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Tuesday 04 June 2013 10:11:34 AM
देहरादून। उत्तराखंड के राज्यपाल डॉ अज़ीज़ कुरैशी ने कहा है कि संस्कृत और वेद भारत की पवित्र धरोहर हैं, 'गुरूकुल' भारतीय शिक्षा, संस्कृति और सभ्यता की बुनियाद है, संस्कृत भाषा में रचित हमारे पवित्र वेद-पुराण, उपनिषद, रामायण तथा भगवद्गीता जैसे महाग्रंथों में निहित ज्ञान-विज्ञान की समृद्धि के कारण ही भारत विश्व गुरू बना है, हमारी विशिष्ट सभ्यता, संस्कृति तथा शिक्षा-जिससे हमारी भारतीयता कायम है, की बुनियाद 'गुरूकुल' जैसी शिक्षा प्रणाली पर खड़ी है।
डॉ अज़ीज़ कुरैशी ने ये विचार पौंधा में स्थापित गुरूकुल के एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। अपने उद्बोधन में राज्यपाल ने संस्कृत भाषा को विश्व की अद्वितीय भाषा बताया। उन्होंने संस्कृत की वैश्विक मान्यता तथा पवित्र वेदों की महत्ता का विस्तृत उल्लेख करते हुए यह भी कहा कि 'खुदा और ईश्वर एक है' के विषय में जितना विस्तृत और स्पष्ट वर्णन वेदों में किया गया है, उतना विश्व के किसी ग्रंथ में नहीं है, यही वजह है कि मूल रूप में संस्कृत में रचे गए वेदों का अनुवाद विश्व की 133 भाषाओं में हो चुका है।
राज्यपाल ने गायत्री मंत्र में निहित शक्तियों का उल्लेख करते हुए पाकिस्तान में जन्में उर्दू शायर अल्लमा इकबाल की उस मशहूर नज्म का उदाहरण दिया जो गायत्री मंत्र का संपूर्ण अनुवाद है। गुरूकुल पौंधा के 13वें स्थापना समारोह के अवसर पर दिल्ली संस्कृत अकादमी (दिल्ली सरकार) एवं गुरूकुल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय संस्कृत संगोष्ठी के समापन समारोह में राज्यपाल ने भारतीय वैदिक संस्कृति व परंपराओं का आधार माने जाने वाली संस्कृत भाषा के प्रति अपना सम्मान एवं गहन प्रेम व्यक्त करते हुए कहा कि वे उत्तराखंड में संस्कृत भाषा को प्रत्येक स्तर पर विकसित देखना चाहते हैं, जिसके लिए वे हर संभव प्रयास भी करेंगे।
इस अवसर पर राज्यपाल ने गुरूकुल की पत्रिका का भी विमोचन किया। कार्यक्रम में आयोजकों ने वैदिक परंपरा से राज्यपाल का स्वागत करते हुए उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किए। समारोह में दिल्ली संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष प्रोफेसर शशिप्रभा कुमार ने कहा कि अंग्रेजी भाषा के माध्यम से संचालित आधुनिक शिक्षा प्रणाली हमारे बच्चों और युवाओं को भारत की वैभवशाली सांस्कृतिक विरासत से अलग करती जा रही है। कार्यक्रम में गुरूकुल पौंधा देहरादून के संस्थापक एवं आज की सभा के अध्यक्ष स्वामी प्रणवानंद सरस्वती, दिल्ली संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ धर्मेंद्र कुमार, डॉ ज्वलंत कुमार शास्त्री सहित वैदिक परंपराओं पर विश्वास रखने वाले अनेक गणमान्य महानुभाव तथा गुरूकुल के विद्यार्थी भी उपस्थित थे।