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Saturday 29 July 2023 04:08:11 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की तीसरी वर्षगांठ पर आज भारत मंडपम में अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया है। प्रधानमंत्री ने समागम में उपस्थित विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए कहाकि शिक्षा ही है, जिसमें देश को सफल बनाने, देश का भाग्य बदलने की सर्वाधिक ताकत है। उन्होंने कहाकि आज 21वीं सदी का भारत जिन लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है, उसमें हमारी शिक्षा व्यवस्था का भी बहुत ज्यादा महत्व है, इसलिए अखिल भारतीय शिक्षा समागम का हिस्सा बनना उनके लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर है। प्रधानमंत्री ने कहाकि विद्या केलिए विमर्श-संवाद जरूरी होता है, खुशी हैकि अखिल भारतीय शिक्षा समागम के इस सत्र के जरिए हम विमर्श और विचार की अपनी परंपरा को और बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहाकि इसके पहले ऐसा आयोजन काशी के नवनिर्मित रुद्राक्ष सभागार में हुआ था, इसबार ये समागम दिल्ली के इस नवनिर्मित भारत मंडपम में हो रहा है और भारत मंडपम के लोकार्पण केबाद ये पहला एवं शिक्षा से जुड़ा कार्यक्रम है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि काशी के रुद्राक्ष से आधुनिक भारत मंडपम तक अखिल भारतीय शिक्षा समागम की इस यात्रा में एक संदेश भी छिपा है, ये संदेश है-प्राचीनता और आधुनिकता के संगम का यानी एक ओर हमारी शिक्षा व्यवस्था भारत की प्राचीन परंपराओं को सहेज रही है तो दूसरी तरफ आधुनिक साइंस और हाइटेक टेक्नोलॉजी, इस फील्ड में भी हम उतना ही तेजीसे आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के 3 साल भी पूरे हो रहे हैं, देशभर के बुद्धिजीवियों, शिक्षाविद और टीचर्स ने इसे एक मिशन के रूपमें लिया और आगे भी बढ़ाया है। उन्होंने कहाकि यहां आने के पहले उन्होंने पवेलियम में प्रदर्शनी देखी, जिसमें स्किल और एजुकेशन सेक्टर की ताकत, उपलब्धियों को दिखाया गया है, नवाचार तरीके दिखाए गए हैं। प्रधानमंत्री बाल वाटिका में बच्चों से मिले, बच्चे खेल-खेल में कैसे कितना कुछ सीख रहे हैं, कैसे शिक्षा और स्कूलिंग के मायने बदल रहे हैं देखा और सभी से आग्रह कियाकि कार्यक्रम समाप्त होने केबाद जब मौका मिले तो जरूर वहां जा करके उन सारी गतिविधियों को देखें।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि जब युग बदलने वाले परिवर्तन होते हैं तो वो अपना समय लेते हैं, तीन साल पहले जब हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा की थी तो एक बहुत बड़ा कार्यक्षेत्र हमारे सामने था, लेकिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने केलिए जो कर्तव्यभाव, समर्पण दिखाया और खुले मन से नए विचारों, नए प्रयोगों को स्वीकार करने का साहस दिखाया गया है, ये वाकई अभिभूत करने वाला है और नया विश्वास पैदा करने वाला है। उन्होंने कहाकि सभी ने इसे एक मिशन के तौरपर लिया है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पारंपरिक ज्ञान प्रणाली से भविष्य की तकनीक तक उसको बराबर अहमियत दी गई है। प्रधानमंत्री ने कहाकि प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में नया पाठ्यक्रम तैयार करने, क्षेत्रीय भाषाओं की पुस्तकें और उच्चशिक्षा केलिए देश में रिसर्च इकोसिस्टम को मजबूत करने