स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 2 July 2024 01:10:37 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दावा किया हैकि देशभर में लागू हो चुके तीन नए आपराधिक क़ानूनों को दंड की जगह न्याय देने वाले और पीड़ित से न्याय करने वाले क़ानून हैं। उन्होंने कहाकि नए क़ानूनों में दंड की जगह न्याय को प्राथमिकता दी गई है, इसमें देरी की जगह स्पीडी ट्रायल, स्पीडी जस्टिस और पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित है। नए आपराधिक क़ानूनों की विशेषताओं पर फोकस करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने प्रेस से कहाकि नए आपराधिक कानूनों पर कई प्रकार की भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं, जिनका उद्देश्य इन क़ानूनों के बारेमें जनता में भ्रम पैदा करना है। उन्होंने कहाकि नए कानूनों को उनके हर पहलू पर चार साल विस्तार से अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स से विचार-विमर्श करके ही लाया गया है, जबकि आजादी से अबतक किसीभी कानून पर इतनी लंबी चर्चा नहीं हुई। गृहमंत्री ने कहाकि आजादी के 77 साल बाद भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली पूर्णतया स्वदेशी हो गई है, यह तीनों कानून देशके हर पुलिस थाने में भी लागू हो गए हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि नए आपराधिक कानूनों के आधार में दंड की जगह न्याय, देरी की जगह त्वरित ट्रायल और त्वरित न्याय को रखा गया है, पहले के कानूनों में सिर्फ पुलिस के अधिकारों की रक्षा प्रमुख थी, लेकिन नए कानूनों में अब पीड़ितों और शिकायतकर्ता के अधिकारों की भी रक्षा करने का प्रावधान है। अमित शाह ने कहाकि 1 जुलाई से देशभर में प्रभाव में आए इन कानूनों के लागू होने से देश की पूरी आपराधिक न्याय प्रणाली में भारतीय आत्मा दिखाई देगी। उन्होंने कहाकि नए कानूनों में कई ऐसे प्रावधान किए गए हैं, जिनसे देशके नागरिक पूरी तरह संतुष्ट होंगे। उन्होंने कहाकि इनमें अंग्रेजों के समय के कई विवादास्पद प्रावधानों को हटाकर नए क़ानून में आजकी आवश्यकता परिस्थितियों और समय के अनुकूल धाराएं जोड़ी गई हैं, कई ऐसी धाराएं हटाई गई हैं, जिससे देशवासियों को उत्पीड़नात्मक परेशानियां थीं। गृहमंत्री ने कहाकि इनमें भारतीय संविधान की स्पिरिट के अनुरूप धाराओं और अध्यायों की प्राथमिकता सुनिश्चित की गई है। उन्होंने कहाकि नए कानूनों में सबसे पहली प्राथमिकता महिलाओं और बच्चों पर अपराधों के खिलाफ कार्रवाई की है, बच्चों एवं महिलाओं पर क़ानून में 35 धाराएं और 13 प्रावधान जोड़कर इसे औरभी संवेदनशील बनाया गया है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहाकि मॉब लिंचिंग के अपराध के शमन केलिए पहले के क़ानून में कोई प्रावधान नहीं था, लेकिन नए कानूनों में पहली बार मॉब लिंचिंग को परिभाषित किया गया है और इसमें कड़ी सज़ा सुनिश्चित की गई है। अमित शाह ने कहाकि नए क़ानूनों में अंग्रेजों का बनाया राजद्रोह कानून जड़ से समाप्त कर दिया गया है, नए कानून में देशविरोधी गतिविधियों केलिए नई धारा जोड़ी गई है, जिसके तहत भारत की एकता और अखंडता को क्षति पहुंचाने वालों को कड़ी से कड़ी सज़ा का प्रावधान किया गया है। अमित शाह ने कहाकि नए कानून पूरी तरह से सबसे