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Monday 8 July 2024 12:07:59 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने 46वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक केलिए परियोजना पीएआरआई शुरु की है, जिसका उद्देश्य संवाद, चिंतन और प्रेरणा को प्रोत्साहित करना है, जो राष्ट्र के गतिशील सांस्कृतिक ताने-बाने में योगदान देता है। परियोजना पीएआरआई के तहत देशभर से राष्ट्रीय राजधानी आए कलाकार अपने-अपने क्षेत्रों की संस्कृति एवं शिल्प को राजधानी के सार्वजनिक स्थलों का सौंदर्यीकरण करके दर्शा रहे हैं। गौरतलब हैकि भारत, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विविधता को दर्शाते हुए लोककला का समृद्ध इतिहास एवं कलात्मक अभिव्यक्ति का एक जीवंत केंद्र है। प्राचीन चट्टानों को काटकर बनाए गए मंदिरों और जटिल भित्तिचित्रों से लेकर भव्य सार्वजनिक मूर्तियों और जीवंत स्ट्रीट आर्ट तक भारतके परिदृश्य कलात्मक चमत्कारों से सुशोभित हैं। ऐतिहासिक रूपसे कला दैनिक जीवन, धार्मिक कार्यों और सामाजिक रीति-रिवाजों केसाथ गहराई से जुड़ी हुई है, जो नृत्य, संगीत, रंगमंच और दृश्य कला जैसे विभिन्न तरीकों से प्रकट होती है।
प्रोजेक्ट पीएआरआई यानी 'भारत की सार्वजनिक कला' केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की एक पहल है, जिसे ललित कला अकादमी और राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय क्रियांवित कर रहा है। इसका उद्देश्य आधुनिक विषयों और तकनीकों को शामिल करते हुए हजारों साल की कलात्मक विरासत से प्रेरित लोककलाओं को सामने लाना है। ये अभिव्यक्तियां भारतीय समाज में कला के अंतर्निहित मूल्य को रेखांकित करती हैं, जो रचनात्मकता और कलात्मक अभिव्यक्ति केलिए राष्ट्र की स्थायी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। प्रोजेक्ट पीएआरआई केतहत पहला कार्य दिल्ली में हो रहा है, जो विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र केसाथ मेल खाता है, यह 21-31 जुलाई 2024 केबीच नई दिल्ली में आयोजित किया जाना है। सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के माध्यम से कला की पहुंच बढ़ाना शहरी परिदृश्यों को सुलभ दीर्घाओं में बदल देता है, जहां कला पारंपरिक स्थानों जैसे संग्रहालयों और दीर्घाओं की सीमाओं को पारकर जाती है। सड़कों, पार्कों और पारगमन केंद्रों से कला को जोड़कर ये पहल सुनिश्चित करती हैकि कलात्मक अनुभव सभी केलिए उपलब्ध हों।
परियोजना केतहत विभिन्न वॉल पेंटिंग, भित्ति चित्र, मूर्तियां और महत्वपूर्ण कार्यों केलिए देशभर के 150 से अधिक दृश्य कलाकार एकसाथ आए हैं। रचनात्मक कैनवास में फड़ चित्रकला (राजस्थान), थंगका पेंटिंग (सिक्किम/ लद्दाख), मिनीयेचर पेंटिंग (हिमाचल प्रदेश), गोंड आर्ट (मध्य प्रदेश), तंजौर पेंटिंग (तमिलनाडु), कलमकारी (आंध्र प्रदेश), अल्पना कला (पश्चिम बंगाल), चेरियल चित्रकला (तेलंगाना), पिछवाई पेंटिंग (राजस्थान), लांजिया सौरा (ओडिशा), पट्टचित्र (पश्चिम बंगाल), बानी थानी पेंटिंग (राजस्थान), वरली (महाराष्ट्र), पिथौरा आर्ट (गुजरात), ऐपण (उत्तराखंड), केरल भित्ति चित्र (केरल), अल्पना कला (त्रिपुरा) आदि शैलियों से प्रेरित और/ या चित्रित कलाकृतियां शामिल हैं, लेकिन यह केवल कला तक ही सीमित नहीं है। परियोजना पीएआरआई केलिए बनाई जारही प्रस्तावित मूर्तियों में व्यापक विचार शामिल हैं, इनमें प्रकृति का सम्मान, नाट्यशास्त्र से प्रेरित विचार, गांधीजी, भारत के खिलौने, आतिथ्य, प्राचीन ज्ञान, नाद या आदि ध्वनि, जीवन का सामंजस्य, कल्पतरु-दिव्य वृक्ष आदि हैं।
विश्व धरोहर समिति की प्रस्तावित 46वीं बैठक के अनुरूप कुछ कलाकृतियां और मूर्तियां विश्व धरोहर स्थलों जैसे बीमबेटका और भारत में 7 प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों से प्रेरणा लेती हैं, जिन्हें प्रस्तावित कलाकृतियों में विशेष स्थान दिया गया है। महिला कलाकार परियोजना पीएआरआई का अभिन्न अंग हैं और बड़ी संख्या में उनकी भागीदारी भारत की नारी शक्ति का प्रमाण है। संस्कृति मंत्रालय इस पहल में बढ़चढ़कर भाग लेने केलिए कलाकारों को प्रोत्साहित कर रहा है और परियोजना पीएआरआई की किसी रचना केसाथ अपनी सेल्फी क्लिक करने और अपनी तस्वीरें #ProjectPARI केसाथ सोशल मीडिया पर साझा करने को भी कहा है।