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Friday 16 September 2022 04:43:33 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा हैकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना ने भारत को दुनिया के सबसे शक्तिशाली और सबसे सम्मानित देशों की पंक्ति में खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहाकि सरकार 'नए भारत' के सपने को पूरा करने केलिए कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ रही है, यह ऐसे भारत की परिकल्पना है, जो अपनी जरूरतों और खासतौर से सुरक्षा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने केलिए किसी अन्य देशपर आश्रित नहीं होगा। नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में रक्षा क्षेत्रमें आत्मनिर्भरता को अर्जित करने केलिए रक्षा मंत्रालय के प्रयासों का उल्लेख करते हुए राजनाथ सिंह ने कहाकि 310 वस्तुओं की तीन सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची का जारी होना तथा राष्ट्र की विकास गाथा में निजी सेक्टर को सम्मिलित होने केलिए प्रोत्साहित करना इसबात का प्रमाण हैकि सरकार संकल्पित हैकि सशस्त्र बलों को स्वदेश में विकसित उत्कृष्ट हथियार या प्लेटफार्म मिलें तथा उन्हें समस्त भावी चुनौतियों का मुकाबला करने केलिए लैस किया जा सके।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि स्वदेशी उद्योगों केपास ऐसी क्षमता और योग्यता हैकि वे अगले कुछ वर्ष में जल, थल, नभ और अंतरिक्ष में आधुनिक रक्षा प्लेटफार्मों का निर्माण कर सकते हैं, सरकार उन्हें आवश्यक माहौल उपलब्ध कराने के सभी प्रयास कर रही है। सरकारी प्रयासों की बदौलत प्राप्त की गई प्रगति पर रक्षामंत्री ने कहाकि रक्षा निर्यात, जो कभी 1,900 करोड़ रुपये हुआ करता था, वह अब 13,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रुपये के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा, जिसमें 35,000 करोड़ रुपये का निर्यात भी शामिल है। राजनाथ सिंह ने देशके पहले स्वदेशी वायुयान वाहक पोत विक्रांत का विशेष उल्लेख किया, जिसमें 76 प्रतिशत स्वदेशी सामान लगा है तथा जिसे प्रधानमंत्री ने दो सितंबर 2022 को कोच्चि में देशसेवा में समर्पित कर चुके हैं। उन्होंने कहाकि आत्मनिर्भरता की दिशामें भारत की यात्रा का यह एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
राजनाथ सिंह ने स्पष्ट कियाकि आत्मनिर्भरता का अर्थ अलग-थलग हो जाना नहीं है। उन्होंने इसे परिभाषित करते हुए कहाकि आत्मनिर्भता वास्तव में दुनियाभर को आशा और राहत देने का भारत का संकल्प है। उन्होंने कहाकि बदलते परिदृश्य में बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी निर्माण इकाइयों को विकेंद्रित करने के विकल्प तलाश रही हैं, भारत इस खोज को न सिर्फ पूरा करता है, बल्कि इस आशा का संचार भी करता हैकि निर्माण इकाइयों को विकेंद्रित करने में इतनी क्षमता हैकि उससे पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई मिल सकती है। उन्होंने कहाकि भारत वैश्विक आशावाद का केंद्र है, यहां अनंत अवसर हैं, विकल्पों की भरमार है और खुलेपन का एहसास है। राजनाथ सिंह ने कहाकि आत्मनिर्भर भारत खुले दिमाग से नए द्वार खोलता है, हमारा लक्ष्य राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना, तथा इसके साथही अपने मित्र देशों को उनके लक्ष्य प्राप्त करने में मदद करना है। उन्होंने कहाकि परिकल्पना बिलकुल स्पष्ट है-'मेक इन इंडिया, मेक फॉर दी वर्ल्ड।' रक्षामंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहाकि उनके नेतृत्व में आजादी केबाद एकबार फिर भारत ने मजबूत अर्थव्यवस्था की तरफ कदम बढ़ाए थे।
रक्षामंत्री ने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार उनकी राष्ट्र प्रथम की परिकल्पना को बढ़ा रही है। उन्होंने कहाकि अटलजी के नेतृत्व मेही देश अपने प्रगतिपथ पर लौटा था, उन्होंने अवसंरचना विकास, गरीब कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया, महंगाई को नियंत्रित किया और अर्थव्यवस्था की विकास दर को आठ प्रतिशत के ऊपर पहुंचाया, अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को विश्वकी सबसे बड़ी पांचवीं अर्थव्यवस्था बना दिया है। उन्होंने कहाकि इन आठ वर्ष में प्रक्रिया सम्बंधी और संरचात्मक सुधार शुरू किए गए हैं, पुराने कानूनों को बदला गया और देशमें निवेश के लिए सहायक माहौल तैयार किया गया है, व्यापार सुगमता पर ध्यान देते हुए जीवन सुगमता को बढ़ाया गया, जिसके तहत हर नागरिक को बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। रक्षामंत्री ने लोगों में एकता और देशभक्ति की भावना का उल्लेख करते हुए कहाकि भारत जो तेजगति से विकास होता देख रहा है, उसके पीछे यही दो भावनाएं हैं। उन्होंने लोगों का आह्वान कियाकि अपने-अपने क्षेत्र में काम करते हुए राष्ट्र को हृदयंगम करें, क्योंकि यही एकमात्र रास्ता है, जो देश को ऊंचाइयों पर ले जाएगा।