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'समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियां विकट'

अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सेमिनार मिलन में बोले उपराष्ट्रपति

'वैश्विक सहयोग से समुद्री सुरक्षा और मजबूत होगी'

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Thursday 22 February 2024 06:08:52 PM

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विशाखापत्तनम। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आगाह किया हैकि समुद्र में एकतरफा कार्रवाई और अंतर्राष्ट्रीय कानून की अवहेलना के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, जिससे पूरे क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। उन्होंने कहाकि अगर समय रहते इसपर नियंत्रण नहीं पाया गया तो यह क्षेत्रीय विवादों से भी आगे जा सकता है। उन्होंने कहाकि नियम आधारित व्यवस्था केलिए चुनौती इस समय चरम पर है और इसके समाधान को अपरिहार्य आवश्यकता बताया। उन्होंने आम लोगों के जीवन पर ऐसी आपूर्ति श्रृंखला के व्यापक प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहाकि हाल के वर्षों में हमने समुद्री क्षेत्र में विकट सुरक्षा चुनौतियां देखी हैं और इसने एक नया व खतरनाक आयाम हासिलकर लिया है, जो आपूर्ति श्रृंखलाओं को अस्थिर और शांति को खतरे में डाल सकता है। उपराष्ट्रपति पूर्वी नौसेना कमान विशाखापत्तनम में आज भारतीय नौसेना के अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सेमिनार मिलन-2024 को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस बात पर प्रकाश डालाकि वर्ष 1995 में 15 से अधिक युद्धपोतों और 51 प्रतिनिधिमंडलों की भागीदारी केसाथ इसकी मामूली शुरुआत हुई थी, जो अब निश्चित रूपसे भाग लेनेवाली नौसेनाओं केलिए सार्थक संवाद और विचार-विमर्श केलिए एक वितरण मंच बन गया है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि सभी तरह की विघटनकारी तकनीकों ने हमारे जीवन में गहरी पैठ बना ली है, ये चुनौतियां एवं अवसर दोनों प्रदान करती हैं और मुझे विश्वास हैकि इस मंच पर सबको इन पहलूओं पर विचार-विमर्श करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहाकि मिलन-2024 का लक्ष्य वैश्विक सहयोग और समुद्री सुरक्षा को मजबूत बनाना है। उन्होंने कहाकि हमारे महासागर हमें अलग करने के बजाय हमें जोड़ने के रास्ते हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि भारतीय नौसेना मिलन जैसी पहलों के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में सहायक रही है, जो आसपास की नौसेनाओं को एकही फलक पर रहने, अनुभव साझा करने और स्थायी साझेदारी को बढ़ावा देने केलिए एक सार्थक मंच प्रदान करती है। उपराष्ट्रपति ने समुद्री व्यवस्था के पालन की आवश्यकता को रेखांकित किया और इसे क्षेत्र की शांति एवं सद्भाव केसाथ आपूर्ति श्रृंखलाओं के रखरखाव और आर्थिक विकास केलिए भी जरूरी बताया। उन्होंने कहाकि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की सुरक्षा, गहरे क्षेत्रीय तनावों से बचना और समुद्री अर्थव्यवस्था का शोषण वैश्विक चिंताएं हैं, जिन्हें अब नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि भारत सीमाओं का सम्मान करने और नियमआधारित समुद्री व्यवस्था को प्रोत्साहन देने के महत्व को पहचानता है, हम मानते हैंकि समुद्र के कानून पर संयुक्तराष्ट्र कन्वेंशन सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून का बिना ईमानदारी के पालन, शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और समुद्री संसाधनों के टिकाऊ उपयोग केलिए अनिवार्य, आवश्यक और एकमात्र तरीका है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सेमिनार मिलन-2024 के विषय 'महासागरों में भागीदार: सहयोग, तालमेल, विकास' को बहुत उपयुक्त और प्रासंगिक बताते हुए सुरक्षा सुनिश्चित करने केलिए राष्ट्रों को एकसाथ आने, अनुभव साझा करने, सहयोगी रणनीति विकसित करने और महासागरों की स्थिरता पर जोर दिया। जगदीप धनखड़ ने कहाकि सिंधु घाटी सभ्यता के समय से ही महासागरों की भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। महान भारतीय महाकाव्य रामायण जो दक्षिण पूर्व एशियाई संस्कृति का आंतरिक हिस्सा बना हुआ है का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि हमारा साझा अतीत आजभी राजनयिक संवाद स्थापित करने और आगे बढ़ाने में बहुत महत्व रखता है। उन्होंने भारतीय नौसेना की व्यावसायिकता और समुद्री उत्कृष्टता की प्रशंसा करते हुए कहाकि हमारी नौसेना नौवहन की स्वतंत्रता, क्षेत्रीय स्थिरता और समुद्री क्षेत्र में उभरती चुनौतियों का जवाब देने केलिए समर्पित है। उन्होंने कहाकि भारत की समुद्री ताकत वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र के रूपमें महत्वपूर्ण है। 

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