स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 07 June 2013 04:49:24 AM
लखनऊ। बागवानों को सलाह दी गई है कि फलों के नए बाग लगाने के लिए उपयुक्त खेत का चयन एवं रेखांकन कर गढ्ढों की खुदाई कर खुला छोड़ दें, जिससे कीट व्याधि नष्ट हो जाएगी। आम, केला, नीबू तथा लीची के बागों को कीट रोगों से बचाने के लिए समय पर ध्यान देकर समुचित उपाय करें।
फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार आम के बागों में फल मक्खियों की संख्या जानने एवं नियंत्रण हेतु कार्बरिल 0.2 प्रतिशत +प्रोटीन हाइड्रोलाइसेट या सीरा 0.1 प्रतिशत अथवा मिथाइल यूजीनाल 0.1 प्रतिशत + मैलाथियान 0.1 प्रतिशत के घोल को डिब्बे में डालकर पेड़ पर ट्रेप लगाएं। कोयलिया और आंतरिक विगलन के नियंत्रण के लिए एक प्रतिशत बोरेक्स का छिड़काव अवश्य करें।
केले के बागों में केला भृंग (बनाना बीटल) के नियंत्रण हेतु कार्बोफ्यूरान 3 जी या फोरेट 10 जी एक चम्मच भर कर गोफे में डालें। फलों पर काले भूरे धब्बे दिखाई देने पर कापर आक्सीक्लोराइड 0.3 प्रतिशत के घोल का छिड़काव करें तथा आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। नीबू के बागों में सफेद मक्खी व साइला के नियंत्रण हेतु डाईमिथोएट 30 ईसी 1.6 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। कैंकर व्याधि के नियंत्रण के लिए ब्लाइटटाक्स 0.3 प्रतिशत अथवा बोर्डो मिक्चर का छिड़काव करें तथा आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। लीची के फलों को फटने से बचाने के लिए बागों में सिंचाई कर आवश्यकतानुसार नमी बनाए रखी जाए।