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'उत्तराखंड की ख्याति आरोग्य भूमि की भी हो'

राष्ट्रपति का एम्स ऋषिकेश के दीक्षांत में मेधावियों से आह्वान

'स्वस्थ भारत और विकसित भारत के निर्माण में योगदान दें'

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Wednesday 24 April 2024 11:53:32 AM

president at the convocation of aiims rishikesh

ऋषिकेश (उत्तराखंड)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उत्तराखंड में एम्स ऋषिकेश के चौथे दीक्षांत समारोह में मेधावियों को संबोधित करते हुए कहा हैकि आप सभी ने अपनी प्रतिभा सिद्ध कर दी है, अब आप सभी स्वास्थ्य पेशेवरों के रूपमें अपनी निष्ठा सिद्ध करें और मैं चाहती हूंकि आपके रोगी आपके विशेषज्ञ क्लिनिकल टच केसाथ आपके विशेष हीलिंग-टच को याद रखें। उन्होंने कहाकि किसीकी जान बचाने से जो संतोष मिलता है, उसे केवल एक डॉक्टर ही समझ सकता है। राष्ट्रपति ने कहाकि डॉक्टर के रूपमें आप सबको स्वास्थ्य रक्षक और प्राण रक्षक की भूमिका निभाने का अनुकरणीय अवसर मिला है एवं यह केवल एक पेशा नहीं है, बल्कि एक मिशन है, मानवता की अनवरत सेवा करने का अभियान है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में बहुत तेज गति से परिवर्तन हो रहे हैं, परिवर्तन की यह गति बढ़ती ही रहेगी, इसलिए आपसब हमेशा कुछ नया सीखने और कुछ नया करने का उत्साह बनाए रखें। राष्ट्रपति ने लगभग एक दशक की अपनी विकास यात्रा से एम्स ऋषिकेश ने अपनी अच्छी पहचान बना ली है और कम समय में ही प्रचुर प्रतिष्ठा अर्जित करने केलिए एम्स ऋषिकेश से जुड़े सभी लोगों की सराहना की। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि हमारे देशवासियों केलिए एम्स का मतलब होता है सबसे अच्छे डॉक्टरों द्वारा इलाज होना, सबसे अच्छा इलाज और कम से कम खर्च में इलाज होना भी एम्स की पहचान है। उन्होंने कहाकि एम्स के इलाज का फायदा अधिक से अधिक लोगों को मिल सके तथा और अधिक संख्या में मेधावी विद्यार्थी एम्स में शिक्षा प्राप्त कर सकें, इन उद्देश्यों केसाथ देश के विभिन्न हिस्सों में अनेक अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों की स्थापना की जा रही है।
राष्ट्रपति ने एम्स ऋषिकेश के कुल विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या 60 प्रतिशत से अधिक होने के तथ्य को रेखांकित करते हुए कहाकि नीति निर्माण से लेकर तृतीयक स्तर की स्वास्थ्य संबंधी देखभाल तकके क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी एक बड़े और सकारात्मक सामाजिक बदलाव की तस्वीर प्रस्तुत करती है। उन्होंने कहाकि समाज के हित में नवीनतम तकनीक का उपयोग करना एम्स ऋषिकेश जैसे संस्थानों की प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने यह जानकर खुशी जताई कि एम्स ऋषिकेश सीएआर टी-सेल थेरेपी और स्टेम सेल रिसर्च के क्षेत्र में आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहाकि निदान और उपचार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं रोबोटिक्स की भूमिका निरंतर बढ़ती रहेगी और विश्वास व्यक्त कियाकि इन बदलावों का एम्स ऋषिकेश तेजीसे कारगर उपयोग करेगा। राष्ट्रपति ने कहाकि आयुर्वेद सहित भारतीय परंपरा की उपचार पद्धतियों केलिए उत्तराखंड में अनेक लोकप्रिय स्वास्थ्य केंद्र सेवारत हैं। उन्होंने कहाकि एम्स ऋषिकेश में एलोपैथी केसाथ-साथ आयुष चिकित्सा पद्धतियों से भी मरीजों का उपचार किया जा रहा है। उन्होंने कहाकि वे चाहेंगीकि व्यापक स्तर पर उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराते हुए देव भूमि उत्तराखंड की ख्याति आरोग्य भूमि के रूपमें भी स्थापित हो।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उल्लेख कियाकि हमारे प्राचीन महाकाव्यों में उत्तराखंड के क्षेत्र को औषधि और उपचार से जोड़ा गया है, रामायण की कथा के अनुसार इसी क्षेत्र से संजीवनी बूटी लेकर वायु मार्ग से हनुमानजी प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण केपास पहुंचे थे तथा लक्ष्मणजी के उपचार में अपना योगदान दिया था एवं ऐसे कथानकों के माध्यम से हमारे पूर्वजों ने गहन और कल्याणकारी संदेश दिए हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत में मधुमेह से प्रभावित लोगों की संख्या 10 करोड़ से अधिक है, जो विश्व में सर्वाधिक है, इसके इलाज के रूपमें सेमाग्लूटाइड आजकल चर्चा में है। उन्होंने कहाकि उत्तराखंड में धूप की कमी और स्थानीय खान-पान की आदतों के कारण लोग खासकर महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस और एनीमिया जैसी बीमारियों से प्रभावित होती हैं। उन्होंने कहाकि वैश्विक चिकित्सा युग में चिकित्सा से संबंधित राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय समस्याओं के बारेमें अनुसंधान एवं समाधान एम्स ऋषिकेश जैसे संस्थानों की प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने एम्स ऋषिकेश से सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामुदायिक सहभागिता पर अधिकतम ध्यान देने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि ऐसा करके यह संस्थान स्वस्थ भारत और विकसित भारत के निर्माण में योगदान दे सकेगा।

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