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Saturday 28 October 2023 12:54:35 PM
चेन्नई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने तमिलनाडु में भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को डिग्री और स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया और उन्हें बधाई एवं उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं भी दीं। राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहाकि उनकी न केवल पेशेवर जिम्मेदारी है, बल्कि समय की मांग हैकि नौवहन सहित समुद्री संबंधी टिकाऊ और कुशल गतिविधियां हों, स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र केलिए समुद्र में अधिक लचीली और हरित प्रथाएं आवश्यक हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि सबसे युवा केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक आईएमयू ने अपनी योग्यता साबित की है, आईएमयू केपास समुद्री क्षेत्र से संबंधित सभी मामलों में और अधिक प्रकाशस्तंभ बनने की क्षमता, संकाय और विशेषताएं हैं, इसमें समुद्री शिक्षा, अनुसंधान, प्रशिक्षण, शैक्षणिक भागीदारी और क्षमता निर्माण केलिए विश्वस्तर पर प्रशंसित उत्कृष्टता केंद्र के रूपमें चमकने की क्षमता है, जबकि समुद्री कानून, महासागर प्रशासन और समुद्री विज्ञान जैसे संबद्ध विषयों में अपनी विशेषज्ञता का विस्तार करने की भी क्षमता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विद्यार्थियों से कहाकि उनको कई अन्य व्यवसायों में समान उम्र में अपेक्षा से अधिक उच्च ज़िम्मेदारी उठाने केलिए तैयार रहना चाहिए, आपके पास अक्सर चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अपनी टीम के सदस्यों का मार्गदर्शन करने केलिए आवश्यक नेतृत्व गुण होने चाहिएं, एक मर्चेंट नेवी अधिकारी के रूपमें आपको पेशे की मांगों से निपटने केलिए विशेष गुण प्रदर्शित करने चाहिएं जैसेकि घर से कई महीने दूर रहना और क्रू सदस्यों केसाथ निकटता में रहना। राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहाकि उन्हें यकीन हैकि उनमें पहले से ही ये सभी गुण हैं और वे अपना कार्यभार संभालने में पूरी तरह सक्षम हैं। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि हमारे देश के सबसे बड़े समुद्री विश्वविद्यालय के रूपमें भारतीय समुद्री विश्वविद्यालय और इसके संबद्ध कॉलेजों ने उत्कृष्ट विशेषज्ञ, पेशेवर और नेता पैदा किए हैं। उन्होंने कहाकि उन्हें खुशी हैकि इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र के रूपमें वे उद्यमशील और प्रतिभाशाली कर्मियों की एक लंबी कतार में शामिल हो गए हैं, जिनके काम, नेतृत्व और बुद्धि ने समुद्री गतिविधियों की उन्नति में उल्लेखनीय और गहरा योगदान दिया है। राष्ट्रपति ने कहाकि समुद्र केसाथ मानवीय संबंध तबसे अस्तित्व में है, जब हमारे पूर्वजों ने पहलीबार समुद्र के पानी पर नज़र रखी थी, यहां तककि एक असाधारण कल्पना भी मानव सभ्यता के विकास में महासागरों की निभाई गई भूमिका केसाथ शायद ही न्याय कर सकती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि पानी के विशाल विस्तार ने हमें रहस्य और साज़िश, कहानियां और परंपराएं, संसाधन और खनिज प्रदान किए हैं। उन्होंने कहाकि आप इस कहावत से परिचित होंगेकि जो लहरों पर राज करता है, वह दुनिया पर राज करता है। राष्ट्रपति ने कहाकि इतिहास का एक सरसरी और संक्षिप्त अध्ययन यह दिखाने केलिए पर्याप्त हैकि जोभी महासागरों को नियंत्रित करता है उसकी पूरी दुनिया तक पहुंच होती है, कांडला से कोलकाता तक उसके बंदरगाहों से भारत केलिए उपलब्ध समुद्री मार्ग उसे शेष विश्व के सभी हिस्सों से जोड़ते हैं। उन्होंने कहाकि सड़कों या वायुमार्गों से बहुत पहले व्यापार, संस्कृति, लोग और विचार आमतौर पर समुद्र के रास्ते चलते हैं, इसका सबसे अच्छा उदाहरण सिंधु घाटी सभ्यता के बंदरगाह शहर लोथल में दुनिया के सबसे पुराने