स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 10 December 2022 12:45:17 PM
देहरादून। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने दून विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया और उसे संबोधित करते हुए कहाकि किसीभी देश की प्रगति उसके मानव संसाधन गुणवत्ता पर निर्भर होती है और मानव संसाधन की गुणवत्ता शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। उन्होंने दून विश्वविद्यालय से 'आज का युवा कल का भविष्य है' के आदर्श वाक्य पर चलते हुए गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन तैयार करने की दिशामें काम करने का अनुरोध किया। राष्ट्रपति ने उल्लेख कियाकि दून विश्वविद्यालय राज्य का एकमात्र ऐसा संस्थान है, जहां छात्रों को पांच विदेशी भाषाएं-चाइनीज, स्पेनिश, जर्मन, जापानी और फ्रेंच पढ़ाई जाती हैं, इसके अलावा छात्र यहां तीन स्थानीय भाषाओं-गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी का भी अध्ययन कर सकते हैं। उन्होंने कहाकि स्थानीय भाषाओं की पढ़ाई को प्रोत्साहित करना देश की लोक संस्कृति के संरक्षण का सराहनीय प्रयास है, हमारी लोक भाषाएं हमारी संस्कृति की अमूर्त धरोहरें हैं, विश्वविद्यालय को इस पहल को आगे बढ़ाना चाहिए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि एनटीपीसी के सहयोग से दून विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी चेयर की स्थापना की गई है, जो उत्तराखंड राज्य के विकास केलिए नीति निर्माण और क्षमता विकास केलिए समर्पित है और इसी प्रकार उत्तराखंड राज्य के भौगोलिक, इकलोजिकल, आर्थिक और सामाजिक विकास से जुड़े विभिन्न विषयों में शोध और अध्ययन केलिए डॉ नित्यानंद हिमालयी शोध और अध्ययन केंद्र भी स्थापित किया गया है, राष्ट्रपति ने इन पहलों केलिए विश्वविद्यालय की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहाकि शिक्षण संस्थानों में अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, जिससे छात्र तकनीकी कौशल से अधिक संपन्न हों और स्वयं रोज़गार की तलाश करने के बजाए दूसरों को रोज़गार उपलब्ध करवाएं। राष्ट्रपति ने इस बात को रेखांकित कियाकि दीक्षांत समारोह में लड़कियों ने 36 में से 23 स्वर्ण पदक और 16 में से 8 पीएचडी डिग्री प्राप्त की हैं। उन्होंने कहाकि इससे साबित होता हैकि दून विश्वविद्यालय में महिलाओं की शिक्षा के पर्याप्त अवसर हैं और वह लड़कियों को प्रोत्साहित करने केलिए प्रतिबद्ध है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि उनका मानना हैकि जब लड़कियां विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग एवं गणित जैसे विषयों में अधिक उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगी तो महिला सशक्तिकरण की प्रक्रिया को और अधिक बल मिलेगा, उनके पास एसटीईएम में उत्कृष्टता के आधार पर करियर बनाने के कई अवसर होंगे। राष्ट्रपति ने स्नातक करनेवाले छात्रों से कहाकि डिग्री मिलने केबाद उनकी जिम्मेदारी और अधिक बढ़ गई है। उन्होंने छात्रों को सलाह दीकि वे जिसभी क्षेत्र में जाएं, उस काम को निष्ठा से और अपनी क्षमता के अनुरूप सर्वश्रेष्ठ तरीके से करें। राष्ट्रपति ने कहाकि ऐसा करने परही उनकी शिक्षा सार्थक होगी और वे अपने ज्ञान से समाज एवं देश को लाभांवित कर सकेंगे। उन्होंने कहाकि इस निरंतर एवं तेजीसे बदल रहे युग में भारत आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है और इसके लिए राष्ट्र निर्माण को लेकर देश को उनकी प्रतिबद्धता एवं समर्पण की जरूरत है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि छात्र आनेवाले समय में इस राष्ट्रीय अपेक्षा को पूरी निष्ठा केसाथ पूरा करेंगे। दीक्षांत समारोह में उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं छात्र उपस्थित थे।