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Thursday 30 May 2024 04:22:22 PM
नैनीताल। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और पत्नी डॉ सुदेश धनखड़ ने आज उत्तराखंड के नैनीताल जिले में श्रीकैंची धाम में बाबा नीब करौरी महाराज दर्शन किए और आश्रमवासियों केसाथ समय व्यतीत किया। महाराज के दर्शन के उपरांत उपराष्ट्रपति ने कहाकि इस पवित्र स्थान पर आकर मन में नई ऊर्जा का संचार हुआ है और राष्ट्र के प्रति आस्था भक्ति भावना में बढ़ोतरी हुई है। श्रीकैंची धाम में महाराज के दर्शन कर जगदीप धनखड़ ने कहाकि इस जगह आकर उन्हें धार्मिकता, उदात्तता और आध्यात्मिकता के संगम का आभास हुआ है। उन्होंने जोर देते हुए कहाकि यह वो पुण्य स्थान है, जहां ऐसे महापुरुष हुए हैं, जिनके द्वारा निर्धारित उच्चतम सिद्धांत सभी केलिए अनुकरणीय हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत की उत्कृष्ट सांस्कृतिक विरासत की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहाकि भारत की 5000 साल की सांस्कृतिक विरासत दुनिया में बेमिसाल है और आज की वैश्विक समस्याओं के समाधान में भारतीय संस्कृति एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। उपराष्ट्रपति के यहां से पूर्व हल्द्वानी आगमन पर उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रि) गुरमीत सिंह एवं उत्तरखंड सरकार में मंत्री गणेश जोशी ने उनका स्वागत किया। उल्लेखनीय हैकि नैनीताल जिले में स्थित श्रीकैंची धाम बाबा नीब करौरी महाराज के चमत्कारों केलिए विख्यात है, जहां देश-विदेश के भक्त और श्रद्धालू उनके आशीर्वाद केलिए बड़ी संख्या में श्रीकैंची धाम आश्रम पहुंचा करते हैं।
नीब करौरी महाराज हनुमानजी के परम भक्त थे। उनके अनुयायी उन्हें महाराजजी कहा करते थे। उनका वास्तविक नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा था, जो एक धनी ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। अगर आप श्रीकैंची धाम नीब करौरी बाबा के आश्रम जाना चाहते हैं तो मार्च से जून तक का समय सबसे ज्यादा उपयुक्त है, इसके अलावा सितंबर से नवंबर के बीच भी कैंची धाम आ सकते हैं। बाबा नीब करौरी के आश्रम में लोग मिठाइयां, फल और पैसे तो चढ़ाते ही हैं, वहां कंबल भी चढ़ाया जाता है, कैंची धाम में कंबल चढ़ाने की परंपरा बहुत पुरानी है। नीब करौरी बाबा का दूसरा आश्रम उत्तर प्रदेश के वृंदावन में है, वहां उनका महासमाधि मंदिर भी है। वृंदावन बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से बाबा का आश्रम महज़ 2 किलोमीटर की दूरी पर है। बाबा नीब करौरी का एक और आश्रम अमेरिका में भी हैं।
कहा जाता है कि एक बार नीब करौरी बाबा बिना टिकट के ट्रेन में सफर कर रहे थे। टीसी ने बाबा के पास टिकट नहीं मिलने पर उन्हें अगले स्टेशन पर उतार दिया, जिसका नाम नीब करौरी था। ट्रेन से उतारने के बाद बाबा नीब करौरी से कुछ दूर जाकर जमीन पर बैठ गए। इसके बाद जो हुआ वह चमत्कार था। बाबा को ट्रेन से उतारने के बाद वह ट्रेन वहीं जाम हो गई। जब ट्रेन चलाने के सभी प्रयास विफल हुए तो यात्रियों ने ट्रेन ड्राइवर और टीसी से बाबा को वापस ट्रेन में बैठाने को कहा। इसपर बाबा ने शर्त रखीकि रेलवे साधुओं का सम्मान करे और जिस जगह बाबा को उतारा गया है, वहां एक रेलवे स्टेशन बनवाया जाए। इसके बाद वह ट्रेन तुरंत चालू हो गई और रेलवे ने भी वहां नीब करौरी रेलवे स्टेशन बना दिया। दिनांक 11 सितंबर 1973 को बाबा वृंदावन में ब्रह्मलीन हो गए।
बाबा नीब करौरी के शिष्य रामदास और लैरी ब्रिलियंट ने बर्कले (कैलिफोर्निया) में उनके नाम से 'सेवा फाउंडेशन' की स्थापना की, जिसे स्टीव जॉब्स ने वित्त पोषित किया। नीब करौरी बाबा की दिव्य शक्तियों को हर कोई मानता है। बाबा नीब करौरी के पास 1974 में स्टीव जॉब्स अपने दोस्त डैन कोट्टके के साथ पहुंचे थे। वह उस दौरान हिंदू धर्म और भारतीय आध्यात्मिकता का अध्ययन करने भारत आए थे। स्टीव जॉब्स से प्रभावित होकर फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी 2015 में बाबा नीब करौरी के श्रीकैंची धाम आश्रम पहुंचे थे। राजनेताओं, उद्योगपतियों, हॉलीवुड बॉलीवुड के अभिनेताओं और अभिनेत्रियों और सामाजिक क्षेत्र के विख्यात लोगों एवं जनसामान्य का बड़ी संख्या में बाबा नीब करौरी के आश्रम में आना-जाना होता है।