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सिंधिया स्कूल के वार्षिकोत्सव में पहुंचे मोदी

'माधवराव सिंधिया ने भावी पीढ़ियों केलिए देखा था उज्ज्वल सपना'

बहुउद्देशीय खेल परिसर की नींव रखी व विद्यार्थि‍यों को पुरस्कार दिए

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 22 October 2023 11:40:49 AM

pm narendra modi reached the annual function of scindia school

ग्वालियर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्वालियर में द सिंधिया स्कूल के 125वें संस्थापक दिवस के वार्षिकोत्सव में शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहाकि सिंधिया स्कूल सिर्फ एक संस्था नहीं, बल्कि एक विरासत है। उन्होंने कहाकि आजादी से पहले और आजादी केबाद भी सिंधिया स्कूल ने महाराज माधवराव सिंधिया के संकल्पों को लगातार आगे बढ़ाया है, माधवराव सिंधिया ने भावी पीढ़ियों केलिए उज्ज्वल भविष्य का सपना देखा था। इस दौरान प्रधानमंत्री ने स्कूल में बहुउद्देशीय खेल परिसर की आधारशिला रखी और विशिष्‍ट पूर्व विद्यार्थि‍यों एवं शीर्ष उपलब्धि हासिल करने वालों को स्कूल के वार्षिक पुरस्कार प्रदान किए। प्रधानमंत्री ने स्मारक डाक टिकट जारी किया, शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और विशिष्‍ट प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। प्रधानमंत्री ने सिंधिया स्कूल की 125वीं वर्षगांठ और आजाद हिंद सरकार के स्थापना दिवस पर बधाई देते हुए सिंधिया स्कूल और ग्वालियर शहर के प्रतिष्ठित इतिहास के उत्सव का हिस्सा बनने का अवसर मिलने केलिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने ऋषि ग्वालिपा, महान संगीतज्ञ तानसेन, महाद सिंधिया, राजमाता विजया राजे, अटल बिहारी वाजपेयी और उस्ताद अमजद अली खान का उल्लेख किया और कहाकि ग्वालियर की धरती पर हमेशा ही ऐसे लोगों का जन्म हुआ है, जो दूसरों केलिए प्रेरणा बनते हैं। गौरतलब हैकि सिंधिया स्कूल की स्थापना वर्ष 1897 में हुई थी और यह ऐतिहासिक ग्वालियर किले के शीर्ष पर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि यह नारी शक्ति और वीरता की भूमि है, इस भूमि पर महारानी गंगाबाई ने स्वराज हिंद फौज को आवश्‍यक निधि देने केलिए अपने आभूषण बेच दिए थे। प्रधानमंत्री ने भारत और वाराणसी की संस्कृति के संरक्षण में सिंधिया परिवार के व्‍यापक योगदान का भी उल्लेख किया। उन्होंने इस परिवार द्वारा काशी में बनवाए गए कई घाटों और बीएचयू में बहुमूल्‍य योगदान को स्‍मरण किया। उन्होंने कहाकि काशी में आजकी विकास परियोजनाओं पर इस परिवार के दिग्गजों को अवश्‍य ही अत्‍यंत संतोष होगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि ज्योतिरादित्य सिंधिया गुजरात के दामाद हैं और इस नाते ग्वालियर से मेरी भी रिश्तेदारी है। एक और भी नाता है मेरा गांव गायकवाड़ स्‍टेट का गांव था, जहां सबसे पहला प्राथमिक स्‍कूल बना, वो गायकवाड़ परिवार ने बनाया था और मेरा सद्भाग्‍य हैकि मैं वहां मुफ्त में प्राथमिक शिक्षा लेता था। उन्होंने गुजरात में अपने मूल निवास स्थान पर गायकवाड़ परिवार के बहुमूल्‍य योगदान का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना के दीर्घकालिक लाभों पर विशेष जोर देते हुए महाराजा माधवराव प्रथम को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने इस तथ्य का भी उल्लेख कियाकि महाराजा ने एक सार्वजनिक परिवहन प्रणाली भी स्थापित की थी, जो अभीभी दिल्ली में डीटीसी के रूपमें कार्य कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल संरक्षण और सिंचाई केलिए उनकी ओर से की गई विशिष्‍ट पहल का जिक्र किया और बतायाकि हरसी बांध यहां तककि 150 साल बादभी एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध है। प्रधानमंत्री ने कहाकि उनका दृष्टिकोण हमें लंबी अवधि केलिए काम करना और इसके साथही जीवन के हर क्षेत्र में शॉर्टकट से बचना सिखाता है। प्रधानमंत्री ने 2014 में भारत के प्रधानमंत्री पद का दायित्व संभालने केबाद तत्काल परिणामों केलिए काम करने या दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाने के दो विकल्पों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित कियाकि सरकार ने 2, 5, 8, 10, 15 और 20 वर्ष से लेकर विभिन्न समय बैंड के साथ काम करने का निर्णय लिया और अब जब सरकार 10 वर्ष पूरे करने के करीब है तो दीर्घकालिक दृष्टिकोण केसाथ कई लंबित निर्णय लिए गए हैं। नरेंद्र मोदी ने विभिन्न उपलब्धियां गिनाईं, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने की छह दशक पुरानी मांग, सेना के पूर्व सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन देने की चार दशक पुरानी मांग, जीएसटी एवं तीन तलाक कानून की चार दशक पुरानी मांग, हालही में संसद में पारित नारी शक्ति वंदन अधिनियम का भी उल्लेख किया। नरेंद्र मोदी ने कहाकि सरकार युवा पीढ़ी केलिए ऐसा सकारात्मक माहौल बना रही है, जहां अवसरों की कोई कमी न हो।