केलिए देश के शिक्षा जगत के सभी महानुभावों ने बहुत परिश्रम किया है। उन्होंने कहाकि देश के सामान्य नागरिक और हमारे विद्यार्थी नई व्यवस्था से भली-भांति परिचित हैं, वो ये जान गए हैंकि 'दस प्लस दो' एजुकेशन सिस्टम की जगह अब 'पांच प्लस तीन-प्लस तीन प्लस चार' प्रणाली पर अमल हो रहा है, पढ़ाई की शुरुआत भी अब तीन साल की आयु से होगी, इससे देश में एकरूपता आएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हालही में संसद में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बिल पेश करने केलिए कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क जल्द ही लागू हो रहा है, फाउंडेशन स्टेज यानी 3 से 8 साल के बच्चों केलिए फ्रेमवर्क तैयार भी हो गया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि स्वाभाविक तौरपर अब देश में सीबीएसई स्कूलों में एक तरह का पाठ्यक्रम होगा, इसके लिए एनसीईआरटी नई पाठ्यपुस्तकें तैयार कर रही है, तीसरी से 12वीं कक्षा तक लगभग 130 विषयों की नई किताबें आ रही हैं, क्योंकि अब शिक्षा क्षेत्रीय भाषाओं में भी दी जानी है, इसलिए ये पुस्तकें 22 भारतीय भाषाओं में होंगी। नरेंद्र मोदी ने कहाकि युवाओं को उनकी प्रतिभा की जगह उनकी भाषा के आधार पर जज किया जाना उनके साथ सबसे बड़ा अन्याय है। उन्होंने कहाकि मातृभाषा में पढ़ाई होने से भारत के युवा टेलेंट केसाथ अब असली न्याय की शुरुआत होने जा रही है और ये सामाजिक न्याय का भी अहम कदम है। उन्होंने कहाकि दुनिया में सैंकड़ों अलग-अलग भाषाएं हैं, हर भाषा की अपनी अहमियत है, दुनिया के ज़्यादातर विकसित देशों ने अपनी भाषा की बदौलत बढ़त हासिल की है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि अगर हम केवल यूरोप को ही देखें तो वहां ज़्यादातर देश अपनी-अपनी नेटिव भाषा का ही इस्तेमाल करते हैं, लेकिन हमारे यहां इतनी सारी समृद्ध भाषाएं होने के बावजूद हमने अपनी भाषाओं को पिछड़ेपन के तौरपर पेश किया, इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है। उन्होंने कहाकि कोई कितना भी इनोवेटिव माइंड क्यों न हो, अगर वो अंग्रेजी नहीं बोल सकता था तो उसकी प्रतिभा को जल्दी स्वीकार नहीं किया जाता था, इसका सबसे बड़ा नुकसान हमारे ग्रामीण अंचल के होनहार बच्चों को उठाना पड़ा है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि आजादी के अमृतकाल में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए देश ने इस हीनभावना को भी पीछे छोड़ने की शुरुआत की है और मैं तो यूएन में भी भारत की भाषा बोलता हूं सुनने वाले को ताली बजाने में देर लगेगी तो लगेगी। उन्होंने कहाकि अब सोशल साइंस से इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई भी भारतीय भाषाओं में होगी, युवाओं के पास भाषा का आत्मविश्वास होगा तो उनका हुनर, प्रतिभा भी खुलकर सामने आएगी और भाषा की राजनीति करके अपनी नफरत की दुकान चलाने वालों का भी शटर डाउन हो जाएगा। उन्होंने कहाकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से देश की हर भाषा को सम्मान और बढ़ावा मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आने वाले 25 साल बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, इनमें हमें ऊर्जा से भरी एक युवा पीढ़ी का निर्माण करना है, एक ऐसी पीढ़ी, जो गुलामी की मानसिकता से मुक्त हो, जो नए-नए नवाचार केलिए लालायित हो, जो साइंस से स्पोर्ट्स तक हर क्षेत्र