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Tuesday 21 March 2023 05:41:30 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य और देशभर के शैक्षणिक संस्थानों में भेदभाव को कतई बर्दाश्त नहीं करने पर केंद्रित एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की, जिसमें उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों से साझा जिम्मेदारी केसाथ एक प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करने को कहा। धर्मेंद्र प्रधान ने हितधारकों से ऑनलाइन माध्यम से सुझाव आमंत्रित करने कोभी कहा। उन्होंने लड़के-लड़कियों में समानता, जातिगत संवेदनशीलता, शैक्षणिक दबाव को कम करना, परामर्श की सुदृढ़ प्रणाली आदि जैसे विभिन्न विषयों पर चर्चा की। उन्होंने कहाकि शिक्षा मंत्रालय विद्यार्थियों का शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कल्याण सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री ने कहाकि शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षा से संबंधित तनाव को कम करने केलिए समय-समय पर विविध कदम उठाए हैं, इनमें हमउम्र साथियों की सहायता से सीखना, 13 क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा की शुरूआत, 13 भाषाओं में प्रवेश परीक्षा, विद्यार्थियों को मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने केलिए मनोदर्पण पहल, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों की रोकथाम, पहचान और उपचारात्मक उपायों पर दिशानिर्देश आदि शामिल हैं। उन्होंने कहाकि विद्यार्थियों केलिए शैक्षणिक जीवन मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक परिवर्तनों का एक महत्वपूर्ण चरण होता है, जिसमें सामाजिक अंतःक्रियाओं, संबंधों और करियर संबंधी रास्तों की जटिलताएं शामिल होती हैं। उन्होंने कहाकि विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले मुद्दे विविध प्रकार के हैं और ये शैक्षणिक दबाव, हमउम्र साथियों के दबाव, अत्यधिक प्रतिस्पर्धी शैक्षिक वातावरण, व्यवहार संबंधी मुद्दों, प्रदर्शन के मुद्दों, तनाव, करियर की चिंताओं, अवसाद आदि जैसे व्यापक स्पेक्ट्रम को कवर करते हैं। बैठक में शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार तथा स्कूल और उच्च शिक्षा विभाग, सीबीएसई, एआईसीटीई, यूजीसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान के निर्देशों के अनुसार तथा विद्यार्थियों के मानसिक एवं भावनात्मक कल्याण की रक्षा केलिए मंत्रालय स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा संस्थानों तकको समग्र रूपसे शामिल करते हुए परिचालन दिशानिर्देशों का व्यापक फ्रेमवर्क या रूपरेखा तैयार कर रहा है। यह फ्रेमवर्क विद्यार्थियों को स्वयं को नुकसान पहुंचाने या उनमें आत्म विनाशकारी प्रवृत्तियों के जन्म लेने जैसे मनोवैज्ञानिक संकटों को उत्पन्न करने वाले किसीभी तरह के शारीरिक, सामाजिक, भेदभावपूर्ण, सांस्कृतिक और भाषाई खतरे या हमले से रक्षा केलिए उपायों और तंत्रों को संस्थागत रूप प्रदान करेगा। इसमें समावेशी एकीकृत और भेदभावरहित वातावरण का निर्माण, शिक्षकों को संवेदनशील बनाने और उनके क्षमता निर्माण के कार्यक्रम, परामर्श और सहायता तंत्र, तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता की जल्दी पहचान करने की व्यवस्था, विद्यार्थियों-शिक्षकों केबीच घनिष्ठता वाले इंटरैक्टिव समुदायों को बढ़ावा देना, पाठ्यचर्या अभ्यास के अंतर्गत टीम गतिविधियों को शामिल करना, प्रभावी और त्वरित शिकायत निवारण तंत्र, शारीरिक फिटनेस प्रावधान और कार्यक्रम, पोषण पर जोर, संस्थानों के प्रमुखों, शिक्षकों और माता-पिता आदि से निजीतौर पर जुड़ना और निगरानी करना शामिल होगा।