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Friday 26 May 2023 02:49:53 PM
रांची। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु रांची के नामकुम में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान के दूसरे दीक्षांत समारोह में सम्मिलित हुईं और उसे संबोधित किया। राष्ट्रपति ने कहाकि आज भारत स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूत करके और आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहन देकर उद्यमशीलता की संस्कृति की ओर अग्रसर हो रहा है। उन्होंने कहाकि इस दृष्टि से देश की विकास प्रक्रिया में वैज्ञानिक शोध, नवाचार और अधिक प्रमुख विषय बन गया है। राष्ट्रपति ने कहाकि यह केवल अनुसंधान के माध्यम सेही नई प्रक्रियाओं, उत्पादों और डिजाइनों को विकसित किया जा सकता है, जो उभरते हुए मुद्दों केलिए अभिनव और स्थायी समाधान खोजने में सहायता कर सकता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि भारत में उच्च शिक्षण संस्थान अपनी अनुसंधान क्षमताओं में वृद्धि करेंगे और प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को तैयार करेंगे, जो तकनीकी रूपसे कुशल होंगे और नवाचारों से नागरिकों के कल्याण केलिए कार्य करेंगे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि प्रौद्योगिकी को सामाजिक न्याय के साधन के रूपमें उपयोग किया जाना चाहिए और भारत केपास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्ट-अप इकोसिस्टम उपलब्ध है, हम पहले सेही स्मार्ट उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं, जिन्होंने हमारे जीवन को आसान बना दिया है, लेकिन ऐसे उपकरण और प्रणालियां आम लोगों केलिए सुलभ होनी चाहिएं और समग्र स्थिरता के अनुरूप होनी चाहिएं। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि यहीं पर प्रौद्योगिकीविदों की भूमिका और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाती है, इसके लिए उन्हें अपनी सोच और काम में एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने कहाकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान रांची जैसे संस्थानों के मेधावी विद्यार्थियों का यह दायित्व हैकि वे इसका सर्वोत्तम उपयोग करके अपनी दक्षता बढ़ाएं। उन्होंने कहाकि विद्यार्थी समय और संसाधनों की बचत करके रचनात्मक और संवेदनशील कार्यों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, जिनके लिए सहानुभूति और मानवीय स्पर्श की आवश्यकता होती है।
राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से दिव्यांगजन, वरिष्ठ नागरिकों या अन्य जरूरतमंद वर्गों की मदद केलिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करने के बारेमें विचार करने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने कहाकि युवाओं में समाज और राष्ट्र को बदलने की अपार क्षमता मौजूद है, एक जागरुक और विकसित राष्ट्र बनाने में हमारे युवा बहुत बड़ा योगदान दे सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि हम सभीका कर्तव्य हैकि हम युवाओं को सही दिशा दिखाएं और उन्हें देश एवं समाज की प्रगति केलिए कार्य करने केलिए प्रोत्साहित करें। राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुईकि आईआईआईटी रांची की स्थापना के कुछही वर्ष में इसके संकाय और विद्यार्थियों ने ज्ञान सृजन के महत्व को रेखांकित किया है, वे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशनों में मूल शोधपत्रों एवं प्रकाशनों के माध्यम से योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहाकि आईआईआईटी रांची डेटा साइंस, बायो-इंफॉर्मेटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों से संबंधित अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं और अनुसंधान तथा विकास प्रकोष्ठों के जरिए विद्यार्थियों को भविष्य केलिए तैयार कर रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि आनेवाले समय में अनुसंधान और नवाचार के केंद्र के रूपमें आईआईआईटी रांची अपनी उल्लेखनीय पहचान बनाएगा।
