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Tuesday 11 February 2025 03:00:35 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा के 8वें संस्करण में देशभर के परीक्षार्थियों केसाथ उनके परीक्षा विषयों से लेकर सुपरफूड तकपर प्रेरक बातचीत की। गौरतलब हैकि देशभर में विभिन्न स्कूली एवं प्रतियोगी परीक्षाओं के सत्र शुरू होने वाले हैं और इन परीक्षाओं से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर वर्ष परीक्षार्थियों से मिल बैठकर उनको सफलता के टिप्स दिया करते हैं। प्रधानमंत्री का यह कार्यक्रम परीक्षार्थियों में बहुत लोकप्रिय है और परीक्षार्थी कहा करते हैंकि उन्हें प्रधानमंत्री की प्रेरणाएं परीक्षा और कॅरियर केप्रति उत्साहित करती हैं और सफल बनाती हैं। प्रधानमंत्री ने सुंदर नर्सरी दिल्ली में भावी परीक्षार्थियों को सबसे पहले तिल से बनी मिठाइयां खिलाईं जो पारंपरिक रूपसे सर्दियों के दौरान परोसी जाती हैं। उन्होंने परीक्षार्थियों से पोषण से समृद्धि विषय पर बातचीत शुरू की। उन्होंने कहाकि संयुक्तराष्ट्र ने 2023 को ‘अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष’ घोषित किया है और भारत के एक प्रस्ताव पर इसे दुनियाभर में प्रचारित किया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत सरकार ने संयुक्तराष्ट्र से दृढ़ता से आग्रह किया हैकि पोषण पर जागरुकता होनी चाहिए, क्योंकि उचित पोषण कई बीमारियों को रोकने में मदद करता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत में बाजरा सुपरफूड के रूपमें जाना जाता है। उन्होंने कहाकि भारत में फसलें, फल जैसी अधिकांश चीजें हमारी विरासत से जुड़ी हैं और उदाहरण दियाकि हर नई फसल या मौसम भगवान को समर्पित होता है, भारत में नई फसलों पर त्यौहार मनाए जाते हैं, उन्हें भगवान का प्रसाद मानकर वितरित किया जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विद्यार्थियों और परीक्षार्थियों से परीक्षा पर प्रेरक चर्चा नई दिल्ली के विरासत पार्क सुंदर नर्सरी में हुई, जिसे पहले अज़ीम बाग या बाग-ए-अज़ीम कहा जाता था। यह दिल्ली में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल हुमायूँ के मकबरे से सटा हुआ 16वीं शताब्दी का विरासत पार्क परिसर है। नरेंद्र मोदी ने बच्चों से मौसमी फल खाने का आग्रह किया और जंक फूड, तैलीय भोजन, मैदा से बने खाद्य पदार्थों से बचने को प्रोत्साहित किया। प्रधानमंत्री ने भोजन सही तरीके से करने के महत्व पर बात करते हुए बच्चों को इसे कम से कम 32 बार चबाने, पानी पीते समय पानी के छोटे-छोटे घूंट और उसका स्वाद लेने पर प्रकाश डाला। नरेंद्र मोदी ने उचित समय पर उचित भोजन लेने का उदाहरण किसान के खेतों में जाने से पहले सुबह भरपेट नाश्ता से जोड़ा जो सूर्यास्त से पहले अपना सायं का भोजन भी पूरा कर लेते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों और परीक्षार्थियों को इसी तरह की स्वस्थ जीवनशैली अपनाने केलिए प्रोत्साहित किया। प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य पर चर्चा करते हुए जोर दियाकि बीमार नहीं होने का अर्थ यह नहीं हैकि व्यक्ति स्वस्थ है। उन्होंने कहाकि शारीरिक फिटनेस और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने केलिए पर्याप्त मात्रा में नींद लेना महत्वपूर्ण है। उन्होंने बतायाकि नींद के महत्व पर कई शोध परियोजनाएं चल रही हैं, मानव शरीर केलिए सूर्य का प्रकाश जरूरी है, उन्होंने