स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 21 November 2022 05:18:53 PM
पणजी। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का 53वां संस्करण बचपन और उसके सामाजिक एवं आर्थिक संदर्भों को आकार देनेवाले सपनों, गतिशील शक्तियों और बारीकियों को सामने लाने केलिए पूरी तरह तैयार है। अमेरिका के जाने-माने लेखक जेस लैयर का कहना हैकि बच्चे कोई ऐसी चीज नहीं हैं, जिसे ढाला जा सके, बल्कि लोगों को खुदको उजागर करना है। लेखक जेस लैयर ने आईएफएफआई-53 में यूनिसेफ के सहयोग से छह बाल फिल्मों की एक श्रृंखला प्रस्तुत की है। इनमें बिखरे हुए बचपन की मार्मिक कहानी कैपरनॉम से लेकर बच्चों केलिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार पानेवाली सबसे कम उम्र की बच्ची म्होनबेनी एजुंग की कहानी नानी तेरी मोरनी भी शामिल है, जिसने अपनी दादी को डूबने से बचाया और अपने डर पर जीत प्राप्त की।
बाल फिल्म श्रृंखला की एक और फिल्म सुमी है, जिसे ग्रामीण भारत के परिदृश्य में स्थापित किया है। यह हाशिए पर रहने वाली 12 वर्षीय सुमति की एक आशावादी और प्रेरक कहानी है, जो अपने गांव से कई किलोमीटर दूर अपने विद्यालय जाने केलिए साइकिल पाने का सपना देखती है। अपनी इस सामान्य जरूरत को पूरा करने केलिए वह संघर्ष, महत्वाकांक्षा, प्रतिबद्धता और मित्रता की बुनियाद पर एक असाधारण यात्रा करती है। एक अन्य क्लासिक 2021 की एक बंगाली फीचर ड्रामा फिल्म-दो दोस्त है। यह भारत में बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराए जाने केबाद बढ़ते धार्मिक विभाजन की पृष्ठभूमि में 8 वर्षीय लड़कों की कहानी है। इस बैनर केतहत आईएफएफआई-53 में अन्य दो फिल्म-उड़ जा नन्हे दिल और धनक प्रदर्शित की जाएंगी।