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Thursday 30 May 2024 01:21:18 PM
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में नागरिकता (संशोधन) नियम-2024 के अंतर्गत हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित व्यक्तियों को भारत की नागरिकता प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जिसके तहत नागरिकता प्राप्त करने केलिए पश्चिम बंगाल में किए गए आवेदनों के पहले समूह को पश्चिम बंगाल राज्य की अधिकार प्राप्त समिति ने कल नागरिकता प्रदान की। इसी प्रकार हरियाणा और उत्तराखंड राज्यों की अधिकार प्राप्त समितियों ने भी नागरिकता (संशोधन) नियम-2024 के अंतर्गत अपने-अपने राज्यों में नागरिकता आवेदकों के पहले समूह को नागरिकता प्रदान की है। गौरतलब हैकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में नागरिकता (संशोधन) क़ानून को अपने यहां लागू करने का पुरजोर विरोध किया था, लेकिन इस केंद्रीय कानून को लागू करने से वह रोक नहीं पाईं।
गौरतलब है कि इससे पहले 15 मई 2024 को केंद्रीय गृह सचिव ने नई दिल्ली में नागरिकता (संशोधन) नियम-2024 की अधिसूचना के बाद दिल्ली की अधिकार प्राप्त समिति द्वारा प्रदान किए गए नागरिकता प्रमाणपत्रों का पहला सेट आवेदकों को सौंपा था। भारत सरकार ने 11 मार्च 2024 को नागरिकता (संशोधन) नियम-2024 को अधिसूचित किया था। नियमों में आवेदन करने के तरीके, आवेदनों को जिला स्तरीय समिति (डीएलसी) के जांचने की प्रक्रिया और उसके बाद राज्यस्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) द्वारा जांच केबाद नागरिकता प्रदान करने के तरीके निर्धारित किए गए हैं। आवेदनों की जांच पूरी तरह से ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से हो रही है। इन नियमों के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हुए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित व्यक्तियों से आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिन्होंने धर्म के आधार पर उत्पीड़न या ऐसे उत्पीड़न के डर से 31.12.2014 तक भारत में प्रवेश कर लिया था, उन्हें नागरिकता प्रदान की जा रही है।
पश्चिम बंगाल में भी अब केवल उन्हीं लोगों को भारतीय नागरिकता मिल पाएगी, जो वर्ष 2014 से पहले वहां आए हैं। ममता बनर्जी केलिए यह बहुत बड़ा झटका है, क्योंकि वर्ष 2014 से पहले देश के बाहर से पश्चिम बंगाल आए नागरिकों को इस कानून के अंतर्गत ही भारतीय नागरिकता मिल सकेगी, बाकी केलिए समय-सीमा की एक गाइडलाइन है, जिसके अंतर्गत वे भारतीय नागरिकता के पात्र हो सकेंगे। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार एक साथ कई मोर्चों पर मुंहकी खा रही है। कोलकाता हाईकोर्ट ने हालही में बंगाल में मुसलमानों के ओबीसी प्रमाण पत्र देने का फैसला ग़ैर कानूनी बताकर रद्द किया है, जिससे ममता बनर्जी सरकार बौखला गई है। इसी प्रकार कोलकाता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा सामने आने पर शिक्षकों की नियुक्तियां रद्द की हैं। यद्यपि सुप्रीमकोर्ट ने हाईकोर्ट के इस फैसले के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है, तथापि यह दोनों फैसले ममता बनर्जी सरकार केलिए बड़ी मुसीबत बन चुके हैं और जिनमें ममता बनर्जी के राजनीतिक एजेंडे ध्वस्त हो गए हैं।