बच्चों को प्रतिदिन कुछ मिनट केलिए सुबह की धूप में रहने की आदत डालने केलिए प्रोत्साहित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बच्चों को सूर्योदय पर पेड़ के नीचे खड़े होकर गहरी सांस लेने केलिए कहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहते हुए अपनी बात समाप्त कीकि किसी व्यक्ति के जीवन में प्रगति करने केलिए पोषण का महत्व इस बातपर निर्भर करता हैकि वह क्या, कब, कैसे और क्यों खाता है। उन्होंने दबाव पर नियंत्रण पाने केलिए कहाकि यह दुर्भाग्यपूर्ण हैकि हमारे समाज में दबाव गहराई से समाहित हो गया है। उन्होंने कहाकि 10वीं या 12वीं जैसी स्कूली परीक्षाओं में अधिक अंक नहीं लाने का दबाव जीवन बर्बाद करना है, यह बच्चों पर दबाव बढ़ाता है। क्रिकेट मैच में गेंद पर बल्लेबाज की एकाग्रता का हवाला देते हुए नरेंद्र मोदी ने बच्चों को बल्लेबाज की तरह बाहरी दबाव से बचने और केवल लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करने को प्रोत्साहित किया, जिससे उन्हें दबाव का आसान सामना करने में मदद मिलेगी। विद्यार्थियों और परीक्षार्थियों से अच्छी तरह से तैयार रहने और हर समय खुदको चुनौती देते रहने केलिए कहते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि बहुत से लोग खुदके खिलाफ अपनी लड़ाई नहीं लड़ते हैं। उन्होंने आत्मचिंतन के महत्व पर व्यक्तियों से बार-बार खुदसे सवाल पूछने का आग्रह कियाकि वे क्या बन सकते हैं, क्या हासिल कर सकते हैं और कौनसे कार्य उन्हें संतुष्टि प्रदान करेंगे। उन्होंने कहाकि किसी का ध्यान दैनिक बाहरी प्रभावों जैसे अख़बारों या टीवी से प्रभावित नहीं होना चाहिए, बल्कि समय केसाथ जागरुक और विकसित होना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बतायाकि बहुत से लोग अक्सर अपने दिमाग को दिशाहीनता में भटकने देते हैं। उन्होंने सलाह दीकि वे अपने निर्णयों में लापरवाही न बरतें और किसी ऐसी चीज पर शांति पाने केलिए ध्यान केंद्रित करें, जो उन्हें चुनौतियों से निपटने में मदद करेगी। प्रधानमंत्री ने एक छात्र के प्रभावी नेतृत्व पर सुझाव साझा करने केलिए पूछे जाने पर कहाकि बाहरी दिखावट किसी नेता को परिभाषित नहीं करती है, बल्कि नेता वही होता है, जो दूसरों केलिए एक उदाहरण स्थापित करके नेतृत्व करता है, इसे प्राप्त करने केलिए खुद को बदलना चाहिए और उनमें सकारात्मक व्यवहार और बदलाव दिखना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहाकि नेतृत्व थोपा नहीं जाता है, बल्कि सहर्ष स्वीकार किया जाता है। उन्होंने कहाकि दूसरों को उपदेश देने से स्वीकृति नहीं मिलती, बल्कि व्यवहार ही स्वीकार्य होता है। उन्होंने एक उदाहरण दिया कि यदि कोई व्यक्ति स्वच्छता पर तो भाषण देता है, लेकिन वह स्वयं उसका पालन नहीं करता तो वह नेता नहीं बन सकता। नरेंद्र मोदी ने कहाकि नेतृत्व केलिए टीमवर्क और धैर्य आवश्यक है। उन्होंने कहाकि टीम के सदस्यों के सामने आनेवाली चुनौतियों को समझना महत्वपूर्ण है और कठिनाइयों के दौरान उनकी मदद करने से नेतृत्व केप्रति भरोसा बढ़ता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बच्चे की बचपन की कहानी साझा करके इसे स्पष्ट किया, जिसमें वह मेले में माता-पिता का हाथ थामे हुए था, उस बच्चे ने माता-पिता का हाथ पकड़ना बेहतर समझा जो सुरक्षा और विश्वास को सुनिश्चित करता है। उन्होंने कहाकि इसी प्रकार का विश्वास नेतृत्व का महत्वपूर्ण प्रेरकबल है। शौक और पढ़ाई