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स्वास्थ्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता-उपराष्ट्रपति

चिकित्सा पेशे में व्यावसायीकरण व नैतिक अवमूल्यन चिंताजनक

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान अकादमी जोधपुर का 64वां दीक्षांत समारोह

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Sunday 24 November 2024 01:35:25 PM

64th convocation of national academy of medical sciences jodhpur

जोधपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने व्यक्ति के स्वास्थ्य, उसकी उत्पादकता और समाज के समग्र स्वास्थ्य केबीच सीधे संबंध पर प्रकाश डालते हुए कहा हैकि स्वास्थ्य सर्वोपरि है और प्राथमिकता है, क्योंकि अच्छा स्वास्थ्य न केवल व्यक्ति केलिए, बल्कि हमारे कार्यों केलिए भी जरूरी है और समाज के अच्छे स्वास्थ्य केलिए भी आवश्यक है। एम्स जोधपुर में राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान अकादमी (एनएएमएस) के 64वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने चिकित्सा पेशे में व्यावसायीकरण और नैतिक अवमूल्यन पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहाकि चिकित्सा पेशेवर अभिभावक के रूपमें काम करते हैं और भारत में यह भूमिका औरभी महत्वपूर्ण हो जाती है, जहां मानवता का छठा हिस्सा निवास करता है। उपराष्ट्रपति ने स्नातकों से कहाकि उनकी चिंता नैदानिक चिकित्सा से परे अच्छे स्वास्थ्य की वकालत करने की होनी चाहिए, उनको शिक्षक और सार्वजनिक स्वास्थ्य का पैरोकार बनना होगा। उपराष्ट्रपति ने कहाकि लेकिन स्वास्थ्य सेवा में अभी चुनौतियां हैं, चुनौतियां व्यावसायीकरण और नैतिक अवमूल्यन की हैं, जिनका समाधान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि स्वास्थ्य सेवा एक ईश्वरीय योगदान है। स्वास्थ्य देखभाल एक सेवा है, स्वास्थ्य सेवा को वाणिज्य से बहुत दूर होना चाहिए और स्वास्थ्य सेवा शोषण के विपरीत है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने '2047 तक विकसित भारत' बनाने केलिए एक स्वस्थ समाज की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहाकि हम तेजीसे आर्थिक उत्थान और अभूतपूर्व बुनियादी ढांचे का विकास कररहे हैं, जिससे भारत, जो कभी कमजोर पांच अर्थव्यवस्थाओं का हिस्सा था, बड़ी पांच वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है और तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य केलिए प्रतिव्यक्ति आय में 8 गुना वृद्धि की आवश्यकता है और यह तभी संभव है, जब हमारी आबादी स्वस्थ और फिट हो, कोई व्यक्ति प्रतिबद्ध, ईमानदार, दृढ़, प्रतिभाशाली, समर्पित हो सकता है, लेकिन अगर वह व्यक्ति शारीरिक रूपसे स्वस्थ नहीं है तो वह अपने समर्पण व विशेषज्ञता से बड़े पैमाने पर समाज की मदद करने के बजाय मदद मांगेगा, इसलिए यह जरूरी हैकि देश में हर कोई स्वस्थ रहे। उद्योग जगत के नेताओं से भारत में चिकित्सा उपकरणों के निर्माण का समर्थन करने का आग्रह करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि हमें स्थानीय स्तरपर निर्मित चिकित्सा उपकरणों को बढ़ावा देना चाहिए और इस मंच से मैं भारतीय उद्योग, व्यापार, व्यवसाय और वाणिज्य से आग्रह करूंगाकि वे देश ही नहीं दुनिया केलिए देशमें चिकित्सा उपकरण बनाने की गतिविधियों में तेजी लाएं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य देखभाल विशेषज्ञों से निवेदन कियाकि वे निवारक कल्याण शिक्षा को बढ़ावा दें। उन्होंने प्राचीन ग्रंथों और शास्त्रों में अच्छे स्वास्थ्य के महत्व को रेखांकित करते हुए कहाकि हमारे ऋषि-मुनि कह गए हैंकि पहला सुख निरोगी काया! उन्होंने स्वास्थ्य को हर चीज से पहले प्राथमिकता दी। उन्होंने कहाकि स्वास्थ्य केवल बीमारी की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि समग्र कल्याण की स्थिति है। उन्होंने कहाकि हमारे वेद, पुराण, उपनिषद ज्ञान और बुद्धि की खान हैं, हमें इनपर ध्यान देने की जरूरत है। जीवन में संयम के महत्व पर जोर देते हुए जगदीप धनखड़ ने श्रीमद्भगवद्गीता की ओर ध्यान आकर्षित किया और कहाकि आहार में संयम, सोच में संयम, संयमित मनोरंजन और क्रियाकलाप स्वस्थ जीवन की कुंजी हैं। भगवान श्रीकृष्ण संकेत देते हैंकि दो चरम सीमाएं-बहुत अधिक खाना या भूखा रहना और बहुत अधिक सोना या हर समय जागते रहना स्वास्थ्य केलिए अनुकूल नहीं है। दीक्षांत समारोह में एनएएमएस के अध्यक्ष डॉ शिव सरीन, भारत सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव डॉ पुण्य सलिला श्रीवास्तव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ राजेश सुधीर गोखले, एम्स जोधपुर के निदेशक डॉ जीडी पुरी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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