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Tuesday 28 May 2024 03:13:00 PM
बेलगावी (कर्नाटक)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने देश में एक फिटनेस संस्कृति विकसित करने पर जोर दिया है, ताकि प्रत्येक भारतीय फिट और स्वस्थ रहकर विकसित भारत @2047 को साकार करने में सकारात्मक योगदान देने में सक्षम हो सके। कर्नाटक के बेलगावी में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पारंपरिक चिकित्सा संस्थान के 18वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने स्वास्थ्य की बात आने पर 'हमारे ज्ञान, हमारी मेधा में पहले से ही क्या है' पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। यह मानते हुएकि आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और योग को शामिल करते हुए भारत की पारंपरिक चिकित्सा की समृद्ध टेपेस्ट्री हमारे पूर्वजों के गहन ज्ञान का प्रमाण है। उन्होंने कहाकि वे विज्ञान, दर्शन और आध्यात्मिकता का एक ऐसा आदर्श मिश्रण हैं, जो मन, शरीर और आत्मा और प्रकृति केबीच संतुलन के पूर्ण सामंजस्य पर बल देते हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भावी पीढ़ियों केलिए हमारी जैव विविधता और पारंपरिक ज्ञान की रक्षा करते हुए देश को स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करने के कार्य में हर गांव को सम्मिलित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि पंचायतस्तर पर भी आग्रह कियाकि हमें औषधीय और जड़ी-बूटी युक्त पौधों पर विशेष ध्यान देना चाहिए, अंततोगत्वा ये पौधे एक प्रयोगशाला में परिवर्तित हो जाएंगे और हमें वह देंगे, जो हमारी मूलभूत आवश्यकता है। कई आधुनिक रोगों के उचित समाधान की दिशा में काम करने केलिए राष्ट्रीय पारंपरिक चिकित्सा संस्थान के शोधकर्ताओं की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कॉर्पोरेट जगत और जननेताओं से अनुसंधान एवं विकास का समर्थन करने केलिए हर संभव प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने आग्रह कियाकि कृपया आगे आएं, अनुसंधान विकास नवाचार और स्टार्टअप को बढ़ावा देने केलिए अपने सीएसआर का उपयोग करें, इससे हमारा बहुत भला होगा।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने केएलई एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च डीम्ड यूनिवर्सिटी बेलगावी के 14वें दीक्षांत समारोह को भी संबोधित किया। उपराष्ट्रपति ने दीक्षांत समारोह को प्रत्येक छात्र और शिक्षक के जीवन में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि और अविस्मरणीय क्षण बताते हुए छात्रों से कभीभी सीखना बंद नहीं करने को कहा। उन्होंने कहाकि यह एक मिथक हैकि जब आप डिग्री प्राप्त कर लेते हैं तो सीखना बंद हो जाता है, इसलिए हमेशा सीखते रहो, यह आपका सबसे स्थिर साथी होना चाहिए। छात्रों का हमेशा राष्ट्र को सबसे आगे रखने का आह्वान करते हुए उन्होंने उनसे बड़े पैमाने पर मानवता की सेवा करते समय वित्तीय विचारों से निर्देशित नहीं होने का आग्रह किया। उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहाकि सेवा आपका प्राथमिक आदर्श वाक्य होना चाहिए। जगदीप धनखड़ ने भारत की सहस्राब्दी पुरानी सभ्यता का उल्लेख करते हुए कहाकि कोईभी दूसरा देश हमारी सभ्यता के लोकाचार से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता है। उन्होंने कहाकि भारत विश्व की सबसे तेजीसे विकसित होने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है और हमारा अभियान टिकाऊ है और मानवता कल्याण केलिए है।
उपराष्ट्रपति ने स्नातक छात्रों से कहाकि उनकी उच्च शैक्षणिक योग्यताएं देश केलिए संपत्ति होंगी, जो उन्हें भारत की विकास गाथा का एक अभिन्न अंग बनाएंगी। उन्होंने छात्रों से विकसित भारत@2047 केलिए बड़े बदलाव को प्रेरित करने का आग्रह करते हुए उनसे यह सुनिश्चित करने को कहाकि भारत अपने पिछले गौरव को फिरसे प्राप्त कर ले और वर्ष 2047 तक विश्व का सबसे विकसित राष्ट्र बन जाए। उपराष्ट्रपति ने छात्रों को सलाह दीकि वे असफलता से न डरें और समाज की भलाई केलिए काम करते रहें। इन कार्यक्रमों में कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, केएचईआर के चांसलर डॉ प्रभाकर कोरे, केएचईआर के कुलपति प्रोफेसर नितिन एम गंगाने, संकाय सदस्य, डॉ सुदेश धनखड़, डॉ राजीव बहल, सचिव डीएचआर और महानिदेशक आईसीएमआर अनु नागर, संयुक्त सचिव डीएचआर डॉ सुबर्णा रॉय निदेशक एनआईटीएम, छात्र और उनके माता-पिता उपस्थित थे।