केबीच संतुलन बनाने पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहाकि आम धारणा यह हैकि शिक्षा ही सफलता का एकमात्र रास्ता है, जबकि छात्र रोबोट नहीं हैं और उसका समग्र विकास काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहाकि शिक्षा केवल अगली कक्षा में आगे बढ़ने केलिए नहीं है, बल्कि यह व्यापक व्यक्तिगत विकास केलिए है। अतीत पर विचार करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहाकि बागवानी जैसे विषय कैसे शुरुआती स्कूली शिक्षा में अप्रासंगिक लग सकते हैं, लेकिन वास्तव में वे समग्र विकास में योगदान करते हैं। प्रधानमंत्री ने माता-पिता और शिक्षकों से आग्रह कियाकि वे बच्चों को कठोर शैक्षणिक माहौल में सीमित न रखें, क्योंकि इससे उनका विकास रुक जाता है। उन्होंने कहाकि बच्चों को एक खुले माहौल और ऐसी गतिविधियों की ज़रूरत होती है, जिनका वे आनंद लें, जो बदले में उनकी पढ़ाई को बढ़ाती हैं। उन्होंने कहाकि परीक्षाएं जीवन में सबकुछ नहीं हैं, इस मानसिकता को अपनाने से परिवारों और शिक्षकों को समझाने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहभी स्पष्ट कियाकि वे किताबें नहीं पढ़ने का समर्थन नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने जितना संभव हो उतना ज्ञान प्राप्त करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि परीक्षाएं सबकुछ नहीं हैं और ज्ञान तथा परीक्षाएं दो अलग-अलग चीज़ें हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि लोग अक्सर उन्हें दी गई सलाह पर सवाल उठाते हैं, सोचते हैंकि ऐसा क्यों कहा गया और क्या यह उनकी कमियों को दर्शाता है, यह मानसिकता दूसरों की मदद करने की व्यक्ति की क्षमता में बाधा डालती है। उन्होंने इसके बजाय दूसरों में अच्छे गुणों को पहचानने की सलाह दी जैसे-अच्छा गाना या साफ-सुथरे कपड़े पहनना और इन सकारात्मक गुणों पर चर्चा करना वास्तविक रुचि दिखाता है और तालमेल बनाता है। नरेंद्र मोदी ने दूसरों को साथ अध्ययन करने केलिए आमंत्रित करके सहायता प्रदान करने का सुझाव दिया। उन्होंने लिखने की आदत विकसित करने के महत्व पर जोर देते हुए कहाकि जो लोग लिखने की आदत विकसित करते हैं, वे अपने विचारों को प्रभावी ढंग से व्यक्त कर सकते हैं। अहमदाबाद में एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहाकि एक बच्चे को पढ़ाई पर ध्यान नहीं देने के कारण स्कूल से निकाला जाने वाला था, मगर उस बच्चे ने टिंकरिंग लैब में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और रोबोटिक्स प्रतियोगिता जीती, जिससे उसकी अनूठी प्रतिभा का पता चला।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि बच्चों की अनूठी प्रतिभाओं, शक्तियों को पहचानना और उन्हें अधिक विकसित करने में शिक्षक की भूमिका है। नरेंद्र मोदी ने आत्मचिंतन और संबंधों को समझने केलिए एक प्रयोग का प्रस्ताव रखा। उन्होंने बचपन के 25-30 दोस्तों को याद करने और उनके माता-पिता के नाम सहित उनके पूरे नाम लिखने का सुझाव दिया, यह अभ्यास अक्सर यह बताता हैकि हम उन लोगों के बारे में कितना कम जानते हैं, जिन्हें हम करीबी दोस्त मानते हैं। प्रधानमंत्री ने लोगों में सकारात्मक गुणों की पहचान करने और दूसरों में सकारात्मकता खोजने की आदत विकसित करने केलिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहाकि यह अभ्यास व्यक्तिगत विकास केलिए फायदेमंद होगा। प्रधानमंत्री ने एक छात्र द्वारा समय प्रबंधन