज़बूत करने केलिए पैक्स को मज़बूत करना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है और इसके लिए सरकार काम कर रही है। उन्होंने राज्यों के सहकारिता मंत्रियों से कहाकि सबको मिलकर सहकारिता क्षेत्रमें टीम इंडिया का भाव जागृत करना होगा और बिना किसा राजनीति के एक ट्रस्टी की भूमिका में अपने-अपने राज्य में सहकारिता क्षेत्र को मज़बूत करने और इसके विकास केलिए बढ़ना होगा।
अमित शाह ने कहाकि सहकारिता के विगत सवा सौ साल के इतिहास को देखें तो पता चलता हैकि भारत के अर्थतंत्र में सहकारिता का बहुत गौरवपूर्ण योगदान है और हमारा प्रयास हैकि अगले सौसाल में सहकारिता अनिवार्य रूपमें भारतीय अर्थतंत्र का हिस्सा बने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के स्वप्न में सहकारिता का बहुत बड़ा योगदान हो। अमित शाह ने कहाकि वे देश के पहले सहकारिता मंत्री हैं। उन्होंने कहाकि वर्तमान में देश में कई क्षेत्रों में लगभग साढ़े 8 लाख सहकारी इकाईयां हैं, इनमें से कृषि वित्त वितरण और कृषि से जुड़े सभी क्षेत्रोंमें सहकारिता का बहुत बड़ा योगदान रहा है। अमित शाह ने कहाकि देशमें डेयरी और हाऊसिंग की डेढ़ लाख समितियां हैं, 97 हज़ार पैक्स हैं और मधु सहकारी समितियां 46 हज़ार हैं, उपभोक्ता समितियां 26 हज़ार हैं, कई मत्स्यपालन सहकारी समितियां हैं और कई सहकारी चीनी मिलें हैं। उन्होंने कहाकि देशके 51 प्रतिशत गांव और 94 प्रतिशत किसान किसी ना किसी रूपमें कोऑपरेटिव से जुड़े हुए हैं, देशकी अर्थव्यवस्था में सहकारिता का योगदान बहुत बड़ा है। अमित शाह ने कहाकि देश के कुल एग्रीकल्चर क्रेडिट का 20 प्रतिशत कोऑपरेटिव सेक्टर देता है, खाद वितरण 35 प्रतिशत कोऑपरेटिव सेक्टर करता है, खाद का उत्पादन 25 प्रतिशत, चीनी उत्पादन 31 प्रतिशत, दूध उत्पादन 10 प्रतिशत से ज्यादा कोऑपरेटिव के माध्यम से होता है, गेहूं की खरीद 13 प्रतिशत से ज्यादा कोऑपरेटिव सेक्टर करता है और धान की खरीदी 20 प्रतिशत से ज्यादा कोऑपरेटिव सेक्टर करता है और मछुआरों का बिजनेस 21 प्रतिशत से ज्यादा कोऑपरेटिव सोसाइटी करती हैं।
सहकारिता मंत्री ने कहाकि सहकारिता के क्षेत्रमें हमें नीतिगत एक वाक्यता को अपनाना होगा, हर राज्य का सहकारी विभाग एकही मार्ग और एकही विषय को लेकर चले। उन्होंने कहाकि सहकारिता क्षेत्र को देखें तो हमें देशमें तीन भाग नज़र आते हैं, पहला विकसित राज्य जो ज़्यादातर पश्चिम और दक्षिण में हैं, दूसरा विकासशील राज्य जो मध्य और उत्तर में हैं, तीसरा अल्पविकसित राज्य जो पूर्व और पूर्वोत्तर में हैं। उन्होंने कहाकि हमारा प्रयास होना चाहिएकि देशके हर राज्यमें सहकारिता आंदोलन एक समान रूपसे चले, जिन राज्यों में गतिविधियां मंद या बंद हैं, वहां हमें इनमें तेज़ी लाने का प्रयास करना चाहिए और इसके लिए हमें एक नई सहकारी नीति की आवश्यकता है, ऐसी सहकारी नीति जो देशके हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश के बारेमें एकसमान रूपसे विचार करके पूरे देशमें सहकारिता क्षेत्र के समविकास को सुनिश्चित करने की दिशामें काम करने केसाथ नए क्षेत्रों कीभी पहचान करे। अमित शाह ने कहाकि सहकारिता एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जिसमें