आधुनिक न्याय प्रणाली का सृजन करेंगे, जिसमें भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली दुनिया की सबसे आधुनिकतम न्याय प्रणाली बन जाएगी। उन्होंने कहाकि नए क़ानूनों में न केवल तकनीक को अपनाया गया है, बल्कि इस तरह का प्रावधान भी किया गया हैकि अगले 50 साल की सभी तकनीकें इसमें समाहित हो सकेंगी। उन्होंने बतायाकि देशभर के 99.9 प्रतिशत पुलिस थाने कंप्यूटराइज़्ड हो चुके हैं, ई-रिकॉर्ड जनरेट करने की प्रक्रिया भी 2019 से शुरू हो चुकी है, जीरो-एफआईआर, ई-एफआईआर और चार्जशीट सभी डिजिटल होंगी।
'तारीख पर तारीख से निजात'
अमित शाह ने कहाकि नए क़ानूनों में सभी प्रक्रियाओं के पूरा होने की समयसीमा भी तय की गई है, इनके पूरी तरह लागू होने केबाद तारीख पर तारीख से निजात मिलेगी। उन्होंने कहाकि किसीभी मामले में एफआईआर दर्ज होने से सुप्रीमकोर्ट तक तीन साल में न्याय मिल सकेगा। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहाकि नए कानूनों में 7 साल या उससे अधिक की सज़ा वाले अपराधों में फॉरेंसिक जांच को अनिवार्य कर दिया गया है और दावा कियाकि इससे न्याय जल्दी मिलेगा एवं यह दोष सिद्धि दर को 90 प्रतिशत तक लेजाने में सहायक होगा। अमित शाह ने कहाकि फॉरेंसिक विजिट को अनिवार्य बनाने में दूरदर्शिता केसाथ काम करके 2020 में ही नेशनल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी बना दी गई थी। उन्होंने कहाकि इसके लिए ट्रेंड मैनपावर की ज़रूरत होगी और तीन साल बाद देशमें हर साल 40000 से ज्यादा ट्रेंड मैनपावर न्यायिक प्रणाली की सेवा में उपलब्ध होगी। उन्होंने बतायाकि हालही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया हैकि 9 राज्यों में फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के कैंपस खोले जाएंगे और 6 सेंट्रल फॉरेंसिक लैबोरेट्रीज भी स्थापित की जाएंगी। अमित शाह ने कहाकि भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 में भी साक्ष्य के संबंध में टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दिया गया है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने बतायाकि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य केप्रति विश्वसनीयता बढ़ाने केलिए नए क़ानून में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं, इसमें सर्वर लॉग्स, स्थान संबंधी साक्ष्य और वॉयस मैसेजेज़ की व्याख्या की गई है। उन्होंने कहाकि तीनों कानून देश की 8वीं अनुसूची की सभी भाषाओं में उपलब्ध होंगे और केस भी उन्हीं भाषाओं में चलेंगे। गृहमंत्री ने कहाकि केंद्रीय गृह मंत्रालय, न्याय मंत्रालय, हर राज्य के गृह विभाग और न्याय विभाग ने नए कानूनों को अमली जामा पहनाने केलिए बहुत प्रयास किए हैं। उन्होंने कहाकि नए कानूनों में आजके समय के हिसाब से धाराएं जोड़ी गई हैं और कई ऐसी धाराएं हटाई भी गई हैं, जिससे देशवासियों को परेशानी थी। अमित शाह ने कहाकि नए कानूनों पर लगभग 22.5 लाख पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग केलिए 12000 मास्टर ट्रेनर्स तैयार करने का लक्ष्य था, हालांकि कई इंस्टीट्यूशंस को अधिकृत किया करके 23 हजार से अधिक मास्टर ट्रेनर्स का प्रशिक्षण किया जा चुका है। उन्होंने कहाकि ज्यूडिशरी में 21000 सबोर्डिनेट ज्यूडिशरी