के बारेमें पूछे जाने पर कहाकि हर किसीके पास दिन में 24 घंटे होते हैं, फिरभी कुछ लोग बहुत कुछ हासिल कर लेते हैं, जबकि अन्य को लगता हैकि कुछ हासिल नहीं हुआ। उन्होंने समय प्रबंधन के महत्व पर कहाकि बहुत से लोगों को यह समझ नहीं हैकि अपने समय का प्रभावी ढंग से उपयोग कैसे किया जाए। प्रधानमंत्री ने समय का ध्यान रखने, विशिष्ट कार्य निर्धारित करने और प्रतिदिन प्रगति की समीक्षा करने की सलाह दी। उन्होंने चुनौतीपूर्ण विषयों से बचने के बजाय उनपर ध्यान केंद्रित करने के महत्व पर भी जोर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उदाहरण दियाकि कैसे सबसे पहले उस विषय को उठाया जाए जो आपको कठिन लगता है और उसका डटकर सामना किया जाए, इन चुनौतियों को दृढ़ संकल्प केसाथ लेने से व्यक्ति बाधाओं को दूर कर सकता है और सफलता प्राप्तकर सकता है। परीक्षा के समय विभिन्न विचारों, संभावनाओं और प्रश्नों के कारण होनेवाले तनावों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने कहाकि छात्र अक्सर खुद को सही तरह से नहीं जानते हैं और दोस्तों केसाथ बातचीत में लगे रहते हैं, पढ़ाई न करने के बहाने बनाते हैं। उन्होंने कहाकि इन आम बहानों में बहुत थक जाना या मूड न होना शामिल है। प्रधानमंत्री ने इस बातपर प्रकाश डालाकि फोन सहित इसी तरह की अन्य वस्तुएं ध्यान केंद्रित करने और शैक्षणिक प्रदर्शन में बाधा डालते हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि सबसे मूल्यवान चीज वर्तमान क्षण है, एकबार जब यह बीत जाता है तो यह चला जाता है, लेकिन अगर इसे पूरी तरह से जिया जाए तो यह जीवन का हिस्सा बन जाता है। उन्होंने सचेत रहने और प्रत्येक पल की सराहना करने के महत्व पर प्रकाश डाला जैसे हल्की हवा को महसूस करना। अपनी पढ़ाई का प्रबंधन करते हुए चिंता और अवसाद से निपटने के विषय पर नरेंद्र मोदी ने कहाकि अवसाद की समस्या अक्सर परिवार से अलग होने और धीरे-धीरे सामाजिक संपर्कों से दूर होनेसे शुरू होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंतरिक दुविधाओं को बढ़ने से रोकने केलिए उन्हें खुलकर व्यक्त करने के महत्व पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने पारंपरिक पारिवारिक संरचना पर प्रकाश डाला, जहां परिवार के सदस्यों केसाथ खुला संचार दबाव मुक्त करने वाले वाल्व के रूपमें कार्य करता है, इस प्रकार का दबाव भावनात्मक निर्माण को रोकता है। उन्होंने बतायाकि कैसे उनके शिक्षकों ने उनकी लिखावट को सुधारने केलिए कड़ी मेहनत की, जिसने उन्हें गहराई से छुआ और शिक्षकों की वास्तविक देखभाल के प्रभाव पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह देखभाल और ध्यान एक छात्र की भलाई और शैक्षणिक प्रदर्शन को बहुत प्रभावित कर सकता है। नरेंद्र मोदी ने बच्चों पर कुछ खास करियर चुनने केलिए माता-पिता के दबाव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहाकि माता-पिता की अपेक्षाएं अक्सर अपने बच्चों की दूसरों से तुलना करने से उत्पन्न होती हैं, जो उनके अहम और सामाजिक स्थिति को ठेस पहुंचा सकती हैं। उन्होंने माता-पिता को सलाह दीकि वे अपने बच्चों को हर जगह मॉडल के रूपमें न दिखाएं, बल्कि उनकी खूबियों को प्यार करें और स्वीकार करें। उन्होंने कहाकि हर बच्चे में अनोखी प्रतिभा होती है।
