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'जेसी बोस की वनस्पति खोज क्रांति गौरवशाली'

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दीक्षांत पर विद्यार्थियों को पदक व उपाधियां दीं

'जेसी बोस विश्वविद्यालय को विश्व के अग्रणी संस्थानों में स्थान दिलाएं'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 21 August 2024 06:28:50 PM

5th convocation of j.c. bose university of science and technology

फरीदाबाद (हरियाणा)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज फरीदाबाद में जेसी बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 5वें दीक्षांत समारोह में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को पदक और उपाधियां प्रदान कीं। राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों की प्रशंसा की और उनका मार्गदर्शन करने एवं उनकी सफलता में निरंतर योगदान देने केलिए प्राध्यापकों, उनके माता-पिता और अभिभावकों को भी बधाई दी। राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहाकि वर्ष 2047 में जब हमारा देश आजादी की शताब्दी मनाएगा, तब आप विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी नेतृत्व प्रदान कर रहे होंगे। उन्होंने कहाकि भारत की समृद्ध विरासत हमें सदैव गौरवांवित करती है, आप सभी इस समृद्ध विरासत का हिस्सा हैं और इसका ध्वजवाहक आपको ही बनना है, इसलिए अपनी क्षमता और योग्यता पर भरोसा करें और अपने लक्ष्यों की पूर्ति केलिए आत्मविश्वास से आगे बढ़ें। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त कियाकि वे सभी शिक्षा का सदुपयोग करके समाज और देश को बेहतर बनाने में अपना समुचित योगदान देंगे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि विश्वविद्यालय का ध्येय वाक्य है-‘विद्या परमं भूषणम्’, मैं चाहूंगीकि आप लोग अपने संस्थान के ध्येय वाक्य को आत्मसात करते हुए सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुंचे और इस शैक्षणिक संस्थान को विश्व के अग्रणी संस्थानों में स्थान दिलाएं। राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहाकि दीक्षांत समारोह का दिन हर विद्यार्थी के जीवन का अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर होता है, इस दिन उनको उनके कई वर्षों के परिश्रम का फल प्राप्त होता है और वे करियर के नए चरण में प्रवेश करते हैं। उन्होंने कहाकि आज पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने वाले 13 शोधार्थियों में आठ 8 छात्राएं हैं, यह हर्ष की बात हैकि उच्च शिक्षा और शोध के क्षेत्रमें हमारी बेटियां आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि आज उपाधि प्राप्त करनेवाले विद्यार्थियों में भी लगभग 43 प्रतिशत बेटियां हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि मैं चाहूंगीकि यह अनुपात और भी बेहतर हो।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि पांच दशक से भी अधिक समय से यह संस्थान युवाओं को कुशल और आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, इसके पूर्व विद्यार्थियों की एक प्रभावशाली सूची है, जो देश- विदेश में कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। उन्हें बताया गयाकि विश्वविद्यालय के छात्र संघ में दस हजार से अधिक सदस्य हैं, जो संस्थान के विद्यार्थियों को वित्तीय सहायता एवं परामर्श प्रदान करके आगे बढ़ने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने यहां पर विश्वकर्मा भवन और बिजनेस इनक्यूबेशन सेंटर की स्थापना में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राष्ट्रपति ने सुझाव दियाकि छात्र संघ के योगदान को और अधिक मजबूत एवं प्रभावशाली बनाने केलिए कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहाकि आज दुनिया चौथी औद्योगिक क्रांति के दौर में है, भारत भी इस क्रांति की चुनौतियों का सामना करने और इसके अवसरों का लाभ उठाने केलिए तैयार है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि इस लक्ष्य को हासिल करने में जेसी बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी। राष्ट्रपति यह जानकर प्रसन्न हुईंकि विश्वविद्यालय ने बीते कुछ वर्ष में कई औद्योगिक और शैक्षणिक संस्थानों केसाथ समझौते किए हैं, बहुतसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने छात्रों को प्रशिक्षित करने केलिए विश्वविद्यालय के परिसर में उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित किए हैं। द्रौपदी मुर्मु ने उम्मीद जताई कीकि इन सभी प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहाकि वर्तमान में प्रौद्योगिकी के विकास के कारण प्रगति के अनेक रास्ते खुल गए हैं, उदाहरण केलिए दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच ने ऑनलाइन रोज़गार के अनेक अवसर पैदा किए हैं, लेकिन हमें यह स्मरण रखना चाहिएकि प्रौद्योगिकी का उपयोग उचित तथा सतत विकास और जनहित केलिए किया जाना चाहिए, इसका गलत उपयोग विनाशकारी हो सकता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने युवाओं को कुशल और आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने केलिए जेसी बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहाकि विश्वविद्यालय का नाम महान वैज्ञानिक और आधुनिक विज्ञान के प्रणेता जगदीशचंद्र बोस के नाम पर रखा गया है, जो संभवतः दुनिया के पहले वैज्ञानिक थे, जिन्होंने वैज्ञानिक रूपसे यह साबित कियाकि पेड़-पौधों में भी भावनाएं होती हैं, उनकी क्रांतिकारी खोज ने वनस्पति जगत को देखने का हमारा नजरिया बदल दिया। राष्ट्रपति ने छात्रों से उनके जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेने और प्रौद्योगिकी के ज़रिए से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का आग्रह किया।

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