में भारत का नाम रोशन करे, जो 21वीं सदी के भारत की आवश्यकताओं को समझते हुए अपना सामर्थ्य बढ़ाए और जो कर्तव्य बोध से भरी हुई हो अपने दायित्वों को जानती हो-समझती हो और इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बहुत बड़ी भूमिका है। प्रधानमंत्री ने कहाकि क्वालिटी एजुकेशन की दुनिया में कई पैरामीटर्स हैं, लेकिन जब हम भारत की बात करते हैं तो हमारा एक बड़ा प्रयास है-समानता! राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्राथमिकता है-भारत के हर युवा को समान शिक्षा मिले, शिक्षा के समान अवसर मिलें। उन्होंने कहाकि जब हम समान शिक्षा और समान अवसरों की बात करते हैं तो ये ज़िम्मेदारी केवल स्कूल खोल देने मात्र से पूरी नहीं हो जाती, समान शिक्षा का मतलब है शिक्षा के साथ-साथ संसाधनों तक समानता पहुंचनी चाहिए, हर बच्चे की समझ और चॉइस के हिसाब से उसे विकल्पों का मिलना, स्थान वर्ग क्षेत्र के कारण बच्चे शिक्षा से वंचित न रहें। उन्होंने कहाकि इसीलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विज़न हैकि गांव-शहर, अमीर-गरीब हर वर्ग में युवाओं को एक जैसे अवसर मिलें।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज देशभर में हजारों स्कूलों को पीएमश्री स्कूल के तौरपर अपग्रेड किया जा रहा है, 5जी के युग में ये आधुनिक हाईटेक स्कूल भारत के विद्यार्थियों केलिए आधुनिक शिक्षा का माध्यम बनेंगे। उन्होंने उल्लेख कियाकि आदिवासी इलाकों में एकलव्य आदिवासीय स्कूल भी खोले जा रहे हैं, गांव-गांव इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है, दीक्षा स्वयं और स्वयंप्रभा जैसे माध्यमों से दूर-दराज के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की एक बड़ी प्राथमिकता ये भी हैकि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित न रहे, बल्कि व्यावहारिक शिक्षा इसका हिस्सा बने, इसके लिए व्यावसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा केसाथ एकीकृत करने का काम भी हो रहा है, इसका सबसे बड़ा लाभ कमजोर, पिछड़े और ग्रामीण परिवेश के बच्चों को ज्यादा होगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि किताबी पढ़ाई के बोझ के कारण यही बच्चे सबसे ज्यादा पिछड़ते थे, लेकिन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अब नए तरीकों से पढ़ाई होगी, अटल टिंकरिंग लैब्स में 75 लाख से ज्यादा बच्चे साइंस और इनोवेशन सीख रहे हैं, साइंस अब सबके लिए समान रूपसे सुलभ हो रही है। उन्होंने कहाकि यही नन्हें वैज्ञानिक आगे चलकर देश के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स को लीड करेंगे, भारत को दुनिया का रिसर्च हब बनाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि विश्व भारत को नई संभावनाओं की नर्सरी के रूपमें देख रहा है, दुनिया जानती हैकि जब सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी की बात आएगी तो भविष्य भारत का है, जब स्पेस टेक की बात होगी तो भारत की क्षमता का मुकाबला आसान नहीं है, जब डिफेंस टेक्नोलॉजी की बात होगी तो भारत का लो कॉस्ट और बेस्ट क्वालिटी का मॉडल ही हिट होने वाला है, दुनिया के इस भरोसे को हमें कमजोर नहीं पड़ने देना है। उन्होंने कहाकि बीते वर्षों में जिस तेजी से भारत की औद्योगिक साख बढ़ी है, हमारे स्टार्टअप्स की धमक दुनिया में बढ़ी है, उसने हमारी शैक्षणिक संस्थानों का सम्मान भी विश्वभर में