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Tuesday 27 February 2024 05:28:28 PM
तिरुवनंतपुरम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गगनयान मिशन केलिए नामित चार अंतरिक्ष यात्रियों को आज समारोहपूर्वक 'एस्ट्रोनॉट विंग्स' प्रदान किए, इनमें ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला प्रमुख हैं। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहाकि सभी नामित अंतरिक्ष यात्रियों का स्वागत करतल ध्वनि केसाथ करें और पूरा सभागार भारत माता की जय के नारों से गूंज उठा। प्रधानमंत्री ने आज केरल के तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र का दौरा किया और लगभग 1800 करोड़ रुपये की तीन महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अवसंरचना परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इन परियोजनाओं में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा में एसएलवी एकीकरण सुविधा (पीआईएफ), महेंद्रगिरि में इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में नई 'सेमी-क्रायोजेनिक्स इंटीग्रेटेड इंजन और स्टेज टेस्ट सुविधा' और वीएसएससी, तिरुवनंतपुरम में 'ट्राइसोनिक विंड टनल' शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज भारत केलिए एक ऐसा अवसर है, जब वर्तमान पीढ़ी धरती, वायु, जल और अंतरिक्ष में राष्ट्र की ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गर्व कर सकती है। उन्होंने अयोध्या से शुरु हुए 'कालचक्र' के बारेमें अपने वक्तव्य का स्मरण करते हुए कहाकि भारत वैश्विक पटल पर लगातार अपना विस्तार कर रहा है और इसकी झलक देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम में देखी जा सकती है। प्रधानमंत्री ने भारत की चंद्रयान सफलता को याद किया, जब भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना था। उन्होंने कहाकि आज शिव शक्ति प्वॉइंट दुनिया को भारतीय शक्ति से परिचित करा रहा है। उन्होंने गगनयान के चार नामित अंतरिक्ष यात्रियों का परिचय कराये जाने को एक ऐतिहासिक अवसर बताया। प्रधानमंत्री ने कहाकि वे सिर्फ चार नाम या व्यक्ति नहीं हैं, वे 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं को अंतरिक्ष में ले जाने वाली चार शक्तियां हैं। उन्होंने कहाकि 40 वर्ष बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जा रहा है, लेकिन इसबार टाइम भी हमारा है, काउंट डाउन भी हमारा है और रॉकेट भी हमारा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनोनीत अंतरिक्ष यात्रियों से मिलने और उन्हें देश से परिचित कराने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए पूरे देश की ओर से उन्हें शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने कहाकि उनके नाम भारत की सफलता केसाथ जुड़े हुए हैं और वे आज के भारत के विश्वास, साहस, वीरता और अनुशासन का प्रतीक हैं। उन्होंने प्रशिक्षण केप्रति उनके समर्पण और भावना की सराहना की और कहाकि वे भारत की अमृत पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं, जो कभी हार नहीं मानती और सभी प्रतिकूलताओं को चुनौती देने की ताकत रखती है। मिशन गगनयान केलिए स्वस्थ तन और स्वस्थ मन की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने प्रशिक्षण मॉड्यूल के हिस्से के रूपमें योग की भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि देश की शुभकामनाएं और आशीर्वाद आपके साथ है। उन्होंने गगनयान परियोजना से जुड़े इसरो के स्टाफ प्रशिक्षकों कोभी शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने नामित चार अंतरिक्ष यात्रियों पर सेलिब्रिटी की तरह लगातार ध्यान देने के संबंध में कुछ आशंकाएं भी व्यक्त कीं, जो उनके प्रशिक्षण में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।
नरेंद्र मोदी ने नामित अंतरिक्ष यात्री और उनके परिवारों केसाथ सहयोग करने की अपील की, ताकि वे बिना विचलित हुए अपना प्रशिक्षण जारी रख सकें। प्रधानमंत्री को गगनयान के बारेमें जानकारी दी गई। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त कीकि गगनयान के अधिकांश उपकरण भारत में निर्मित हैं। उन्होंने दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में भारत के आसन्न प्रवेश केसाथ गगनयान की तैयारी के सुखद संयोग का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि आज जो परियोजनाएं लोकार्पित की गईं, उनसे नई नौकरियां पैदा होंगी और भारत का मान बढ़ेगा। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में नारी शक्ति की भूमिका की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि चाहे वह चंद्रयान हो या गगनयान महिला वैज्ञानिकों के बिना ऐसी किसीभी परियोजना की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने बतायाकि इसरो में 500 से अधिक महिलाएं नेतृत्वकारी पदों पर हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि इसरो की सफलताएं आजके बच्चों में बड़े होकर वैज्ञानिक बनने का विचार पैदा करती हैं। उत्साहित प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों को अपने संबोधन में कहाकि रॉकेट की उलटी गिनती भारत के लाखों बच्चों को प्रेरित करती है और कागज के विमान बनाने वाले आज आपके जैसे वैज्ञानिक बनने का सपना देखते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहाकि युवाओं की इच्छाशक्ति राष्ट्र की संपदा बनती है, चंद्रयान-2 की लैंडिंग का समय देश के हर बच्चे केलिए सीखने का अनुभव था, जबकि पिछले साल 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग ने युवाओं को नई ऊर्जा से भर दिया। उन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र में देश के विभिन्न रिकॉर्डों पर कहाकि यह दिन अब अंतरिक्ष दिवस के रूपमें मनाया जाता है। उन्होंने पहले प्रयास में मंगल ग्रह तक पहुंचने, एकही मिशन में 100 से अधिक उपग्रहों को लॉंच करने और पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर उसकी कक्षा में आदित्य एल-1 सौर जांच को सफलतापूर्वक स्थापित करने की देश की उपलब्धियों का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि बहुत कम देशों ने ऐसा किया है और ऐसी उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने 2024 के पहले कुछ हफ्तों में एक्स्पो-सैट और इनसैट-3डीएस की हालिया सफलताओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने इसरो टीम से कहाकि आप सभी भविष्य की संभावनाओं के नए द्वार खोल रहे हैं, अनुमान के अनुसार भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था अगले 10 वर्षों में पांच गुना बढ़ जाएगी और 44 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी। उन्होंने कहाकि भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में वैश्विक वाणिज्यिक केंद्र बन रहा है, आने वाले दिनों में भारत एक बार फिर चांद पर जाएगा। प्रधानमंत्री ने चंद्रमा की सतह से नमूने प्राप्त करने की नई महत्वाकांक्षा के बारेमें जानकारी दी और कहाकि शुक्र ग्रह भी रडार पर है। उन्होंने कहाकि 2035 तक भारत केपास अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा, इसके अलावा अमृतकाल में एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री भारतीय रॉकेट से चंद्रमा पर उतरेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में पहले के केवल 33 उपग्रहों की तुलना में लगभग 400 उपग्रह लॉंच करने तथा युवा संचालित अंतरिक्ष स्टार्टअप की संख्या में वृद्धि का उल्लेख किया, जो पहले दो या तीन थे और अब बढ़कर 200 से अधिक हो गए हैं। प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष सुधारों पर भी बात की और अंतरिक्ष क्षेत्र में शत-प्रतिशत विदेशी निवेश की हाल ही में स्वीकृत एफडीआई नीति का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि इससे दुनिया के सबसे बड़े अंतरिक्ष संस्थान अब भारत में खुद को स्थापित कर सकते हैं और युवाओं को अपना कौशल दिखाने का अवसर प्रदान कर सकते हैं। भारत के विकसित राष्ट्र बनने के संकल्प का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष क्षेत्र की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि अंतरिक्ष विज्ञान सिर्फ रॉकेट साइंस नहीं है, बल्कि यह सबसे बड़ा सामाजिक विज्ञान भी है, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से समाज को सबसे अधिक लाभ होता है। उन्होंने कृषि, मौसम, आपदा चेतावनी, सिंचाई, नौवहन मानचित्र और मछुआरों केलिए नाविक प्रणाली जैसे उपयोगों का उल्लेख किया। उन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान के उपयोगों जैसे सीमा सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और कई पक्षों पर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री ने कहाकि विकसित भारत के निर्माण में इसरो और पूरे अंतरिक्ष क्षेत्र की बहुत बड़ी भूमिका है। इस अवसर पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, केंद्रीय राज्यमंत्री वी मुरलीधरन, अंतरिक्ष विभाग के सचिव और इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ भी उपस्थित थे।