कम से कम पूंजी केसाथ भी बहुत सारे लोग एकसाथ आकर बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं और गुजरात में अमूल इसका उत्कृष्ट उदाहरण है, इस प्रकार के सर्वांगीण विकास पर विचार करने केलिए सहकारी नीति को तैयार करने केलिए एक समिति बनाई गई है, जिसमें सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व है और सहकारिता क्षेत्रमें अच्छा काम करनेवाले पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।
सहकारिता मंत्री ने कहाकि मास प्रोडक्शन हमारे देश के अर्थतंत्र के विकास केलिए ज़रूरी है, लेकिन 130 करोड़ की आबादी वाले हमारे विशाल देशमें प्रोडक्शन बाई मासेज़ भी बेहद ज़रूरी है और इसका कॉन्सेप्ट सहकारिता के सिवा कहीं से नहीं आता है, इसके लिए हमारी सहकारिता नीति देश को बहुत आगे ले जाएगी, हमने इस नीति का फ़ोकस तय किया है-फ़्री रजिस्ट्रेशन, कंप्यूटराइज़ेशन, लोकतांत्रिक पद्धति से चुनाव, सक्रिय सदस्यता सुनिश्चित करना, संचालन और नेतृत्व में प्रोफ़ेशनलिज़्म, व्यावसायिकता और पारदर्शिता लाना, ज़िम्मेदारी और जवाबदेही तय होना, इसके साथ-साथ प्रभावी मानव संसाधन नीति, जिसमें पारदर्शिता से भर्तियां हों, बुनियादी ढांचे का सशक्तिकरण, तकनीक का उपयोग और इसके लिए नीति-नियम और दिशानिर्देश, तीनों को हम समाहित करना चाहते हैं। उन्होंने कहाकि सहकारिता क्षेत्र में अगर युवाओं और महिलाओं की भागीदारी विशेषरूप सेहो तो सहकारिता बहुत आगे जाएगी, हमें बाहरी व्यापार जगत से भी जुड़ाव करना होगा और प्रतिस्पर्धा के सभी मानांकों को हासिल करना होगा, क्योंकि अब हम प्रतिस्पर्धा से बच नहीं सकते।
सहकारिता मंत्री ने कहाकि कोऑपरेटिव को अब स्पर्धा केसाथ जीनेका स्वभाव बनाना होगा तभी कोऑपरेटिव आगे बढ़ पाएगा, इसके साथ-साथ कुछ नए आयामों कोभी हम तराशना चाहते हैं जैसे- इंश्योरेंस, हेल्थ, टूरिज़्म, प्रोसेसिंग, स्टोरेज और सर्विसेज़, ये ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें कोऑपरेटिव के माध्यम से काफ़ी कुछ किया जा सकता है। अमित शाह ने कहाकि हम 65000 पैक्स को प्रथम चरण में कंप्यूटराइज करेंगे, इसका एक अच्छा सॉफ्टवेयर भी भारत सरकार का सहकारिता विभाग बना रहा है, जिसमें सारे कामों को समाहित किया जाएगा, इसके बाद पैक्स, डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक, स्टेट कोऑपरेटिव बैंक और नाबार्ड, चारों एकही सॉफ्टवेयर और एकही प्रकार के अकाउंटिंग सिस्टम से चलेंगे, जिससे ऑनलाइन ऑडिट कीभी सुविधा हो जाएगी। उन्होंने कहाकि यह सॉफ्टवेयर देशकी सभी भाषाओं में उपलब्ध होगा, जिससे हर राज्य अपने पैक्स का कारोबार अपने राज्य की भाषा में कर पाएगा, इस तरहसे एक महत्वाकांक्षी योजना सहकारिता विभाग लेकर आया है, मगर ये सभी के सक्रिय सहयोग के बगैर संभव नहीं हो सकती। सहकारिता मंत्री ने कहाकि डिफंक्ट पैक्स को जल्दी से जल्दी लिक्विडेट करके वहां नए पैक्स बनाए जाएं, क्योंकि जबतक पुराने पैक्स का अस्तित्व है, जबतक आप नए पैक्स नहीं बना पाएंगे। उन्होंने कहाकि मोदी सरकार एक नीतिगत विचार भी कर रही हैकि अभीतक पैक्स सिर्फ शॉर्ट टर्म फाइनेंस कर रहे हैं, लेकिन अब पैक्स मध्यम और लॉन्ग टर्म फाइनेंस भी करें, भलेही खेती बैंक के माध्यम से करें, इसके लिए भी पैक्स को अधिकृत करने का एक विचार चल रहा है।
