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फीचर फिल्मों के प्रदर्शन में मानकों पर चर्चा

दृष्टि और श्रवण बाधित दिव्यांग दर्शकों केलिए तकनीकी सुविधाएं

केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड दिल्ली ने किया संवाद सम्मेलन आयोजित

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 29 August 2024 01:25:43 PM

discussion on standards in screening of feature films

नई दिल्ली। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) दिल्ली के क्षेत्रीय कार्यालय सीजीओ कॉम्प्लेक्स में पंडित दीनदयाल अंत्योदय भवन में एक संवाद सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन का उद्देश्य सिनेमाघरों में सार्वजनिक प्रदर्शन केलिए फीचर फिल्मों में सुगम्यता मानक लागू करने पर चर्चा करना था। संवाद सम्मेलन में फिल्म आवेदकों, फिल्म निर्माताओं, निर्देशकों, तकनीकी सेवा प्रदाताओं और एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड और सक्षम एनजीओ के प्रतिनिधियों जैसे-दिव्यांगता सेवा को समर्पित संगठनों सहित हितधारकों के एक विविध समूह ने हिस्सा लिया। सीबीएफसी दिल्ली के क्षेत्रीय अधिकारी महेश कुमार ने प्रतिभागियों केसाथ मिलकर दृष्टि और श्रवण बाधित दिव्यांग दर्शकों केलिए समावेशिता सुनिश्चित करने हेतु अनिवार्य सुलभता सुविधाओं को शामिल करने पर चर्चा की।
भारतीय सांकेतिक भाषा व्याख्या के इस्तेमाल के जरिए ये सम्मेलन सभी प्रतिभागियों केलिए विशेष रूपसे सुलभ था, जो शुरू से ही समावेशिता के प्रति प्रतिबद्धता दिखलाता है। महेश कुमार ने सम्मेलन में नए विनियामक ढांचे की रूपरेखा प्रस्तुत की, जो अधिक सुलभ सिनेमा की ओर बदलाव की दिशा दिखलाता है। उन्होंने दर्शक आधार को व्यापक बनाने और दिव्यांगों के देखने के अनुभव को बेहतर करने में मानकों के महत्व पर जोर दिया। महेश कुमार ने सुविधाओं को लागू करने केलिए सहानुभूतिपूर्ण और विचारशील नजरिए को भी प्रोत्साहित किया। एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड के अध्यक्ष एएस नारायणन ने सिनेमा को अधिक ज्यादा अनुभव बनाने में सुलभता मानकों की महत्वपूर्ण भूमिका के बारेमें बताया। संवाद सम्मेलन की तकनीकी चर्चाओं में ऑडियो विवरण, क्लोज कैप्शन और सहायक प्रारूपों को मुख्यधारा की फिल्मों में एकीकृत करने केलिए व्यावहारिक कदमों और व्यवहार्य तकनीकों पर चर्चा की गई।
संवाद सम्मेलन में फिल्म निर्माताओं और निर्देशकों ने सुलभता केप्रति उद्योग की तत्परता और प्रतिबद्धता के दिशा-निर्देशों को अपनाने केलिए अपनी तत्परता व्यक्त की। इसमें विस्तारित दर्शकों के संभावित लाभों और इन बदलावों को लागू करने के वित्तीय निहितार्थों को स्वीकार किया गया। उनकी ये भागीदारी इस सुलभता केप्रति उद्योग की बढ़ती प्रतिबद्धता को दर्शाती है। सम्मेलन में ओजस्वी शर्मा की बहु-समावेशी फिल्म रब्ब दी आवाज़ के दृश्यों को प्रदर्शित किया गया। ये इस बात की मिसाल है कि समावेशिता को फिल्म निर्माण में प्रभावी रूपसे कैसे एकीकृत किया जा सकता है। सुलभता मानकों के सफल क्रियांवयन को सुनिश्चित करने केलिए सभी हितधारकों केबीच सहयोग की जरूरत पर आम सहमति केसाथ सम्मेलन का समापन हुआ।

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