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Wednesday 15 May 2024 01:32:10 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने श्रीमद्भागवद गीता की शाश्वत शिक्षाओं से मार्गदर्शन प्राप्त करते हुए देशवासियों से देश के हितों को सर्वोपरि रखने का आग्रह किया है। उपराष्ट्रपति ने अनिश्चितता केबीच एक मार्गदर्शक प्रकाश के रूपमें श्रीमद्भागवद गीता के कालातीत ज्ञान को रेखांकित करते हुए कहाकि यह उन्नति, आध्यात्मिकता, धार्मिकता, कर्तव्य की प्रतिबद्धता और स्वयं से खुदको अलग करने का मार्ग दिखाती है। उपराष्ट्रपति ने ये बातें संसद भवन में लोकसभा के पूर्व महासचिव और प्रसिद्ध संवैधानिक विशेषज्ञ डॉ सुभाष कश्यप की पुस्तक श्रीमद्भागवद गीता-भाष्य के विमोचन कार्यक्रम में कहीं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने श्रीमद्भागवद गीता से प्रेरणा लेते हुए संविधान की मूलप्रति में 22 लघु चित्रों या मिनी चित्रों की ओर ध्यान आकर्षित किया। संविधान के भाग 4 के तहत राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्होंने श्रीमद्भागवद गीता की शिक्षाओं की गहन तुलना प्रस्तुत की, जहां भगवान श्रीकृष्ण कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में अर्जुन को ज्ञान प्रदान करते हैं। जगदीप धनखड़ ने भारतीय संसदीय लोकतंत्र में डॉ सुभाष कश्यप के व्यापक अनुभव पर प्रकाश डालते हुए कहाकि उन्होंने गठबंधन सरकारों की अराजकता दुर्दशा देखी है, जिससे 2014 में राहत प्राप्त हुई। गौरतलब हैकि डॉ सुभाष कश्यप को गठबंधन सरकार के अंतके बाद देश ने पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।
डॉ सुभाष कश्यप की संवैधानिक नैतिकता, योग्यता, उच्च नैतिक मूल्यों की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि उन्होंने कभीभी राजनीतिक चश्मे से मुद्दों को नहीं देखा, बल्कि अपने विचारों को दृढ़ विश्वास और ईमानदारी के साथ रखा है। उन्होंने उस समय को याद किया जब आईएमएफ, विश्व बैंक जैसे वैश्विक निकाय राष्ट्रीय मामलों के संबंध में भारत पर दबाव डालते थे। जगदीप धनखड़ ने बदलते वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की ओर ध्यानाकर्षित किया, जहां भारत फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा, ब्राजील जैसी अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ते हुए 5वीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन चुका है। जगदीप धनखड़ ने इस मौके पर कश्मीर की सुंदर घाटी में पर्यटकों की उल्लेखनीय वृद्धि पर भी प्रकाश डाला, जो पिछले रुझानों में हुई एक महत्वपूर्ण बढ़ोत्तरी को चिन्हित करता है।