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Tuesday 25 April 2023 10:50:30 AM
करनाल (हरियाणा)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के मुख्य आतिथ्य में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल के शताब्दी वर्ष में 19वां दीक्षांत समारोह मनाया गया। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहाकि डेयरी उद्योग हमारे देश की खाद्य एवं पोषण संबंधी सुरक्षा सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है, देश की जीडीपी में लगभग 5 प्रतिशत का योगदान देता है तथा भारत में लगभग 8 करोड़ परिवारों को आजीविका भी उपलब्ध कराता है, इसलिए एनडीआरआई जैसे संस्थानों को देश के समावेशी विकास में अपनी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहनी होगी। राष्ट्रपति ने कहाकि गौ तथा अन्य पशुधन भारतीय समाज और परंपराओं के अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहाकि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुईकि एनडीआरआई ने अधिक दूध देनेवाली भैंसों और गायों के क्लोन के निर्माण केलिए प्रौद्योगिकी विकसित की है, जो पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता में वृद्धि करेगी तथा किसानों की आय भी बढ़ाएगी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि दुग्ध तथा दुग्ध के उत्पाद भारतीय भोजन तथा संस्कृति के अभिन्न अंग हैं और भारत विश्व में सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, लेकिन हमें दुग्ध उत्पादों की बढ़ती मांग की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, इसके अतिरिक्त डेयरी सेक्टर भी अच्छी गुणवत्ता वाले चारे की उपलब्धता, जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में बदलाव और पशुधन में रोगों जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होंने कहाकि दुग्ध उत्पादन और डेयरी फार्मिंग को टिकाऊ बनाना हमारे सामने एक चुनौती है, पशु कल्याण को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण के अनुकूल और जलवायु स्मार्ट प्रौद्योगिकीयों को अपनाकर डेयरी उद्योग का विकास करना हम सभीका उत्तरदायित्व है। राष्ट्रपति को प्रसन्नता हुईकि एनडीआरआई डेयरी फार्मों से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने केलिए विभिन्न प्रौद्योगिकीयों को बढ़ावा दे रहा है, इसके साथ एनडीआरआई बायोगैस उत्पादन जैसी स्वच्छ ऊर्जा पर भी बल दे रहा है।
द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारत में डेयरी उद्योग के प्रबंधन में महिलाएं अहम भूमिका निभा रही हैं, डेयरी सेक्टर में 70 प्रतिशत से अधिक भागीदारी महिलाओं की है। उन्होंने कहाकि डेयरी सेक्टर का महिलाओं को स्वावलंबी बनाने केसाथ उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में बदलाव लाने में ख़ास महत्व है। उन्होंने कहाकि हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता हैकि इन महिलाओं के पास निर्णय लेने और नेतृत्व प्रदान करने केलिए समान अधिकार व अवसर हों, इसके लिए इन महिलाओं को शिक्षा, प्रशिक्षण तथा कौशल विकास केलिए अधिक अवसर उपलब्ध कराने की आवश्यकता है, साथही डेयरी फार्मिंग में महिलाओं को उद्यमी बनाने हेतु आसान ऋण की व्यवस्था एवं बाजार पहुंच की सुविधा होनी चाहिए। उन्होंने पंजाब और हरियाणा के किसानों का हरित क्रांति केसाथ श्वेत क्रांति की सफ़लता में भी विशेष भूमिका निभाने का जिक्र करते हुए उनका अभिनंदन किया। राष्ट्रपति ने कहाकि मां के दूध केसाथ गाय का दूध भी स्वास्थ्य केलिए अमृत माना जाता है, ऋग्वेद में कहा गया हैकि गोषु प्रियम् अमृतं रक्षमाणा अर्थात गोदुग्ध अमृत के समान है, जो रोगों से रक्षा करता है, दूध को पवित्र माना जाता है, इसलिए इसका उपयोग देवताओं के अभिषेक केलिए भी किया जाता है।
राष्ट्रपति ने कहाकि भारतीय परंपरा में गाय सहित पशुधन को समृद्धि व सौभाग्य का प्रतीक माना गया है, गाय केप्रति श्रीकृष्ण का प्रेम, शिवजी और नंदी की कहानियां हमारी संस्कृति में शामिल हैं। उन्होंने कहाकि कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन आजीविका का प्रमुख साधन है। राष्ट्रपति ने कहाकि वर्ष 1923 में स्थापित आईसीएआर-एनडीआरआई ने भारत में डेयरी उद्योग के विकास में विशेष योगदान दिया है, संस्थान के अनुसंधान ने डेयरी उत्पादन क्षेत्र में उत्पादकता, कुशलता एवं गुणवत्ता को सुधारने में मदद की है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहाकि वे जीवन के नए अध्याय की ओर बढ़ रहे हैं, वे सदैव नया सीखने केलिए प्रयत्नशील रहें, जनकल्याण केलिए कार्य करें और उनमें से कुछ विद्यार्थी डेयरी उद्योग में रोज़गार प्रदाता व उद्यमी ज़रूर बनें। उन्होंने कहाकि इस उद्योग में विकास की असीम संभावनाएं हैं और उनको इन संभावनाओं का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहाकि एनडीआरआई देश के विभिन्न भागों में डेयरी सेक्टर में उद्यमशीलता व स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के प्रयास कर रहा है। दीक्षांत समारोह में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद थे।
कृषिमंत्री ने कहाकि आईसीएआर-एनडीआरआई देश का बहुतही महत्वपूर्ण संस्थान है, जिसने 100 वर्ष की गौरवशाली यात्रा पूर्ण की है। उन्होंने कहाकि देशभर में कृषि विश्वविद्यालयों में प्रतिस्पर्धा में आईसीएआर से सम्बद्ध एनडीआरआई ने लगातार 5 वर्ष तक प्रथम स्थान प्राप्त किया, जो गौरव की बात है। उन्होंने कहाकि पशुपालन डेयरी क्षेत्र में देश जिस मुकाम पर खड़ा है, उसमें वैज्ञानिकों का योगदान भी अविस्मरणीय है। नरेंद्र सिंह तोमर ने कहाकि भारत कृषि प्रधान देश है, जिसमें कृषि क्षेत्र की कल्पना पशुपालन व मत्स्यपालन के बिना करना संभव नहीं है, विशेष रूपसे छोटे व भूमिहीन किसानों की रोजी-रोटी तो पशुपालन पर निर्भर करती है। उन्होंने कहाकि कृषि की जीडीपी में पशुपालन का उल्लेखनीय योगदान है, इस क्षेत्र की जो चुनौतियां है, उनका समाधान करते हुए आगे बढ़ते रहने की आवश्यकता है। मेधावी विद्यार्थियों को स्नातक-स्नातकोत्तर, पीएचडी डिग्री और स्वर्ण पदक भी प्रदान किए गए। समारोह में हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला, कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ हिमांशु पाठक, संस्थान के निदेशक व कुलपति डॉ धीर सिंह उपस्थित थे।