प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहाकि वे बड़े सपने देखें और बड़ी उपलब्धियां हासिल करें। उन्होंने कहाकि जब भारत की आजादी के 100 वर्ष पूरे होंगे तो सिंधिया स्कूल भी अपने 150 वर्ष पूरे करेगा। प्रधानमंत्री ने विश्वास केसाथ कहाकि अगले 25 वर्ष में युवा पीढ़ी भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाएगी, मुझे युवाओं और उनकी क्षमताओं पर पूरा भरोसा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि ये युवा राष्ट्र के संकल्प को पूरा करेंगे। उन्होंने इस बात को दोहरायाकि अगले 25 वर्ष छात्रों केलिए उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जितने भारत के लिए। उन्होंने कहाकि सिंधिया स्कूल के प्रत्येक छात्र को भारत को एक विकसित भारत बनाने केलिए प्रयास करना चाहिए, चाहे वह प्रोफेशनल दुनिया में हो या किसी अन्य स्थान पर। प्रधानमंत्री ने कहाकि सिंधिया स्कूल के पूर्व छात्रों केसाथ उनकी बातचीत ने विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने की उनकी क्षमता में उनके विश्वास को मजबूत किया है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, रेडियो के दिग्गज अमीन सयानी, प्रधानमंत्री की लिखित गरबा प्रस्तुत करनेवाले मीत बंधुओं, सलमान खान और गायक नितिन मुकेश का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने भारत की मजबूत होती वैश्विक छवि पर जोर दिया। उन्होंने चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग और जी-20 के सफल आयोजन का जिक्र किया। उन्होंने भारत को सबसे तेजीसे बढ़ती अर्थव्यवस्था बताया। उन्होंने कहाकि फिनटेक को अपनाने की दर, रीयलटाइम डिजिटल लेनदेन और स्मार्टफोन डेटा उपयोग में भारत पहले स्थान पर है।
प्रधानमंत्री ने बतायाकि इंटरनेट यूजर्स की संख्या और मोबाइल विनिर्माण के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है, भारत केपास तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है और यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है। उन्होंने अंतरिक्ष स्टेशन केलिए भारत की तैयारी और गगनयान संबंधी सफल परीक्षण, तेजस और आईएनएस विक्रांत का भी जिक्र किया और कहाकि भारत केलिए कुछभी असंभव नहीं है। प्रधानमंत्री ने उन्हें अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्रों सहित उनके लिए खोले गए नए रास्तों के बारेमें बताया। प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों से लीक से हटकर सोचने केलिए कहा और उन्हें याद दिलायाकि पूर्व रेलमंत्री माधवराव सिंधिया की शताब्दी एक्सप्रेस रेलगाड़ियों को शुरू करने जैसी पहल को तीन दशक तक दोहराया नहीं गया और अब देश वंदे भारत और नमो भारत रेलगाड़ियों की शुरुआत होते हुए देख रहा है। प्रधानमंत्री ने स्वराज के संकल्पों के आधार पर सिंधिया स्कूल के सदनों के नाम पर प्रकाश डाला और कहाकि यह प्रेरणास्रोत है। उन्होंने शिवाजी हाउस, महाद हाउस, राणो हाउस, दत्ता हाउस, कानरखेड हाउस, नीमा हाउस और माधव हाउस का उल्लेख करते हुए कहाकि यह सप्त ऋषियों की ताकत की तरह है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विद्यार्थियों को 9 कार्य भी सौंपे और उन्हें इस प्रकार सूचीबद्ध किया जैसे-जल सुरक्षा केलिए जागरुकता अभियान चलाना, डिजिटल भुगतान के बारेमें जागरुक करना, ग्वालियर को भारत का सबसे स्वच्छ शहर बनाने का प्रयास करना, मेड इन इंडिया उत्पादों को प्रोत्साहन देना और वोकल फॉर लोकल दृष्टिकोण अपनाना, विदेश जाने से पहले भारत का अन्वेषण करें और देश के भीतर यात्रा करें, क्षेत्रीय किसानों केबीच प्राकृतिक खेती के बारेमें जागरुकता पैदा करें, दैनिक आहार में मोटे अनाज को शामिल करें, खेल, योग या किसीभी प्रकार की फिटनेस को जीवनशैली का अभिन्न अंग बनाएं और अंततः कम से कम एक ग़रीब परिवार का हाथ थामने को कहा। उन्होंने कहाकि इस रास्ते पर चलकर पिछले पांच वर्ष में 13 करोड़ लोग ग़रीबी से बाहर आए हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत आज जो कुछभी कर रहा है, वह बड़े पैमाने पर कर रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों से अपने सपनों और संकल्पों के बारेमें बड़ा सोचने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि आपका सपना मेरा संकल्प है और विद्यार्थियों को नमो ऐप के माध्यम से उनके साथ अपने विचार साझा करने या व्हाट्सएप पर उनसे जुड़ने का सुझाव दिया। वार्षिकोत्सव में मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सिंधिया स्कूल के निदेशक मंडल के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, जितेंद्र सिंह, स्कूल मैनेजमेंट कर्मचारी, अध्यापक और अभिभावक भी उपस्थित थे।

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