की ट्रेनिंग हो चुकी है, साथही 20 हजार पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को ट्रेंड किया गया है। अमित शाह ने बतायाकि इन कानूनों पर लोकसभा में कुल 9 घंटे 29 मिनट चर्चा हुई, जिसमें 34 सदस्यों ने हिस्सा लिया, जबकि राज्यसभा में 6 घंटे 17 मिनट चर्चा हुई और उसमें 40 सदस्यों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहाकि एक ऐसा भी झूंठ फैलाया जा रहा हैकि संसद सदस्यों को बाहर निकालने केबाद यह कानून पारित किए गए। उन्होंने कहाकि निष्कासित सदस्यों केपास फिरभी एक विकल्प थाकि वे सदन में आकर चर्चा में शामिल होकर अपना मत रख सकते थे, लेकिन एक भी सदस्य ने ऐसा नहीं किया।
अमित शाह ने कहाकि 2020 में उन्होंने सांसदों, मुख्यमंत्रियों, सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को पत्र लिखकर नए क़ानूनों पर उनके सुझाव मांगे थे, केंद्रीय गृह सचिव ने भी देशके सभी आईपीएस अधिकारियों और ज़िलाधिकारियों से भी इसपर सुझाव मांगे थे। अमित शाह ने बतायाकि उन्होंने स्वयं 158 बार नए कानूनों की समीक्षा बैठक की, इसके बाद इन कानूनों को गृह मंत्रालय की समिति केपास भेजा गया जहां ढाई-तीन महीने इन पर गहन चर्चा हुई, इसमें सभी दलों के सांसदों ने हिस्सा लिया और अपने सुझाव दिए। अमित शाह ने कहाकि कुछ राजनीतिक सुझावों को छोड़कर हर सुझाव को समाहितकर कुल 93 बदलावों केसाथ इस बिल को फिरसे कैबिनेट ने पारित किया, तब इसे संसद में रखा गया। उन्होंने कहाकि इतने बड़े सुधार को पॉलिटिकल कलर देना ठीक नहीं है, यह कानून देश के 140 करोड़ नागरिकों को संविधान की स्प्रिट के अनुसार समय पर न्याय और आत्मसम्मान दिलाने की एक प्रक्रिया है। उन्होंने कहाकि आजादी केबाद से अबतक किसीभी क़ानून पर इतनी लंबी चर्चा नहीं हुई है। गृहमंत्री ने सभी राजनीतिक दलों से अपील कीकि वे राजनीति से ऊपर उठकर इन कानूनों का समर्थन करें और जनता के हित में अपने सुझावों पर चर्चा करें।
केंद्रीय गृहमंत्री ने नए क़ानून में 15 दिन की पुलिस रिमांड पर प्रेस के सवाल का जवाब देते हुए कहाकि कुछ लोग यह भ्रम फैला रहे हैंकि नए कानूनों में रिमांड का समय बढ़ गया है, जबकि सच यह हैकि नए कानूनों के तहत भी रिमांड का समय पहले की तरह 15 दिन का ही है, इसबारे में केवल भ्रांति फैलाई जा रही हैकि रिमांड का समय बढ़ाया गया है। उन्होंने कहाकि नए कानूनों में 60 दिन के अंदर कुल 15 दिन की रिमांड का प्रावधान किया गया है, रिमांड की लिमिट को नहीं बढ़ाया गया है। अमित शाह ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहाकि नए कानून के तहत पहला मामला दिल्ली के स्ट्रीट वेंडर के खिलाफ नहीं दर्ज हुआ, बल्कि ग्वालियर के पुलिस थाने में एक चोरी की एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने कहाकि दिल्ली में वेंडर के खिलाफ जो मामला रजिस्टर हुआ है, वो पुराने प्रावधान के तहत हुआ था, जिसे पुलिस ने रिव्यू के प्रावधान का उपयोग कर खारिज कर दिया है। अमित शाह ने ये भी कहाकि देश की हर क्षेत्रीय भाषा में इन कानूनों को उपलब्ध कराया जाएगा और अगर फिरभी किसीके मन में कोई शंका है तो वे उनसे मिल सकते हैं और अपना विरोध दर्ज करा सकते हैं। उन्होंने कहाकि कानूनों का बहिष्कार करने की बजाय मिलकर बात करने का रास्ता अपनाना चाहिए।