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Friday 12 May 2023 12:03:18 PM
नई दिल्ली। आयुष मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद केबीच एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान को बढ़ावा देने और सहयोग करने केलिए एक समझौता हुआ है, जो आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग करते हुए साक्ष्य का सृजन करने केलिए उच्च प्रभाव अनुसंधान को बढ़ावा देने केलिए स्वास्थ्य देखभाल में राष्ट्रीय महत्व के चिन्हित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा। यह समझौता आयुष शोधकर्ताओं के प्रशिक्षण के माध्यम से अनुसंधान क्षमता को भी सुदृढ़ बनाएगा। समझौता ज्ञापन पर आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा और आईसीएमआर के महानिदेशक तथा भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव डॉ राजीव बहल ने हस्ताक्षर किए।
केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ मनसुख मांडविया, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार, नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण, आयुष मंत्रालय के विशेष सचिव पीके पाठक, दोनों मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी हस्ताक्षर कार्यक्रम के दौरान उपस्थित थे। इस अवसर पर सर्बानंद सोनोवाल ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानव जाति के लाभ केलिए पारंपरिक और आधुनिक दोनों के लाभों को समेकित करने केलिए हमारा मार्गदर्शन किया है और आईसीएमआर के सहयोग से आयुष और स्वास्थ्य दोनों ही मंत्रालयों ने इस दिशा में एक बहुत दूरगामी कदम उठाया है। उन्होंने कहाकि हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के समक्ष वैज्ञानिक साक्ष्य सृजित करने की एक बड़ी चुनौती है, समेकित चिकित्सा में अनुसंधान सहयोग इस चुनौती का समाधान प्रदान करने और लोगों का विश्वास जीतने की दिशा में एक बड़ा कदम है, इस घनिष्ठ सहयोग से व्यापक स्तरपर आम लोग बहुत अधिक लाभांवित होंगे।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने कहाकि आयुर्वेद हमारी सदियों पुरानी ज्ञान प्रणाली है, हमारी धरोहर है, आधुनिक चिकित्सा ने आज अपने एक उत्कृष्ट स्थान का निर्माण किया है। उन्होंने कहाकि दोनों प्रणालियों केबीच यह समझौता पारंपरिक ज्ञान को एक श्रेष्ठ स्थान का निर्माण करने में सहायता प्रदान करेगा, इसके माध्यम से हम आयुर्वेद को साक्ष्य आधारित विज्ञान के रूपमें और अधिक विकसित कर सकेंगे। उन्होंने कहाकि यह समझौता ज्ञापन औषधियों की आयुष प्रणाली को और समृद्ध करने में बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा। नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहाकि वैज्ञानिक साक्ष्य पर आधारित अनुसंधान के दृष्टिकोण से यह एक महत्वपूर्ण कदम है, नए एम्स में वर्तमान आयुष विभागों की कार्यप्रणाली को विस्तारित करने केलिए कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहाकि वर्तमान में वे केवल सेवा विभाग के रूपमें काम कर रहे हैं, लेकिन आगे चलकर इसे शैक्षणिक अनुसंधान पर फोकस केसाथ समेकित चिकित्सा विभाग बना दिया जाएगा। आयुष और स्वास्थ्य मंत्रालय केबीच सहयोग बढ़ाने केलिए केंद्रीय आयुष मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया की संयुक्त अध्यक्षता में पांचवीं अंतरमंत्रालयी समन्वयन बैठक भी हुई, जिसमें तालमेल और सहयोग से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई और दोनों मंत्रालयों ने कई महत्वपूर्ण मामलों पर सहमति जताई।
समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों को संयुक्त रूपसे सह वित्तपोषण केसाथ सभी एम्स में समेकित स्वास्थ्य में आयुष-आईसीएमआर उन्नत अनुसंधान केंद्रों की स्थापना करने में सक्षम बनाएगा। इसके अतिरिक्त वे सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान पर काम करने की संभावना की खोज करेंगे, राष्ट्रीय महत्व के रोगों को दूर करने केलिए पहल करेंगे और व्यापक स्वीकृति केलिए साक्ष्य सृजित करने केलिए आयुष प्रणाली की आशाजनक चिकित्सा केसाथ राष्ट्रीय महत्व के चिन्हित क्षेत्रों/ रोग स्थितियों पर संयुक्त रूपसे उच्च गुणवत्तापूर्ण नैदानिक परीक्षण का संचालन करने की संभावनाओं की खोज करेंगे। यह समझौता आईसीएमआर-डीएचआर को मानव सहभागियों को शामिल करते हुए जैव चिकित्सा तथा स्वास्थ्य अनुसंधान केलिए राष्ट्रीय नैतिक दिशानिर्देशों में समेकित चिकित्सा पर अनुसंधान के समावेश की संभावना पर गौर करने की सुविधा प्रदान करेगा।
आयुष-आईसीएमआर ने एक संयुक्त कार्यसमूह की स्थापना करने पर सहमति व्यक्त की है, जो सहयोग की आगे की संभावनाओं की खोज करने केलिए तथा डेलीवरेबल्स पर काम करने, संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं/ कार्यक्रमों को तैयार करने और उसे कार्यांवित करने पर काम करने की त्रैमासिक बैठकें आयोजित करेगा और गतिविधियों के संयुक्त पर्यवेक्षण की अनुमति देगा। समझौते के महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक अनुसंधान क्षमता के निर्माण से संबंधित है, जिसकी अगुवाई आयुष अनुसंधानकर्ताओं केलिए आईसीएमआर करेगा। यह एक पाठ्यक्रम विकसित करेगा, प्रशिक्षण मॉड्यूल के विकास एवं को वितरण को सुगम बनाएगा। आयुष-आईसीएमआर समेकित स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्रमें इच्छुक शोधकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी केसाथ संयुक्त रूपसे सम्मेलनों कार्यशालाओं व संगोष्ठियों की रूपरेखा तैयार करेंगे और इनका संचालन करेंगे।