अमित शाह ने कहाकि सहकारी विपणन को बढ़ावा देने केलिए नेफेड का संपूर्ण स्वरूप बदलने का विचार हो रहा है, नेफेड प्रोएक्टिव होकर स्टेट मार्केटिंग फेडरेशन केसाथ रहकर पैक्स को सक्रिय रूपसे मार्केटिंग से जोड़ेगा और मार्केटिंग का पूरा मुनाफा अंततोगत्वा नेफेड स्टेट और डिस्ट्रिक्ट फेडरेशन के माध्यम से पैक्स में पहुंचे ऐसी ट्रांसपेरेंट व्यवस्था होने जा रही है। सहकारिता मंत्री ने कहाकि इतने सारे बदलाव केलिए हमें ट्रेंड मैनपावर चाहिए, कोऑपरेटिव फाइनेंस को जानने वाले युवा चाहिएं, कंप्यूटर को जाननेवाले युवा चाहिएं, कोऑपरेटिव के कांसेप्ट को आत्मसात करने वाले युवा भी चाहिएं। उनहोंने कहाकि अगर ट्रेंड मैन पावर चाहिए तो आज एकभी कोऑपरेटिव यूनिवर्सिटी नहीं है और अब हमने तय किया हैकि एक कोऑपरेटिव यूनिवर्सिटी बनाई जाएगी और राज्य के सहकारी संघ के तत्वावधान में हर राज्यमें इसकी एक एफिलिएटिड कॉलेज भी खोलेंगे, जिससे अलग-अलग प्रकार की कोऑपरेटिव केलिए ट्रेंड मैन पावर मिलेगा। उन्होंने कहाकि इस सहकारिता यूनिवर्सिटी को जिले तक लेजाने का काम भी करेंगे, जिससे ट्रेंड मैन पावर मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। अमित शाह ने कहाकि आज अगर सहकारिता का विकास करना है तो हमारे पास डेटा नहीं है, इसके लिए अब एक स्थायी डेटाबेस भी भारत सरकार बना रही है और यह डेटा बैंक अपडेटेड रहेगा, इस डेटाबेस की पहुंच हम डिस्ट्रिक्ट और इसके यूनियन और डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक तक देना चाहते हैं।
सहकारिता मंत्री ने कहाकि मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव के कानून में हम बहुत बड़े बदलाव लाने जा रहे हैं, मॉडल बायोलॉज ला रहे हैं, राष्ट्रीय सहकारिता विश्वविद्यालय बना रहे हैं, राष्ट्रीय सहकारी डाटा बैंक बना रहे हैं, एक एक्सपोर्ट हाउस भी बना रहे हैं, ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर प्रोडक्ट को बेचने केलिए एक मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी बना रहे हैं और बीज उत्पादन केलिए भी हम एक कोऑपरेटिव बनाने जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि सहकारिता मंत्रालय ने कोऑपरेटिव को मजबूत करने केलिए पिछले एकसाल में बहुत सारे काम किए गए हैं, पहले चीनी मीलों केलिए अतिरिक्त आयकर लगता था, जो एक बहुत अन्याय की बात थी और 50 साल से चल रही थी। उन्होंने कहाकि सहकारिता मंत्रालय बनने के 1 माह के अंदरही अतिरिक्त आयकर को समाप्त करके हमने कोऑपरेटिव को बहुत बड़ा समानता का स्टेटस देने का काम किया है। उन्होंने कहाकि ग्रामीण और शहरी सहकारी व्यावसायिक बैंकों पर बहुत सारे पॉजिटिव निर्णय लेकर उनका व्यापार बढ़े, इस प्रकार का आरबीआई से बदलाव कराने मेभी सफलता मिली है और शहरी सहकारी बैंक और बैंकिंग क्षेत्र के आरबीआई केसाथ सभी लंबित सवालों की भी लिस्टिंग हो चुकी है। सम्मेलन में सहकारिता राज्यमंत्री बीएल वर्मा, 21 राज्यों के सहकारिता मंत्री और 2 केंद्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।