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उत्तराखंड में होगी डिजास्टर रेस्पांस फोर्स

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Wednesday 10 July 2013 12:25:58 PM

vijay bahuguna

देहरादून। उत्तराखंड में एनडीआरएफ की तर्ज पर एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रेस्पांस फोर्स) की एक बटालियन का गठन किया जाएगा, इसके तहत कुल चार कंपनियां क्रमश: रूद्रप्रयाग, जोशीमठ, बागेश्वर व चंपावत में स्थापित की जाएंगी। सोमवार को सचिवालय में पत्रकारों से अनौपचारिक वार्ता करते हुए मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बताया कि बाढ़, भूस्खलन, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति उत्तराखंड की संवेदनशीलता को देखते हुए यहां तत्काल राहत एवं बचाव कार्य प्रारंभ करने के लिए एसडीआरएफ की स्थापना का निर्णय लिया गया है, इसमें पीएसी व अन्य संस्थाओं से 40 वर्ष से कम उम्र के कार्मिकों की नियुक्ति की जाएगी, इनकी ट्रेनिंग एनडीआरएफ से कराई जाएगी।
आपदा में लापता व्यक्तियों के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि कुल 4045 व्यक्ति लापता हैं, जिनमें से 795 उत्तराखंड से हैं। जुलाई माह की 15 तारीख तक लापता व्यक्तियों को मृत मानते हुए अनुमन्य मुआवजा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा से प्रदेश में क्षतिग्रस्त घराटों के लिए भी 25 हजार रूपए प्रति घराट दिए जाने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ व हेमकुंड साहिब के मार्ग सितंबर माह के अंत तक खोलने का लक्ष्य रखा गया है। मसूरी, नैनीताल व अन्य पर्यटक स्थल पूरी तरह सुरक्षित हैं। यहां जाने में किसी प्रकार का भय नहीं होना चाहिए, कांवड़ यात्रा के लिए पुख्ता व्यवस्था की जा रही है, परंतु राहत कार्यों व रास्तों के पुनर्निर्माण को देखते हुए कांवड़ियों को ऋषिकेश से आगे जाने की अनुमति नहीं होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में आपदा से हुई क्षति का आंकलन शीघ्र ही आ जाएगा। इसके आधार पर भारत सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी। बाढ़ नियंत्रण के लिए केंद्र से 500 करोड़ का पैकेज मांगा जाएगा। विश्वबैंक व एडीबी की टीम एक-दो दिनों में देहरादून आ रही है। प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर के पुनर्विकास के संबंध में परियोजना तैयार की जाएगी। प्रदेश में राहत कार्य युद्धस्तर पर संचालित किए जा रहे हैं। खराब मौसम से कुछ बाधाएं आ रही हैं, परंतु संपर्क से कटे गांवों में खाद्यान्न व अन्य आवश्यक वस्तुएं पहुंचाई जा रही है। केदारनाथ में भेजी गई टीम अपने निर्धारित कार्य में लगी है, मौसम साफ होते ही इनकी जगह दूसरी टीम भेजी जाएगी। केदारनाथ में सतह पर जो भी शव थे उनका दाह संस्कार पूरे विधि विधान से किया गया है, मलबे व इमारतों में दबे शवों को मशीन व उपकरणों से वैज्ञानिक ढंग से निकालना होगा।

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