स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 13 March 2024 06:10:19 PM
पोर्ट लुइस। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को मॉरीशस विश्वविद्यालय ने डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ की मानद उपाधि से सम्मानित किया है। राष्ट्रपति ने इस सम्मान केलिए मॉरीशस विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ ऑट्रे को धन्यवाद दिया और कहाकि मॉरीशस विश्वविद्यालय 1965 में अपनी स्थापना केबाद से एक अग्रणी विश्वविद्यालय के रूपमें विकसित हुआ है, जो उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करता है एवं मॉरीशस की जरूरतों को पूरा करता है। उन्होंने कहाकि मॉरीशस विश्वविद्यालय जैसे विश्वविद्यालय सिर्फ आकांक्षी युवाओं के सपनों की सीढ़ी नहीं हैं, वे ऐसे स्थल हैं, जहां मानवजाति के भविष्य का निर्माण किया जाता है। उन्होंने कहाकि वह इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ की मानद उपाधि प्राप्त करके विशेष रूपसे सम्मानित हुई हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि यह सभी युवाओं विशेषकर युवा महिलाओं को अपने अविरल जुनून की खोज करने और अपने सपनों को फलीभूत करने केलिए प्रेरित करेगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शिक्षा की शक्ति के परिवर्तनकारी प्रभाव के अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किए और कहाकि ओडिशा में उनके गृह जिले मयूरभंज में श्रीअरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में बच्चों को पढ़ाने में बिताए गए समय के दौरान उन्होंने खुद देखा हैकि सही तरह की शिक्षा युवा दिमागों में चिंगारी जला सकती है और इसका दूरगामी प्रभाव हो सकता है। उन्होंने कहाकि यह शिक्षा ही है, जो हमें असुरक्षा और अभाव से अवसरों एवं आशा की ओर ले जाती है। उन्होंने कहाकि एक शिक्षक के रूपमें अपने कार्यकाल के दौरान मुझे यहभी एहसास हुआकि शिक्षा केसाथ जुड़ाव कई मायनों में एक गहन अनुभव है। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत सरकार ने भारत को आनेवाले कल की 'ज्ञान अर्थव्यवस्था' में ले जाने केलिए युवाओं को शिक्षित और सशक्त बनाने को प्राथमिकता दी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि भारत की दूरदर्शी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग करके नवाचार का एक पावर हाउस बन जाएगी, जो मानवकल्याण में वृद्धि करती है। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत भविष्य की इस प्रगतिशील रोमांचक यात्रा में मॉरीशस जैसे अपने विशेष मित्रों केसाथ साझेदारी करने को उत्सुक है। उन्हें यह जानकर खुशी हुईकि प्रत्येक वर्ष 400 मॉरीशसवासियों को भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के अंतर्गत भारत में प्रशिक्षित किया जाता है और मॉरीशस के लगभग 60 छात्रों को भारत में उच्च शिक्षा ग्रहण करने केलिए छात्रवृत्ति मिलती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारत मॉरीशस को एक समुद्री क्षेत्र पड़ोसी देश, हिंद महासागर क्षेत्र में एक प्रिय भागीदार और अपने अफ्रीका आउटरिच में एक प्रमुख प्लेयर के रूपमें देखता है। उन्होंने कहाकि शिक्षा हमारे दोनों देशों केबीच इस विशेष संबंध के साथ-साथ मॉरीशस की नियति को आकार देने में एक महत्वपूर्ण साधन रही है। राष्ट्रपति ने कहाकि 1901 में महात्मा गांधी ने भारतीय गिरमिटिया श्रमिकों को खुदको शिक्षित करने केलिए प्रेरित किया, जिसके परिणामस्वरूप उनका राजनीतिक और सामाजिक सशक्तिकरण हुआ, जिससे मॉरीशस में बदलाव आया। उन्होंने जिक्र कियाकि सर सिवसागर रामगुलाम और सर अनिरुद्ध जुगनौथ जैसे मॉरीशस नेताओं के बादके दूरदर्शी नेतृत्व ने इस समृद्ध नींव पर एक जीवंत, बहुलवादी और समृद्ध मॉरीशस बनाया है, जो अफ्रीका और दुनिया को प्रेरित करता है। उन्होंने कहाकि यह देखा गया हैकि भारत और मॉरीशसवासियों केबीच संबंध दो देशों की विशेष मित्रता का आधार रहे हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि मॉरीशस और भारत के युवा इस विशेष साझेदारी को गहन रूपसे निभाएंगे।