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कर्पूर चंद कुलिश की स्मृति में 'द कुलिश स्कूल'

समाज में बदलाव का शिक्षा सबसे प्रभावी माध्यम-उपराष्ट्रपति

राजस्थान पत्रिका जयपुर के संस्थापक हैं कर्पूर चंद कुलिश

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Tuesday 30 April 2024 04:15:01 PM

vice president addressed the students and faculty members of the kulish school

जयपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा हैकि शिक्षा का दान समाज केलिए सबसे बड़ा दान है। उपराष्ट्रपति ने आज जयपुर में राजस्थान पत्रिका के संस्थापक कर्पूर चंद कुलिश की स्मृति में स्थापित 'द कुलिश स्कूल' का उद्घाटन किया। वे छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और गणमान्यों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहाकि समाज में बदलाव का शिक्षा सबसे प्रभावी माध्यम है, हर क्षेत्र में वही लोग नेतृत्व कर रहे हैं, जिन्होंने शिक्षा में भी अपना स्थान बनाया है। उन्होंने अपने जीवन में अपने सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ के संस्कारों और अनुभवों के महत्व को याद करते हुए कहाकि मेरा असली जन्म तो सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में ही हुआ। उपराष्ट्रपति ने जोर दियाकि हर बच्चे को उसकी रुचि के अनुरूप अपनी प्रतिभा को अभिव्यक्त करने के पर्याप्त अवसर मिलने चाहिएं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि भारत के संविधान में पांच हजार साल पुरानी भारतीय संस्कृति में शिक्षा के महत्व पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस संदर्भ में उन्होंने संविधान की मूलप्रति जिसपर संविधान सभा के सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे, उसपर अंकित चित्रों का जिक्र किया, संविधान की मूलप्रति के भाग 2 के पृष्ठ पर गुरुकुल का चित्र बना है तो भाग 4 वाले पृष्ठ पर कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण द्वारा गीता उपदेश का प्रसंग अंकित है। उन्होंने कहाकि ये चित्र संविधान सभा द्वारा शिक्षा को दिए गए महत्व को दर्शाते हैं। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने कर्पूर चंद कुलिश की प्रतिमा का अनावरण भी किया और कहाकि कर्पूर चंद कुलिश की यह प्रतिमा विद्यार्थियों केलिए प्रेरणास्रोत रहेगी। जगदीप धनखड़ ने कहाकि कर्पूर चंद कुलिश स्वयं वेदों के विद्वान थे तथा शिक्षा में भारतीय संस्कृति और संस्कारों के प्रबल समर्थक थे। उपराष्ट्रपति ने इस स्कूल की स्थापना केलिए कोठारी परिवार को धन्यवाद देते हुए कहाकि यह स्कूल उनकी एक महत्वपूर्ण विरासत है।
हिंदी पत्रकारिता में कर्पूर चंद कुलिश के योगदान को याद करते हुए उपराष्ट्रपति ने उन्हें हिंदी पत्रकारिता का पुरोधा बताया। उन्होंने कहाकि कर्पूर चंद कुलिश पाठकों को भगवान मानते थे, यद्यपि उस समय के बड़े राजनेताओं से उनके आत्मीय संबंध थे, तथापि उन्होंने दबावों और प्रभावों से निस्पृह रहकर पाठकों के हित में निष्पक्ष पत्रकारिता की। उपराष्ट्रपति ने भारत की बढ़ती आर्थिक क्षमता पर चर्चा की। उन्होंने कहाकि 1991 में भारत की अर्थव्यवस्था लंदन-पेरिस जैसे शहरों के बराबर थी, लेकिन आज हम विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। कार्यक्रम में राजस्थान सरकार के उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद्र बैरवा, विधानसभा अध्यक्ष देवनानी, राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, जयपुर की मेयर सौम्या गुर्जर, राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी, द कुलिश स्कूल के प्रबंधन मंडल के सदस्य और स्कूल के प्रधानाचार्य देवाशीष चक्रवर्ती उपस्थित थे।

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