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Tuesday 23 July 2024 12:51:04 PM
मसूरी। नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस (एनसीजीजी) मसूरी में सोशलिस्ट रिपब्लिक ऑफ श्रीलंका के वरिष्ठ सिविल सेवकों के चौथे क्षमता निर्माण कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को एनसीजीजी के महानिदेशक और प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के सचिव वी श्रीनिवास ने संबोधित किया। उन्होंने इस अवसर पर भारत के दृष्टिकोण 'विकसित भारत-2047' पर जोर दिया और आधुनिक बुनियादी ढांचे एवं अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका और 'अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार' नीति पर प्रकाश डाला। वी श्रीनिवास ने कहाकि सामाजिक न्याय, पारदर्शिता और जवाबदेही पर केंद्रित नीतियों के माध्यम से सुशासन की दृढ़ प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करना है, जिसका लक्ष्य सभी नागरिकों को समान अवसर प्रदान करना है।
क्षमता निर्माण कार्यक्रम 2 अगस्त-2024 तक चलेगा, जिसमें 40 विशिष्ट प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। सिविल सेवकों केलिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम के दौरान एसोसिएट प्रोफेसर डॉ एपी सिंह ने एनसीजीजी के कामकाज और कार्यक्रम का अवलोकन किया। इसमें शासन के बदलते प्रतिमान, भारतीय सेवाओं का अवलोकन, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता पर इसका प्रभाव नीतियां और वैश्विक प्रथाएं, सेवा का अधिकार जीवन में आसानी, ई-ऑफिस, योजना और पर्यावरण के अनुकूल निर्माण जैसे विषयों पर व्याख्यान शामिल हैं। साथ ही स्मार्ट सिटी, सार्वजनिक-निजी भागीदारी, डिजिटल इंडिया, भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन (स्वामित्व योजना और डीआईएलआरएमपी), भारत की विकास गाथा, आपदा प्रबंधन और 2030 तक एसडीजी हासिल करने के दृष्टिकोण आदि पर भी चर्चा होगी।
श्रीलंका के प्रतिभागी सिविल सेवक प्रमुख संस्थानों और स्थलों का भी दौरा करेंगे, जिनमें इंदिरा गांधी वन राष्ट्रीय अकादमी, वन अनुसंधान संस्थान, पंचकूला का जिला अटैचमेंट, चंडीगढ़ में साइबर अपराध केंद्र, राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, प्रधानमंत्री संग्रहालय और ताज महल शामिल हैं। क्षमता निर्माण कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को भारत के सुशासन और उन्नत प्रौद्योगिकी मॉडल के बारेमें शिक्षित करना है, जिससे श्रीलंका में बेहतर शासन प्रथाओं के कार्यांवयन को सुविधाजनक बनाया जा सके। गौरतलब हैकि राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) ने एमईए केसाथ साझेदारी में 17 देशों जैसे बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, नेपाल, भूटान, म्यांमार, इथियोपिया, इरिट्रिया और कंबोडिया के सिविल सेवकों को प्रशिक्षण दिया है।