स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 23 November 2022 01:48:52 PM
पणजी। जाने-माने कवि और गीतकार प्रसून जोशी ने गोवा में 53वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव केदौरान आर्ट एंड क्राफ्ट ऑफ लिरिक राइटिंग विषयक संवाद सत्र में कहा हैकि महान संगीत की रचना केलिए कवि के पद्य और संगीतकार की लय केबीच विवाह सरीखे मधुर संबंध होने चाहिएं। प्रसून जोशी ने कहाकि गीतकार और संगीतकार केबीच का रिश्ता दो विपरीत प्राणियों का एकसाथ रहने जैसा होता है, लेकिन दोनों को हमेशा एक-दूसरे का पूरक होना चाहिए। उन्होंने कहाकि प्रामाणिकता एक गीतकार का सबसे महत्वपूर्ण गुण होता है, एक गीतकार को हमेशा अपनी शैली में लिखने की, अपने शब्दों को पिरोने की कोशिश करनी चाहिए।
गीतकार प्रसून जोशी ने अपने लेखन के सार के बारेमें कहाकि उनके ज्यादातर शब्द उनकी अपनी मिट्टी और संस्कृति से आते हैं। उन्होंने कहाकि हमारे पालन-पोषण और संस्कृति का बड़ा गहरा असर हमारे लेखन पर पड़ता है, मैं अपने ज्यादातर शब्द और रूपक अपनी क्षेत्रीय भाषा और संस्कृति से लेता हूं और कोशिश होनी चाहिएकि हमारी क्षेत्रीय भाषा के शब्द कभी विलुप्त न हों। प्रसून जोशी ने लेखन पर कृत्रिम बौद्धिकता के प्रभाव केबारे में कहाकि कृत्रिम बौद्धिकता चाहे जितनी उन्नति करले, वह कभीभी मानवजाति की रचनात्मकता और बौद्धिकता का स्थान नहीं ले सकती। उन्होंने आजके भद्दे गीतों पर टिप्पणी कीकि बाजार का दर्शन हैकि अगर कोई चीज नहीं बिकेगी तो वह नहीं बनाई जाएगी। उन्होंने कहाकि रचनाकारों की तरह ही पाठक और दर्शक भी बराबर के जिम्मेदार होते हैं।
प्रसून जोशी प्रसिद्ध कवि, लेखक, गीतकार, पटकथा लेखक और संपर्क विशेषज्ञ हैं। हिंदी सिनेमा में इनके कामकाज को बहुत लोकप्रियता मिली है। ऑग्लिवी और माथर एंड मैक्कैन एरिकसन जैसी अग्रणी विज्ञापन एजेंसियों में अपने लंबे और सफल करियर के दौरान प्रसून जोशी ने कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों केलिए सफल ब्रांडों की रचना की। इसके लिए उन्होंने ताकतवर और दूरगामी विज्ञापन अभियान चलाए हैं। गीतकार केतौर फिल्म तारे ज़मीन पर (2007) और चटगांव (2012) जैसी फिल्मों केलिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीत के दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री सेभी सम्मानित किया है। इस संवाद सत्र का संचालन वरिष्ठ पत्रकार और लेखक अनंत विजय ने किया।