बढ़ाया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि तमाम ग्लोबल रैंकिंग्स में इंडियन इंस्टीट्यूट्स की संख्या बढ़ रही है, हमारे आईआईटी के दो-दो कैंपस जंजिबार और अबू धाबी में खुल रहे हैं, कई दूसरे देश भी अपने यहां हमसे आईआईटी कैंपस खोलने का आग्रह कर रहे हैं, दुनिया में इससे मांग बढ़ रही है। उन्होंने कहाकि हमारे एजुकेशन इकोसिस्टम में सकारात्मक बदलावों के कारण कई ग्लोबल यूनिवर्सिटीज़ भी भारत में अपने कैंपस खोलना चाहती हैं, ऑस्ट्रेलिया की दो यूनिवर्सिटीज़ गुजरात के गिफ्ट सिटी में अपने कैंपस खोलने वाली हैं, इन सफलताओं केबीच हमें अपनी शिक्षण संस्थानों को लगातार मजबूत करना है, इन्हें फ्यूचर रेडी बनाने केलिए निरंतर मेहनत करनी है। उन्होंने कहाकि हमें हमारे इंस्टीट्यूट्स, यूनिवर्सिटीज़, स्कूल्स और कॉलेजेज़ को इस क्रांति का केंद्र बनाना है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि समर्थ युवाओं का निर्माण सशक्त राष्ट्र के निर्माण की सबसे बड़ी गारंटी होती है और युवाओं के निर्माण में पहली भूमिका माता-पिता और शिक्षकों की होती है, इसलिए मैं शिक्षकों और अभिभावकों से कहना चाहूंगाकि बच्चों को हमें खुली उड़ान देने का मौका देना ही होगा, हमें उनके भीतर आत्मविश्वास भरना है, ताकि वो हमेशा कुछ नया सीखने और करने का साहस कर सकें, हमें भविष्य पर नज़र रखनी होगी, हमें फ्यूचर माइंडसेट केसाथ सोचना होगा, हमें बच्चों को किताबों के दबाव से मुक्त करना होगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज हम देख रहे हैंकि कृत्रिम प्रौद्योगिकी जैसी टेक्नोलॉजी, जो कल तक साइन्स फ़िक्शन में होती थी, वो अब हमारे जीवन का हिस्सा बन रही है, रोबोटिक्स और ड्रोन टेक्नोलॉजी हमारे दरवाजे पर दस्तक दे चुकी है, इसलिए हमें पुरानी सोच से निकलकर नए दायरों में सोचना होगा, हमें अपने बच्चों को उसके लिए तैयार करना होगा। उन्होंने कहाकि हमारे स्कूलों में फ्युचर टेक से जुड़े इंटरैक्टिव सेशन हों, आपदा प्रबंधन हो, क्लाइमेट चेंज हो या क्लीन एनर्जी जैसे विषय हों, हमारी नई पीढ़ी को हमें इनसे भी रूबरू कराना होगा, इसलिए हमें हमारी शिक्षा व्यवस्था को इस तरह से तैयार करना होगा, ताकि युवा इस दिशा में जागरुक हों, उनकी जिज्ञासा भी बढ़े।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत भी जैसे-जैसे मजबूत हो रहा है, भारत की पहचान और परम्पराओं में भी दुनिया की दिलचस्पी बढ़ रही है, हमें इस बदलाव को विश्व की अपेक्षा के तौरपर लेना होगा। उन्होंने कहाकि योग, आयुर्वेद, कला, संगीत, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में भविष्य की अपार संभावनाएं जुड़ी हैं, हमें हमारी नई पीढ़ी को इनसे परिचित करवाना होगा। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि अखिल भारतीय शिक्षा समागम केलिए ये सभी विषय प्राथमिकता में होंगे। उन्होंने कहाकि भारत के भविष्य को गढ़ने के सबके प्रयास एक नए भारत की नींव का निर्माण करेंगे और विश्वास हैकि 2047 में हम सबका सपना है, हम सबका संकल्प हैकि जब देश आजादी के 100 साल मनाएगा, हमारा देश विकसित भारत होकर रहेगा और ये कालखंड उन युवाओं के हाथ में है, जो आज ट्रेनिंग ले रहे हैं, जो आज तैयार हो रहे हैं, वो कल देश को तैयार करने वाले हैं, इसलिए युवा के हृदय में संकल्प का भाव जगे, उस संकल्प को साकार करने केलिए परिश्रम की पराकाष्ठा हो, सिद्धि प्राप्त करके रहें, इस इरादे से आगे बढ़ें।