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माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट सेना में शामिल

यह शत्रुतापूर्ण ख़तरों के विरुद्ध एक प्रभावशाली कवच है-डीआरडीओ

भारतीय नौ सेना में आने से पहले चैफ रॉकेट के सभी परीक्षण सफल

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 27 June 2024 12:57:14 PM

microwave obscurant chaff rocket inducted into indian army

नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने कल नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में मध्यम दूरी का अचूक और जबरदस्त प्रहार करने वाला माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट भारतीय नौसेना को सौंप दिया। इसे डीआरडीओ की रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर ने विकसित किया है और यह ऐसी तकनीक है, जो रडार संकेतों को अस्पष्ट करती है एवं प्लेटफार्मों और परिसंपत्तियों के चारों ओर माइक्रोवेव शील्ड बनाती है, जो इस चैफ रॉकेट को रडार की पकड़ में आने की आशंका को कम करती है। चैफ रॉकेट में कुछ माइक्रोन के व्यास और अद्वितीय माइक्रोवेव आरोपण गुणों केसाथ विशेष प्रकार के फाइबर का इस्तेमाल किया गया है।
माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट के दागे जाने पर इसका माइक्रोवेव पर्याप्त समय केलिए अंतरिक्ष के पर्याप्त क्षेत्रमें अस्पष्ट बादल बना देता है, जिससे रेडियो फ्रीक्वेंसी पकड़ने वाले शत्रुतापूर्ण खतरों के विरुद्ध एक प्रभावी कवच का निर्माण हो जाता है। चैफ रॉकेट ने सेना में आने से पूर्व कई अग्नि परीक्षाएं दी हैं, जिनमें वह शत्रुतापूर्ण ख़तरों के विरुद्ध खरा उतरा है। इसके पहले चरण के परीक्षणों को भारतीय नौसेना के जहाजों से सफलतापूर्वक पूरा किया गया, जिस दौरान एमओसी क्लाउड खिला रहा और लगातार अंतरिक्ष में बना रहा। दूसरे चरण के परीक्षणों में रडार क्रॉस सेक्शन ने हवाई लक्ष्य को 90 प्रतिशत तक कम करने का प्रदर्शन किया, जिसके बाद भारतीय नौसेना ने इसे मंजूरी दे दी। योग्यता जरूरतों को पूरा करने वाले सभी माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट को सफलतापूर्वक भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट के सफल विकास पर डीआरडीओ और भारतीय नौसेना की सराहना की है। उन्होंने एमओसी तकनीक को रक्षा क्षेत्रमें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और कदम बताया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत ने माइक्रोवेव ऑब्स्क्यूरेंट चैफ रॉकेट को भारतीय नौसेना के नौसेना आयुध निरीक्षण महानिदेशक रियर एडमिरल बृजेश वशिष्ठ को सौंपा। डॉ समीर वी कामत ने रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर टीम को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि केलिए बधाई दी है। नौसेना आयुध निरीक्षण महानिदेशक ने भी कम समय में रणनीतिक रूपसे महत्वपूर्ण इस तकनीक को स्वदेश में विकसित करने केलिए डीआरडीओ के प्रयासों की सराहना की।

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