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Friday 9 September 2022 12:45:19 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में इंडिया गेट पर 'कर्तव्य पथ' का उद्घाटन किया और कहाकि सत्ता के प्रतीक तत्कालीन राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करना जनप्रभुत्व और सशक्तिकरण का उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने इंडिया गेट पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा का भी अनावरण किया। उन्होंने देशके हर एक नागरिक का आह्वान किया और आमंत्रित कियाकि इस नवनिर्मित कर्तव्यपथ को आकर देखिए, इस निर्माण में आपको भविष्य का भारत नज़र आएगा, यहांकी ऊर्जा आपको हमारे विराट राष्ट्र केलिए एक नया विज़न देगी, एक नया विश्वास देगी। प्रधानमंत्री ने कहाकि आजादी के अमृत महोत्सव में देशको एक नई प्रेरणा मिली है, नई ऊर्जा मिली है, हम गुजरे हुए कलको छोड़कर, आनेवाले कलकी तस्वीर में नएरंग भररहे हैं, हर तरफ ये नई आभा दिख रही है, ये नए भारतके आत्मविश्वास की आभा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि गुलामी का प्रतीक किंग्सवे यानि राजपथ इतिहास कीबात हो गया है, कर्तव्यपथ के रूपमें नए इतिहास का सृजन हुआ है और देशवासियों को आजादी के इस अमृतकाल में गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति केलिए बहुत-बहुत बधाई! प्रधानमंत्री ने नए सेंट्रल विस्टा एवेन्यू पर प्रदर्शनी भी देखी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि इंडिया गेट के समीप हमारे राष्ट्रनायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की विशाल प्रतिमा भी स्थापित हुई है, गुलामी के समय यहां ब्रिटिश राजसत्ता के प्रतिनिधि की प्रतिमा लगी हुई थी, देशने उसी स्थानपर नेताजी की मूर्ति स्थापित करके आधुनिक और सशक्त भारत की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि सुभाषचंद्र बोस ऐसे महामानव थे, जो पद और संसाधनों की चुनौती सेपरे थे, उनकी स्वीकार्यता ऐसी थीकि पूरा विश्व उन्हें नेता मानता था, उनमें साहस, स्वाभिमान था, उनके पास विचार थे, विज़न था, उनके नेतृत्व की क्षमता थी, नीतियां थीं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि नेताजी कहा करते थेकि भारत वो देश नहीं, जो अपने गौरवमयी इतिहास को भुला दे, भारत का गौरवमयी इतिहास हर भारतीय के खून में है, उसकी परंपराओं में है। उन्होंने कहाकि नेताजी भारतकी विरासत पर गर्व करते थे और भारत को जल्द से जल्द आधुनिक भी बनाना चाहते थे। नरेंद्र मोदी ने कहाकि अगर आजादी केबाद हमारा भारत सुभाषबाबू की राहपर चला होता तो आज देश ऊंचाइयों पर होता, लेकिन दुर्भाग्यसे आजादी केबाद हमारे इस महानायक को भुला दिया गया, उनके विचारों, उनसे जुड़े प्रतीकों तकको नजरअंदाज कर दिया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि सुभाष बाबू के 125वें जयंती वर्ष पर उन्हें कोलकाता में उनके घर जाने का सौभाग्य मिला, उनसे जुड़े स्थान पर उनकी जो अनंत ऊर्जा थी, उसे उन्होंने महसूस किया और देशका प्रयास हैकि नेताजी कीवो ऊर्जा देशका पथप्रदर्शन करे। प्रधानमंत्री ने कहाकि कर्तव्यपथ पर नेताजी की प्रतिमा इसका माध्यम बनेगी, देशकी नीतियों और निर्णयों में सुभाषबाबू की छाप रहे, ये प्रतिमा इसके लिए प्रेरणास्रोत बनेगी। उन्होंने कहाकि इन आठ वर्ष में हमने एक केबाद एक ऐसे कितनेही निर्णय लिए हैं, जिनपर नेताजी के आदर्शों और सपनों की छाप है। प्रधानमंत्री ने कहाकि नेताजी सुभाष अखंड भारत के पहले प्रधान थे, जिन्होंने 1947 सेभी पहले अंडमान को आजाद कराकर तिरंगा फहराया था, उस वक्त उन्होंने कल्पना की थीकि लालकिले पर तिरंगा फहराने की क्या अनुभूति होगी, इस अनुभूति का साक्षात्कार मैंने स्वयं किया, जब मुझे आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष होने पर लालकिले पर तिरंगा फहराने का सौभाग्य मिला, हमारीही सरकार के प्रयास से लालकिले में नेताजी और आजाद हिंद फौज से जुड़ा म्यूज़ियम भी बनाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि मैं वो दिन भूल नहीं सकता, जब 2019 में गणतंत्र दिवस की परेड में आजाद हिंद फौज के सिपाहियों नेभी हिस्सा लिया था, इस सम्मान का उन्हें दशकों से इंतजार था।