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Friday 24 February 2023 03:54:09 PM
बीरभूम (पश्चिम बंगाल)। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारत को अधिक शक्तिशाली और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की दिशामें केंद्र एवं राज्य सरकार के प्रयासों को नई गति प्रदान करने केलिए युवाओं का नवाचार करने, नवीनतम प्रौद्योगिकी विकसित करने एवं नई कंपनियां, अनुसंधान प्रतिष्ठानों और स्टार्ट-अप्स की स्थापना करने का आह्वान किया है। आज पश्चिम बंगाल के बीरभूम में विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने उन्हें गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर से प्रेरणा लेने और एक हाथ में विजन और ज्ञान लेकर तथा दूसरी ओर सदियों पुरानी भारतीय परंपराओं केसाथ आगे बढ़ने केलिए प्रेरित किया, ताकि राष्ट्र को विकास की सीढ़ी पर ऊपर ले जानेके समग्र उद्देश्य को प्राप्त करने का प्रयास किया जा सके। उन्होंने छात्रों को अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने, एक टीम के रूपमें काम करने और जीवन की सफलताओं एवं असफलताओं से न बहकने लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहाकि बिना विचलित हुए संतुलित तरीके से आगे बढ़ने की क्षमता ही सफलता की कुंजी है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने छात्रों से अहंकार या क्रोध को अपने रास्ते में न आने देने का आग्रह किया और कहाकि चरित्र निर्माण, ज्ञान और धन को समान महत्व दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि भारत की प्रगति का मार्ग युवाओं सेही होकर आगे जाता है, युवा जितने मजबूत होंगे, देशभी उतना ही मजबूत बनेगा। राजनाथ सिंह ने छात्रों को अपना नैतिक कर्तव्य निभाते हुए विश्व भारती की प्रसिद्धि को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने विश्व भारती विश्वविद्यालय को गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की दार्शनिक विरासत की भौतिक अभिव्यक्ति और उनके ज्ञान एवं बुद्धि का अवतार बताते हुए कहाकि विश्व भारती भारतीय ज्ञान केसाथ ही विश्व ज्ञान काभी एक अनूठा मिश्रण है, इसमें दुनियाभर से भारतीय विचारों में ज्ञान के प्रवाह को आत्मसात करने और दुनिया को प्रबुद्ध बनाने का संयोजन है। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के राष्ट्रवाद और सार्वभौमिक मानवतावाद के विचारों के बारेमें जानकारी देते हुए उन्होंने छात्रों को बतायाकि कैसे महान दार्शनिक रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने विचारों, दर्शन और मूल्यों से भारतीय समाज और राजनीति को गहराई से प्रभावित किया है। उन्होंने कहाकि सदियों से भारतीय राष्ट्रवाद सहयोग और मानवकल्याण की भावना परही आधारित रहा है।
राजनाथ सिंह ने कहाकि भारतीय राष्ट्रवाद क्षेत्रीय न होकर सांस्कृतिक है, चेतना क्षेत्र से पहले आती है, मानवकल्याण केंद्रबिंदु है, भारतीय राष्ट्रवाद बहिष्कारवादी न होकर सर्वसमावेशी है और सार्वभौमिक कल्याण सेही प्रेरित है और विश्वभारती इसी भावना का सूचक है। राजनाथ सिंह ने कहाकि गुरुदेव के उस समय के भविष्यवादी विचार आजभी प्रासंगिक हैं, राष्ट्र के विकास केलिए औद्योगिक विकास, आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने केलिए उनके विचारों का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि यह उसी दृष्टि का परिणाम हैकि भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रमें नए मानक स्थापित करके विकास के पथपर आगे बढ़ने केलिए मेकिंग इन इंडिया, मेकिंग फॉर द वर्ल्ड के मार्ग पर अग्रसर है। उन्होंने कहाकि आज हम दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूपमें लगातार प्रगति कर रहे हैं, निवेश फर्म मॉर्गन स्टेनली की अभी हाल की रिपोर्ट के अनुसार भारत अगले 4-5 साल में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने कहाकि उन्हें उम्मीद है कि हम वर्ष 2047 तक दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्था बन जाएंगे, यही गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर केप्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
रक्षामंत्री ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के सामाजिक परिवर्तन, महिला सशक्तिकरण और जातिगत भेदभाव को समाप्त करने केबारे में दूरदर्शी विचारों का जिक्र किया, जो नरेंद्र मोदी सरकार को प्रेरणा दे रहे हैं। उन्होंने कहाकि संगीत केलिए गुरुदेव के लेखन ज्ञान संचार भारतीयता की सुगंध का सार हैं। राजनाथ सिंह ने कहाकि उनके शिक्षा संबंधी विचार आजभी एक मार्गदर्शक के रूपमें काम कर रहे हैं, गुरुदेव का मानना थाकि शिक्षा सत्य और सौंदर्य तक पहुंचने एवं सामाजिक कल्याण को सुनिश्चित करने का एक सक्षम मार्ग है। उनका यह मानना थाकि केवल सीखना ही काफी नहीं है, बल्कि समाज केहित में उसका उपयोग करना भी उतनाही जरूरी है। रक्षामंत्री ने कहाकि आज एक शिक्षक एकसाथ 40-50 छात्रों को शिक्षित कर रहा है, जो पश्चिम से प्रेरित प्रक्रिया है, जो किसी बच्चे के व्यक्तित्व को निखारने में असमर्थ रहती है, भारत में प्राचीन गुरुकुल में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने जिक्र कियाकि कई अध्ययन यह बताते हैंकि नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों में गुरुजनों एवं छात्रों का अनुपात 1:5 का हुआ करता था और मोदी सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है, जिसमें बच्चों के व्यक्तित्व विकास और शिक्षक-छात्र के उचित अनुपात पर पूरा ध्यान दिया गया है।