द्रौपदी मुर्मु ने आईआईआईटी रांची से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, उद्योग केसाथ सहयोग करने और विद्यार्थियों को व्यक्तिगत एवं पेशेवर स्तरपर आनेवाली चुनौतियों केलिए तैयार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि तकनीकी रूपसे कुशल और शिक्षित होने केसाथ-साथ हमारे युवाओं को सामाजिक, मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक रूपसे भी फिट होना चाहिए। उन्होंने राजभवन रांची में झारखंड सरकार द्वारा उनके सम्मान में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में भी भाग लिया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहाकि झारखंड राज्य को बने भले ही ज्यादा समय न हुआ हो, लेकिन प्राचीनकाल से इस क्षेत्र की अपनी विशिष्ट पहचान है, पर्यावरण संकटकाल में झारखंड के लोगों ने जल, जंगल और जमीन को लेकर जो संरक्षण की भावना और प्राकृतिक जीवनशैली अपनाकर मिसाल पेश की है, वह काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहाकि बहुमूल्य वन संपदा की रक्षा और संवर्धन करते हुए विकास के पथ आगे बढ़ना ही सतत विकास का सही तरीका है। राष्ट्रपति ने कहाकि व्यक्ति पर समूह को प्राथमिकता देना झारखंड के समाज की मौलिक विशेषता है। उन्होंने सभीसे सहयोग और सामूहिकता की इस भावना को और मजबूत करने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहाकि झारखंड राज्य अपने आकर्षक प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है, यहां पर्यावरण पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने विश्वास जतायाकि इस क्षेत्र के समुचित विकास से राज्य के युवाओं को रोज़गार और उद्यमशीलता के कई अवसर उपलब्ध होंगे। राष्ट्रपति ने कहाकि अपने बेशकीमती खनिजों के कारण ही झारखंड की भूमि रत्नगर्भ कहलाती है, खनिज संपदा के मामले में यह देश के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है, लेकिन झारखंड के सबसे कीमती रत्न राज्य के मेहनती, भोले-भाले और सरल लोग हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि झारखंड में कई आधुनिक उद्योग विशेष रूपसे खनिज पदार्थों पर आधारित स्थापित हुए हैं, इनसे आधुनिक विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ है। उन्होंने कहाकि हाल के वर्ष में झारखंड में आधारभूत संरचना विकसित करने की दिशा में व्यापक स्तरपर प्रयास हुए हैं और आधुनिक विकास का फायदा समाज के सभी वर्गों खासतौर से अंतिम छोर पर मौजूद लोगों तक पहुंचना चाहिए। राष्ट्रपति ने झारखंड के खूंटी में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के एक महिला सम्मेलन में हिस्सा लिया और जनसभा को संबोधित किया।
राष्ट्रपति ने कहाकि महिला होना या आदिवासी समाज में जन्म लेना कोई नुकसान की बात नहीं है, हमारे देश में महिलाओं के योगदान के अनगिनत प्रेरक उदाहरण मौजूद हैं और महिलाओं ने सामाजिक सुधार, राजनीति, अर्थव्यवस्था, शिक्षा, विज्ञान एवं अनुसंधान, व्यवसाय, खेल-कूद और सैन्य बलों तथा कई अन्य क्षेत्रों में अमूल्य योगदान दिया है। उन्होंने कहाकि किसीभी क्षेत्र में सफल होने केलिए यह बहुत जरूरी हैकि वे अपनी प्रतिभा को पहचानें और दूसरों के पैमाने पर अपना आकलन न करें। उन्होंने महिलाओं से अपने भीतर की असीम शक्ति को जगाने का अनुरोध किया। राष्ट्रपति ने कहाकि महिला सशक्तिकरण के सामाजिक और आर्थिक दोनों पहलू समान रूपसे महत्वपूर्ण हैं। उनसे अपनी प्रतिभा को पहचानने और आत्मविश्वास केसाथ आगे बढ़ने का अनुरोध किया। राष्ट्रपति ने कहाकि महिला शक्ति झारखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ऊर्जा प्रदान करती है, इसे देखते हुए झारखंड में अधिक से अधिक महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ना और उनके कौशल का विकास करके रोज़गार प्रदान करने का काम बहुत जरूरी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि इस सम्मेलन के माध्यम से महिलाएं अपने अधिकारों और उनके हित में संचालित सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारेमें अधिक जागरुक होंगी।