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि अंडमान में जिस स्थानपर नेताजी ने तिरंगा फहराया था, मुझे वहां जानेका अवसर मिला, तिरंगा फहराने का सौभाग्य मिला, वो क्षण हर देशवासी केलिए गर्व का क्षण था। उन्होंने कहाकि अंडमान के वो द्वीप, जिसे नेताजी ने सबसे पहले आजादी दिलाई थी, वोभी कुछ समय पहले तक गुलामी की निशानियों को ढोने केलिए मजबूर थे, आज़ाद भारत मेभी उन द्वीपों के नाम अंग्रेजी शासकों के नामपर थे, हमने इन द्वीपों को नेताजी सुभाष से जोड़कर भारतीय नाम दिए, भारतीय पहचान दी। नरेंद्र मोदी ने कहाकि आजादी के 75 वर्ष पर देशने अपने लिए पंच प्राणों का विजन रखा है, इन पंच प्राणों में विकास के बड़े लक्ष्यों का संकल्प है, कर्तव्यों की प्रेरणा है, इसमें गुलामी की मानसिकता के त्याग का आह्वान है, अपनी विरासत पर गर्व का बोध है। उन्होंने कहाकि आज भारत के आदर्श अपने हैं, आयाम अपने हैं, भारत के संकल्प अपने हैं, लक्ष्य अपने हैं, पथ अपने हैं, प्रतीक अपने हैं औऱ राजपथ का अस्तित्व समाप्त होकर कर्तव्यपथ बना है, जॉर्ज पंचम की मूर्ति के निशान को हटाकर नेताजी की मूर्ति लगी है तो ये मन और मानस की आजादी का लक्ष्य हासिल करने तक निरंतर चलनेवाली संकल्प यात्रा है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि देशके प्रधानमंत्री जहां रहते आए हैं, उस जगह का नाम रेसकोर्स रोड से बदलकर लोककल्याण मार्ग हो चुका है। उन्होंने कहाकि हमारे गणतंत्र दिवस समारोह में अब भारतीय वाद्ययंत्रों कीभी गूंज सुनाई देती है, बीटिंग रिट्रीट समारोह में देशभक्ती से सराबोर गीतों को सुनकर हर भारतीय आनंद सेभर जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि हाल हीमें भारतीय नौसेना ने भी गुलामी के निशान को उतारकर छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रतीक को धारण कर लिया है, नेशनल वॉर मेमोरियल बनाकर देशने समस्त देशवासियों की बरसों पुरानी इच्छा को पूरा किया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि ये बदलाव केवल प्रतीकों तकही सीमित नहीं हैं, ये बदलाव देश की नीतियों काभी हिस्सा बन चुका हैं, देश अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे सैकड़ों क़ानूनों को बदल चुका है, भारतीय बजट, जो इतने दशकसे ब्रिटिश संसद के समय का अनुसरण कररहा था, उसका समय और तारीख भी बदली गई है, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए अब विदेशी भाषा की मजबूरी सेभी देश के युवाओं को आजाद किया जा रहा है यानी आज देश का विचार और देश का व्यवहार दोनों गुलामी की मानसिकता से मुक्त हो रहे हैं, ये मुक्ति हमें विकसित भारत के लक्ष्यतक लेकर जाएगी। उन्होंने कहाकि गुलामी के उस कालखंड में ये पूरे विश्व को भारत की हुंकार थी, ये हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का आह्वान था, हमें उस सर्वश्रेष्ठ भारत का निर्माण करके ही रहना है और इसका रास्ता इस कर्तव्य पथ से ही जाता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि कर्तव्यपथ भारत के लोकतांत्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग है, यहां जब देशके लोग आएंगे तो नेताजी की प्रतिमा, नेशनल वार मेमोरियल उन्हें प्रेरणा देंगे, उन्हें कर्तव्यबोध से ओत-प्रोत करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन श्रमिक साथियों का विशेष आभार व्यक्त किया, जिन्होंने कर्तव्यपथ को केवल बनाया ही नहीं है, बल्कि अपने श्रमकी पराकाष्ठा से देशको कर्तव्यपथ भी दिखाया है। उन्होंने कहाकि उन्हें उन श्रमजीवियों से मुलाक़ात का भी अवसर मिला, उनसे बात करते समय वे ये महसूस कर रहे थेकि देशके ग़रीब, मजदूर और सामान्य मानवी के भीतर भारत का कितना भव्य सपना बसा हुआ है इस अवसर पर मैं उनहर गरीब मजदूर कोभी देश की तरफसे धन्यवाद देता हूं, उनका अभिनंदन करता हूं, जो देशके अभूतपूर्व विकास को गति दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि इसबार 26 जनवरी को जिन्होंने यहांपर काम किया है, वो श्रमिक भाई परिवार केसाथ मेरे विशेष अतिथि रहेंगे। उन्होंने कहाकि नए भारत में श्रम और श्रमजीवियों के सम्मान की एक संस्कृति बन रही है, एक परंपरा पुनर्जीवित होरही है, इसीलिए देश अपनी श्रमशक्ति पर गर्व करता है, ‘श्रम एव जयते’ देशका मंत्र बन गया है। उन्होंने कहाकि इंफ्रास्ट्रक्चर के इन कार्यों केबीच भारतमें कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर पर जो काम किया गया है, उसकी उतनी चर्चा नहीं हो पाई है, प्रसाद स्कीम केतहत देशके तीर्थस्थलों का पुनुरुद्धार किया जा रहा है, काशी-केदारनाथ-सोमनाथ से लेकर करतारपुर साहिब कॉरिडोर तक केलिए जो कार्य हुआ है, वो अभूतपूर्व है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि जब हम कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करते हैं तो उसका मतलब सिर्फ आस्था की जगहों से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि सरदार वल्लभभाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी हो या फिर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित म्यूजियम, पीएम म्यूजियम हो या फिर बाबासाहेब आंबेडकर मेमोरियल, नेशनल वॉर मेमोरियल हो या फिर नेशनल पुलिस मेमोरियल, ये कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर के उदाहरण हैं, ये परिभाषित करते हैंकि एक राष्ट्रके तौरपर हमारी संस्कृति क्या है, हमारे मूल्य क्या हैं और कैसे हम इन्हें सहेज रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि एक आकांक्षी भारत, सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर केसाथ ही कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर को गति देते हुए ही तेज प्रगति कर सकता है। उन्होंने कहाकि कर्तव्यपथ के रूपमें देशको कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर का एक और बेहतरीन उदाहरण मिला है, आर्किटैक्चर से आदर्शों तक यहां भारतीय संस्कृति के दर्शन होंगे और बहुतकुछ सीखने कोभी मिलेगा। उन्होंने कहाकि अगले तीन दिन यहांपर नेताजी सुभाषबाबू के जीवन पर आधारित शाम के समय ड्रोन शो भी होगा। नरेंद्र मोदी ने नागरिकों से कहाकि आप यहां आइए, अपने और अपने परिवार की तस्वीरें खींचिए, सेल्फी लीजिए, इन्हें आप हैशटैग कर्तव्यपथ से सोशल मीडिया पर भी जरूर अपलोड करें। उन्होंने कहाकि ये पूरा क्षेत्र दिल्ली के लोगों की धड़कन है, यहां शाम को बड़ी संख्या में लोग अपने परिवार केसाथ आते हैं, समय बिताते हैं, कर्तव्य पथ की प्लानिंग, डिजाइनिंग और लाइटिंग इसे ध्यान में रखते हुए भीकी गई है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि कर्तव्यपथ की ये प्रेरणा देशमें कर्तव्यबोध का जो प्रवाह पैदा करेगी, ये प्रवाह ही हमें नए और विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि तक लेकर जाएगा। इस दौरान भारतीय सेनाओं के प्रमुख, अधिकारी एवं कार्मिक, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, जी किशन रेड्डी, अर्जुनराम मेघवाल, मीनाक्षी लेखी, कौशल किशोर, गणमान्य अतिथि और नागरिक उपस्थित थे।