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युवा लोकतंत्र के योध्या हैं-उपराष्ट्रपति

नालंदा विवि में छात्रों कर्मचारियों व शिक्षकों को संबोधन

'शिक्षा क्षेत्र में दुनिया में नालंदा जैसा शक्तिशाली केंद्र नहीं'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 1 October 2023 12:57:22 PM

vice president jagdeep dhankhar in nalanda

गया (बिहार)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय के छात्रों, कर्मचारियों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा हैकि शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया में नालंदा जैसा शक्तिशाली केंद्र नहीं है, क्योंकि इसका इतिहास और विरासत दुनिया में अलग है और लोग इसे सलाम करते हैं, आपको इस विरासत को ऊंचे स्तरपर ले जाना है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि नालंदा का पुनर्जन्म हमें ज्ञान के प्रसार केलिए वैश्विक आधार प्रदान करेगा और हालही में संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन की पृष्ठभूमि में नालंदा महाविहार छवि के उपयोग की प्रशंसा की। उन्होंने कहाकि नालंदा की उस पृष्ठभूमि में नेताओं का स्वागत और अभिनंदन किया गया, जो आपके ज्ञान की स्वीकार्यता, गैर विवादास्पद, गैर टकरावपूर्ण, सहयोगात्मक, सहकारी, सहमतिपूर्ण और विकास केलिए अनुकूल है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस अवसर पर यहभी कहाकि यह चिंतन, मनन और चिंता का विषय हैकि कुछ लोग राजनीतिक चश्मा पहनकर संवैधानिक संस्थाओं पर अनुचित टिप्पणियां करते हैं। उपराष्ट्रपति ने इस तरह के व्यवहार को हमारे सांस्कृतिक लोकाचार के खिलाफ बताते हुए कहाकि जो व्यक्ति जितने ऊंचे पद पर होता है, उसका आचरण उतना ही मर्यादित होना चाहिए, राजनीतिक लाभ केलिए कोईभी टिप्पणी करना अच्छी बात नहीं है। जब संवैधानिक संस्थाओं की बात आती है तो सभीको काफी जिम्मेदार होने का आह्वान करते हुए उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दियाकि हमें केवल राजनीतिक लाभ केलिए संवैधानिक पदाधिकारियों को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए, यह स्वीकार्य नहीं है।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि दुनिया ज्ञान, उदात्तता, सहनशीलता और अन्य दृष्टिकोणों को सुनने के अच्छे गुणों पर पनपती है। उन्होंने दूसरों के दृष्टिकोण केप्रति सम्मान रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहाकि इसके बारेमें निर्णयात्मक मत बनो। यह स्वीकार करते हुएकि शिक्षा मानव जाति केप्रति सम्मान पैदा करती है उपराष्ट्रपति ने कहाकि यह आपकी सोच का विस्तार करती हैकि आप गांव, राज्य या राष्ट्र के संदर्भ में नहीं सोचते, आप विश्वस्तर पर सोचते हैं। उन्होंने छात्रों को सलाह दीकि वे जिज्ञासु बनें और नालंदा छोड़ने केबाद भी ज्ञान अर्जित करते रहें और उसका प्रसार करें तथा उसका लाभ दूसरों को भी दें। युवाओं को 'लोकतंत्र के योध्या' बताते हुए उन्होंने उन्हें देश की छवि खराब करने केलिए सोशल मीडिया पर चलरहे नरेटिव के बारेमें आगाह किया और उनसे ऐसे मुद्दों पर अपने मन की बात कहने को कहा।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि यह आपकी बुद्धिमत्ता है, जिसे इस तरह के आख्यानों को बेअसर करना है, यह इस समाज केप्रति आपका दायित्व हैकि आपको ऐसे भयावह विचारों और आख्यानों को रोकने केलिए सक्रिय होना चाहिए। उन्होंने कहाकि भारत को बहुत बड़ी भूमिका निभानी है और भारत केलिए यह भूमिका कुछ ऐसी है, जो केवल युवा दिमाग ही कर सकते हैं। उपराष्ट्रपति ने भारत में अपनी तरह का पहला शून्य उत्सर्जन और शून्य अपशिष्ट परिसर होने केलिए नालंदा विश्वविद्यालय परिसर की प्रशंसा भी की। इस अवसर पर डॉ सुदेश धनखड़, बिहार सरकार में मंत्री श्रवण कुमार, नालंदा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद कौशलेंद्र कुमार, नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति अभय कुमार सिंह, छात्र, संकाय और कर्मचारी उपस्थित थे।

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