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तंजानियाई राष्ट्रपति को भारत में शैक्षिक सम्मान

भारत-तंजानिया संबंधों में राष्ट्रपति सामिया सुलुहू की अहम भूमिका

जेएनयू की ओर से मानद डॉक्टरेट उपाधि से सम्मानित किया गया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 11 October 2023 11:50:31 AM

tanzanian president gets educational honor in india

नई दिल्ली। तंजानिया की पहली महिला राष्ट्रपति डॉ सामिया सुलुहू हसन को भारत और तंजानिया संबंधों को मजबूत करने, आर्थिक कूटनीति को बढ़ावा देने, क्षेत्रीय एकीकरण और बहुपक्षवाद में सफलता हासिल करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका केलिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने मानद डॉक्टरेट उपाधि से सम्मानित किया है। राष्ट्रपति डॉ सामिया सुलुहू हसन ने इस अवसर पर खुदको भारतीय शिक्षा के उत्पाद के रूपमें स्वीकार किया, उन्‍होंने इसका श्रेय एनआईआरडी हैदराबाद में अपने आईटीईसी प्रशिक्षण को दिया। राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन उन्हें दी गई उल्लेखनीय पहचान से अभिभूत थीं, क्योंकि किसी विदेशी विश्वविद्यालय से उन्हें सम्मानित किया गया, यह उनका पहला पुरस्कार है। उन्होंने कहाकि न केवल इसके प्राकृतिक दृश्यों की सुंदरता, बल्कि उदारता और यहां के लोगों की दयालुता भी भारत को अतुल्य भारत बनाती है। उन्होंने कहाकि भारत एक विस्तृत परिवार का सदस्य है, जो केवल समुद्रतट से अलग हुआ है, एक रणनीतिक सहयोगी, एक भरोसेमंद साथी और हर परिस्थिति में एक दोस्त है।
तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन ने इस बात पर प्रकाश डालाकि भारत ग्लोबल साउथ और विकासशील देशों केप्रति सच्चा और वफादार है। उन्होंने इस तथ्य की सराहना कीकि भारत ने बहुपक्षवाद के महत्व को बरकरार रखा है और बाजार (लाभ से अधिक लोगों) से अधिक समाज को महत्व दिया है। उन्होंने मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान करने का सौभाग्य मिलने पर प्रतिष्ठित संस्थान जेएनयू केप्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने टिप्पणी कीकि उन्होंने मानद उपाधि को अपने प्रयासों की परिणति के रूपमें नहीं, बल्कि उस असीम क्षमता की पुष्टि के रूपमें स्वीकार किया है, जो कड़ी मेहनत, समर्पण और निस्वार्थता हम सभीके लिए है। उन्होंने कहाकि भारत-अफ्रीका साझेदारी केलिए मेल-मिलाप का एक अन्य क्षेत्र न्यायसंगत और हरित ऊर्जा परिवर्तन केलिए प्रभावशाली लड़ाई है। उन्होंने भारतीय व्यंजनों, संगीत, फिल्मों सहित भारतीय आकर्षण केप्रति अपना शौक भी व्यक्त किया। शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने राष्ट्रपति डॉ सामिया सुलुहू हसन को इस सम्मान केलिए बधाई दी, जो भारत और तंजानिया केबीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने में उनके दीर्घकालिक प्रयासों को मान्यता देता है।
भारत के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अफ्रीकी संघ को जी-20 के हिस्से के रूपमें शामिल करने के अथक प्रयास केलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त कीकि किसीभी आईआईटी का देश के बाहर पहला कैंपस ज़ंज़ीबार में स्थापित किया जा रहा है और इसका उद्घाटन इस साल नवंबर की शुरुआत में होगा। उन्होंने कहाकि संस्थान तंजानिया और अन्य अफ्रीकी देशों के छात्रों को विश्वस्तरीय इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी शिक्षा तक पहुंच प्रदान करके दोनों देशों और महाद्वीपों केबीच शैक्षिक सहयोग में एक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने उल्लेख कियाकि ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं को बढ़ाने विशेष रूपसे शिक्षा और मानव संसाधन विकास पर भारत के प्रमुख अफ्रीकी साझेदार तंजानिया के समर्थन की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि कौशलकेंद्रित और बाजार से जुड़ी उच्चशिक्षा को सहयोगात्मक तरीके से दोनों देशों के युवाओं तक पहुंचाया जाना है। शिक्षा मंत्री ने प्रकाश डालाकि भारत में 55000 संस्थानों, 42 मिलियन छात्रों और 1.6 मिलियन शिक्षकों केसाथ एक जीवंत उच्चशिक्षा इकोसिस्टम है, जिसे महत्वाकांक्षी एनईपी 2020 केसाथ और मजबूत करने की आवश्यकता है, जो परिवर्तनकारी सुधार ला रही है।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहाकि पहुंच, समानता, गुणवत्ता, सामर्थ्य और जवाबदेही जिम्मेदार वैश्विक नागरिक बनाने के मूलभूत स्तंभ हैं। उन्होंने कहाकि शिक्षा प्रणाली केलिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में काफी प्रगति हुई है। कार्यक्रम में विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर भी उपस्थित थे। उन्होंने उल्लेख कियाकि राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन को शैक्षिक सम्मान प्रदान करना भारत केसाथ उनके लंबे जुड़ाव और दोस्ती को मान्यता देता है। उन्होंने कहाकि शिक्षा और क्षमता निर्माण दोनों देशों केबीच द्विपक्षीय संबंधों के महत्वपूर्ण पहलू हैं। उन्होंने बतायाकि आईटीईसी कार्यक्रम केतहत तंजानिया के 5000 से अधिक नागरिकों को पहले ही भारतीय शैक्षणिक संस्थानों में प्रशिक्षित किया जा चुका है। उन्होंने कहाकि ज़ंज़ीबार में पहला विदेशी आईआईटी स्थापित करने केलिए तंजानिया पसंदीदा स्थान है। एस जयशंकर ने कहाकि संस्थान में पूरे अफ्रीकी महाद्वीप केलिए तकनीकी शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र बनने की क्षमता है। उन्होंने कहाकि जी20 में पूर्ण सदस्य के रूपमें अफ्रीकी संघ को शामिल करना भारतीय राष्ट्रपति पद की सर्वोच्च सफलताओं में से एक है। उन्होंने टिप्पणी कीकि अफ्रीका का उदय वैश्विक पुनर्संतुलन का केंद्र है और इसके प्रति भारत का समर्थन निर्विवाद है।
जी20 शिखर सम्मेलन और नई दिल्ली घोषणा के दौरान भारत द्वारा हासिल महत्वपूर्ण सफलता पर प्रकाश डालते हुए जेएनयू की कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने उल्लेख कियाकि यह विचारों को सामने रखने, वैश्विक मुद्दों को आकार देने, विभाजन को पाटने और आम सहमति बनाने की भारत की असाधारण क्षमताओं का प्रमाण है। उन्होंने बतायाकि जेएनयू में अफ्रीकी अध्ययन केंद्र है, जो 1969 में शुरू हुआ था और 2009 में एक विशेष केंद्र बन गया एवं नेल्सन मंडेला चेयर विदेश मंत्रालय ने स्थापित किया था। इस दौरान कार्यक्रम में शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के चांसलर कंवल सिब्बल, तंजानिया का प्रतिनिधिमंडल, 15 अफ्रीकी मिशनों के प्रमुख, शिक्षाविद्, भारत में पढ़ रहे तंजानिया के छात्र और मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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