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Friday 7 June 2024 06:22:07 PM
नई दिल्ली। भारत के सांस्कृतिक इतिहास में आज एक महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय नई दिल्ली में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधीन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सहयोग से 'छत्रपति शिवाजी महाराज: महान राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ का उत्सव' विषयक प्रदर्शनी का संयुक्त रूपसे उद्घाटन किया गया है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में सचिव गोविंद मोहन ने इस अवसर पर कहा हैकि यह प्रदर्शनी भारत के प्रतिष्ठित एवं ऐतिहासिक महापुरुष छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और उनके कालखंड से सभी को परिचित कराती है। गोविंद मोहन ने कहाकि यह प्रदर्शनी भारत के समृद्ध ऐतिहासिक ताने-बाने में उनके उल्लेखनीय योगदान केप्रति एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि है।
संस्कृति सचिव गोविंद मोहन ने कहाकि प्रदर्शनी में नौसैन्य शक्ति की महत्ता के बारेमें शिवाजी महाराज की गहरी समझ से उनके अद्वितीय नेतृत्व, दूरदर्शी प्रशासनिक रणनीतियों और भारत की संप्रभुता केप्रति उनकी अडिग प्रतिबद्धता का परिचय देखने को मिलता है। उन्होंने कहाकि एक महान नेतृत्वकर्ता, प्रशासक और दूरदृष्टा के रूपमें शिवाजी महाराज की चिरकालीन विरासत भावी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। संस्कृति सचिव ने उन प्रतिभाशाली कलाकारों की प्रशंसा की, जिन्होंने अपने असाधारण कौशल और समर्पण केसाथ छत्रपति शिवाजी महाराज के इस संग्रह को जीवंत बना दिया है। उन्होंने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में इस अमूल्य संग्रह को संरक्षित करने के महत्व पर जोर दिया, ताकि यह सुनिश्चित हो सकेकि भावी पीढ़ियों को यह संग्रह छत्रपति शिवाजी महाराज की समृद्ध विरासत के बारेमें प्रेरित और शिक्षित करता रहे। प्रदर्शनी में ऐतिहासिक महत्व से भरपूर विशाल कैनवस प्रदर्शित किए गए हैं, इनमें 115 उत्कृष्ट कृतियों का छत्रपति शिवाजी का एक अद्भुत संग्रह है।
छत्रपति शिवाजी महाराज की समृद्ध विरासत के इन चित्रों को दीपक गोरे ने संग्रहित किया है। दीपक गोरे ने प्रसिद्ध इतिहासकार और छत्रपति शिवाजी के इतिहास के विशेषज्ञ पद्मविभूषण बाबासाहेब पुरंदरे के मार्गदर्शन में इस विषय पर गहन शोध और व्यापक फील्ड वर्क केबाद कलाकार श्रीकांत चौगुले और गौतम चौगुले से इन चित्रों को बनवाया है। प्रसिद्ध पिता-पुत्र कलाकार जोड़ी श्रीकांत चौगुले और गौतम चौगुले केसाथ दीपक गोरे ने इसे जीवंत बनाने के प्रयास किए हैं। प्रसिद्ध इतिहासकार और पद्मविभूषण से अलंकृत बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे के सहयोग से हर विवरण को पूरी तन्मयता से प्रस्तुत किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप छत्रपति शिवाजी के जीवन और विरासत का आकर्षक चित्रण संभव हुआ है। प्रदर्शनी का आरंभ एक महत्वपूर्ण दृश्य से होता है: एक युवा शिवाजी अपने पिता शाहजी से भगवा ध्वज प्राप्त करते हैं, जो एक सपने के जन्म का प्रतीक है-एक स्वतंत्र मराठा राज्य, स्वराज्य। फिर आगंतुकों को प्रमुख सैन्य और नौसैनिक घटनाओं को शामिल करते हुए एक कथात्मक यात्रा पर ले जाया जाता है, जिसमें रायगढ़ के किले को अपने गढ़ के रूपमें चुनने में शिवाजी की रणनीतिक प्रतिभा पर प्रकाश डाला जाता है।
राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महानिदेशक डॉ संजीव किशोर गौतम ने प्रदर्शनी की सफलता में शामिल लोगों केप्रति गहरा आभार व्यक्त किया और छत्रपति शिवाजी महाराज के महान राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में इस प्रदर्शनी का महत्व बताया। यह प्रदर्शनी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और इसके सबसे महान नायकों में से एक छत्रपति शिवाजी की स्थायी विरासत का प्रमाण है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी ने गर्व व्यक्त कियाकि भारत के महान सपूत छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ मनाने केलिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सहयोग से उनके जीवन पर चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। गौरतलब हैकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 दिसंबर 2023 को नौसेना दिवस पर राजकोट किले में इन चित्रों को देखा था, जहां दीपक गोरे ने इन चित्रों को राष्ट्रीय हित केलिए उपहारस्वरूप देने की इच्छा व्यक्त की थी। यह प्रदर्शनी विशेषकर युवाओं केलिए प्रेरणास्रोत है और यह 21 जून 2024 तक जनता केलिए खुली रहेगी।