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Friday 12 July 2024 06:48:48 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूपमें मनाने का निर्णय किया है। गौरतलब हैकि चालीस साल पहले 25 जून को कांग्रेस की तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने देश में इमरजेंसी लगाकर राजनीतिज्ञों और सरकार की आलोचना करने वालों, देशवासियों के मौलिक अधिकार खत्मकर प्रेस पर भी सेंसरशिप लागू करदी गई थी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा हैकि इस निर्णय का उद्देश्य उन लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान करना है, जिन्होंने देश में आपातकाल में तानाशाही सरकार की असंख्य यातनाओं और उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने केलिए संघर्ष किया था, जिसके फलस्वरूप इंदिरा गांधी सरकार का पतन हुआ था।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि ‘संविधान हत्या दिवस’ हर भारतीय के लोकतंत्र की रक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अमर ज्योति को जीवित रखने का काम करेगा, ताकि कोई भी तानाशाही मानसिकता भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न कर पाए। अमित शाह ने कहाकि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता दर्शाते हुए देशमें आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र और संविधान की हत्या की थी, लाखों भारतीयों को अकारण जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज़ दबा दी गई। उन्होंने कहाकि यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण कराएगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने केंद्र सरकार के इस फैसले को X प्लेटफॉर्म पर पोस्ट्स किया हैकि भारत सरकार ने हर साल देशमें 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूपमें मनाने का निर्णय लिया है। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार यह निर्णय लिया है।