ज्ञात गोदी में से एक है, यह एक संपन्न व्यापार केंद्र था, जिसके मोतियों, रत्नों और आभूषणों की पहुंच पश्चिम एशिया और अफ्रीका तक थी। राष्ट्रपति ने बतायाकि दक्षिण भारत के पल्लवों के पास एक शक्तिशाली नौसेना थी, 10वीं और 11वीं शताब्दी में चोल की समुद्री शक्ति और कौशल बेजोड़ थे, जिसने हमारे व्यापार एवं परंपराओं को दूर-दूर तक फैलाया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि तमिलनाडु समुद्री यात्रियों की भूमि है, दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण भारत केबीच वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संपर्कों के प्रमाण मिले हैं, दक्षिणी भारत के चोल, चेर और पांड्यों ने सुमात्रा, जावा, मलय प्रायद्वीप, थाईलैंड और चीन के स्थानीय शासकों केसाथ समुद्री व्यापार संबंध स्थापित किए थे। ओडिशा, जिसे उस समय कलिंग के नाम से जाना जाता था, के लोग भी समुद्री मार्गों से दक्षिण पूर्व एशिया तक यात्रा करते थे। बाली यात्रा की परंपरा आजभी ओडिशा में लोकप्रिय है और यह अक्टूबर-नवंबर में लगभग एक सप्ताह तक आयोजित की जाती है। राष्ट्रपति ने कहाकि 7500 किलोमीटर लंबी तटरेखा और 1382 अपतटीय द्वीपों केसाथ भारत की समुद्री स्थिति उल्लेखनीय है। उन्होंने कहाकि महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों पर रणनीतिक स्थलों के अलावा भारत केपास 14500 किलोमीटर लंबे संभावित नौगम्य जलमार्ग हैं। उन्होंने कहाकि देश का समुद्री क्षेत्र इसके व्यापार और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि देश का 95 प्रतिशत व्यापार मात्रा के अनुसार और 65 प्रतिशत व्यापार मूल्य के अनुसार समुद्री परिवहन के माध्यम से किया जाता है।
राष्ट्रपति ने कहाकि तटीय अर्थव्यवस्था 4 मिलियन से अधिक मछुआरों का भरण-पोषण करती है और लगभग 2,50,000 मछली पकड़ने वाली नौकाओं के बेड़े केसाथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है। राष्ट्रपति ने कहाकि इस क्षेत्र की क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने से पूर्व हमें कई चुनौतियों से गुजरना होगा। उन्होंने कहाकि गहराई पर प्रतिबंध के कारण बहुत सारे कंटेनर जहाजों के माल को पास के विदेशी बंदरगाहों पर ले जाया जाता है। उन्होंने कहाकि व्यापारी और नागरिक जहाज निर्माण उद्योग में हमें दक्षता, प्रभावकारिता और प्रतिस्पर्धात्मकता के उच्चतम मानकों का लक्ष्य रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि भारतीय बंदरगाहों की परिचालन दक्षता को इस बदलते हुए समय में वैश्विक औसत बेंचमार्क से तालमेल बनाना आवश्यक है। उन्होंने कहाकि भारतीय बंदरगाहों को अगले स्तरपर पहुंचने से पहले बुनियादी ढांचे और परिचालन संबंधी चुनौतियों का समाधान करना होगा। उन्होंने कहाकि सागरमाला कार्यक्रम बंदरगाह विकास से बंदरगाह आधारित विकास की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।
राष्ट्रपति ने कहाकि जलवायु आपदा हमारे समय की सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक है जिसमें तापमान और समुद्र का बढ़ता स्तर शामिल है। उन्होंने कहाकि समुद्री क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन से होने वाले प्रभावों से मुक्त रखने केलिए त्वरित, सक्रिय और शीघ्र कार्यवाही की जरूरत है, जिससे विशेषकर कमजोर समुदायों केबीच आजीविका बाधित होने का खतरा उत्पन्न न हो सके। उन्होंने कहाकि छात्रों की व्यावसायिक जिम्मेदारी ही नहीं, अपितु इकोसिस्टम को मजबूत बनाए रखने केप्रति भी उनका दायित्व है। उन्होंने कहाकि इस महीने की शुरुआत में ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट के तीसरे संस्करण में 10 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जो अमृतकाल विजन 2047 को प्राप्त करने में मदद करेगा, इसके अलावा भारत सरकार 'समृद्धि केलिए बंदरगाह और प्रगति केलिए बंदरगाह' के अपने दृष्टिकोण को साकार करने केलिए काम कर रही है।