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Tuesday 19 December 2023 11:48:28 AM
हिजली (कोलकाता)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने तकनीकी शिक्षा के अत्यंत महत्वपूर्ण संस्थान और आईआईटी प्रणाली की जननी आईआईटी खड़गपुर के 69वें दीक्षांत समारोह में 3205 विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य केलिए शुभाशीष देते हुए उन्हें उपाधियां प्रदान कीं। राष्ट्रपति ने कहाकि विश्वभर में हमारी आईआईटी प्रणाली की प्रतिष्ठा है, आईआईटी को प्रतिभा और प्रौद्योगिकी का इन्क्यूबेशन केंद्र माना जाता है। उन्होंने कहाकि आईआईटी खड़गपुर को देश का पहला आईआईटी होने का गौरव हासिल है, इसने लगभग 73 वर्ष की अपनी यात्रा में अनूठी प्रतिभाओं को तराशा है और देश के विकास में उल्लेखनीय एवं अतुलनीय योगदान दिया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विद्यार्थियों से कहाकि उनके संस्थान आईआईटी खड़गपुर का ध्येय वाक्य है योगः कर्मसु कौशलम्, जिसका मतलब हैकि कर्म की कुशलता ही योग है, श्रीमद्भागवत गीता का यह उपदेश आपको प्रेरित करता हैकि आप जोभी कार्य करें पूरी दक्षता और निष्ठा से करें, आपकी महत्वाकांक्षाएं राष्ट्र की अपेक्षाओं के अनुरूप हों, आपका कर्मयोगी भाव समाज एवं राष्ट्र की प्रगति का मार्ग प्रशस्त करे। राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहाकि उन्हें खुशी हैकि जीवन का यह गूढ़ मंत्र उनकी प्रेरणा का स्रोत है। राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों पर विश्वास जताते हुए कहाकि वे सब नि:संदेह ही अपने पेशे में उच्चतम श्रेणी का कार्य करेंगे, वे जहां भी होंगे अपने संस्थान के द्वारा प्रदत्त ज्ञान और शिक्षा का प्रयोगकर नवाचार करेंगे। राष्ट्रपति ने कहाकि उनको याद रखना हैकि समाज और देश को उनसे बहुत अपेक्षा है, वे अपने जीवन में तो उत्कृष्टता हासिल करें ही साथही अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन भी करें, आप सदैव याद रखेंकि आपका हर विचार, हर स्वप्न और हर कदम, मानवता की बेहतरी केलिए समर्पित हो।
राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुईकि भारत सरकार की आईआईटी के अंतर्राष्ट्रीयकरण और वैश्वीकरण की नीति के अनुरूप आईआईटी खड़गपुर अन्य वैश्विक संस्थानों केसाथ गठबंधन और सहयोग पर काम कर रहा है, यह कदम न केवल आईआईटी खड़गपुर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिष्ठा स्थापित करने में मदद करेगा, बल्कि भारतीय शिक्षा प्रणाली को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा मेंभी एक बड़ा कदम होगा। राष्ट्रपति ने इस बात परभी प्रकाश डालाकि दुनिया की प्राचीन ज्ञान परंपरा वाले इतने विशाल देश का एक भी शैक्षणिक संस्थान दुनिया के शीर्ष 50 शैक्षणिक संस्थानों में शामिल नहीं है। उन्होंने कहाकि रैंकिंग की दौड़ अच्छी शिक्षा से अधिक महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन अच्छी रैंकिंग न केवल दुनियाभर के छात्रों और अच्छे संकाय सदस्यों को आकर्षित करती है, बल्कि देश की प्रतिष्ठा भी बढ़ाती है। उन्होंने कहाकि देश की सबसे पुरानी आईआईटी होने के नाते आईआईटी खड़गपुर को इस दिशा में प्रयास करना चाहिए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि आईआईटी खड़गपुर जैसे संस्थानों को नवाचार और प्रौद्योगिकी के माध्यम से 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी, उन्हें तकनीक विकसित करने और उसे क्रियांवित करने केलिए परिवर्तनकारी प्रयास करने होंगे। राष्ट्रपति ने कहाकि प्रौद्योगिकी पर हर किसीका अधिकार होना चाहिए, इसका उपयोग समाज में खाई बढ़ाने केलिए नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि डिजिटल भुगतान प्रणाली आम लोगों के जीवन को सरल बनाने वाली प्रौद्योगिकी का सबसे अच्छा उदाहरण है। राष्ट्रपति ने कहाकि आज भारत नई ऊंचाइयों को छू रहा है, नए मानक स्थापित कर रहा है और एक प्रमुख विश्वशक्ति के रूपमें उभर रहा है। उन्होंने कहाकि हम वसुधैव कुटुंबकम की भावना से दुनिया के सामने आनेवाली चुनौतियों का समाधान तलाशने केलिए तत्पर हैं, भारत के अमृतकाल में प्रौद्योगिकी का उपयोग करके ही स्वर्ण युग आएगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि कम्प्यूटरीकरण, सौर ऊर्जा, जीनोमिक्स और कई भाषा मॉडल ऐसे कुछ प्रयोग हैं, जो सामाजिक जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने कहाकि 150 साल पहले जो बीमारियां लाइलाज लगती थीं, उनका इलाज अब लगभग मुफ्त में किया जाता है, लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो रहा है। उन्होंने कहाकि दुनिया को बेहतर और समावेशी बनाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका अहम है। उन्होंने सभीसे विकासोन्मुखी, भविष्यवादी और जिज्ञासु सोच विकसित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि इसके साथही उन्हें अपने बेहतर वर्तमान केलिए देश और समाज केप्रति कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि वे देश और दुनिया को बेहतर एवं सुरक्षित भविष्य देने में सक्षम होंगे।