नरेंद्र मोदी ने माता-पिता को अपने बच्चों की खूबियों को पहचानने और उन्हें विकसित करने केलिए प्रोत्साहित किया, भले ही वे अकादमिक रूपसे इच्छुक न हों। उन्होंने कौशल विकास के महत्व पर जोर देते हुए कहाकि अगर वे प्रधानमंत्री नहीं होते तो वे कौशल विकास विभाग चुनते। नरेंद्र मोदी ने कहाकि अपने बच्चों की क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करके माता-पिता दबाव को कम कर सकते हैं और उन्हें आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने बतायाकि कैसे अलग-अलग ध्वनियों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित करने से एकाग्रता हासिल करने में मदद मिल सकती है। उन्होंने साझा कियाकि प्राणायाम जैसी श्वास क्रियाओं का अभ्यास करने से एक अलग तरह की ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है, जो चिंता को प्रबंधित करने में मदद करती है। प्रधानमंत्री ने दोनों नथुनों से सांस लेने को संतुलित करने की एक तकनीक प्रदान की, जो कुछ क्षणों में शरीर को नियंत्रण में ला सकती है। उन्होंने उल्लेख कियाकि किस प्रकार ध्यान और श्वास नियंत्रण के बारेमें सीखना तनाव को कम कर सकता है और ध्यान केंद्रित करने में मदद कर सकता है। प्रधानमंत्री ने सकारात्मक बने रहने और छोटी-छोटी जीत में खुशी खोजने की चिंता पर प्रकाश डालाकि कभी-कभी लोग अपने विचारों या दूसरों के प्रभाव के कारण नकारात्मक हो जाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक छात्र से बातचीत की, जिसने 10वीं कक्षा में 95 प्रतिशत अंक प्राप्त करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन 93 प्रतिशत अंक प्राप्त किए, जिससे वह निराश हो गया था, प्रधानमंत्री ने इसे एक सफलता माना और उच्च लक्ष्य निर्धारित करने केलिए छात्र को बधाई दी। उन्होंने इस बात पर जोर दियाकि लक्ष्य महत्वाकांक्षी होने केसाथ-साथ यथार्थवादी भी होने चाहिए, छात्रों को उपलब्धियों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने, अपनी ताकत को समझने और लक्ष्य के करीब पहुंचने केलिए किएगए प्रयासों की सराहना करने केलिए प्रोत्साहित किया। परीक्षाओं के दौरान अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने पर प्रधानमंत्री ने कहाकि यह प्राथमिक मुद्दा छात्रों केसाथ कम और उनके परिवारों केसाथ अधिक है, कई माता-पिता अपने बच्चों पर इंजीनियरिंग या चिकित्सा जैसे विशिष्ट करियर को अपनाने केलिए दबाव डालते हैं, जबकि बच्चे की रुचि कला जैसे क्षेत्रों में होती है, यह निरंतर दबाव बच्चे के जीवन को तनावपूर्ण बना देता है। उन्होंने माता-पिता से अपने बच्चों की क्षमताओं और रुचियों को समझने और पहचानने, उनकी प्रगति की निगरानी करने और सहायता प्रदान करने का आग्रह किया, उदाहरण केलिए यदि कोई बच्चा खेलों में रुचि दिखाता है तो माता-पिता को उन्हें खेल कार्यक्रम देखने केलिए लेजाकर प्रोत्साहित और प्रेरित करना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षकों से ऐसा माहौल बनाने से बचने का आग्रह किया, जहां केवल शीर्ष प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर ध्यान दिया जाता है, जबकि अन्य को नज़रअंदाज कर दिया जाता है। नरेंद्र मोदी ने छात्रों की तुलना न करने और प्रत्येक बच्चे की अनूठी क्षमताओं को प्रोत्साहित करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने छात्रों को सुधार केलिए प्रयास करने और अच्छा प्रदर्शन करने की याद दिलाई, लेकिन यहभी स्वीकार कियाकि जीवन में पढ़ाई ही सबकुछ नहीं है। प्रधानमंत्री ने सलाह दीकि कभीभी खुदको अलग-थलग न रखें और विचारों को साझा करने तथा परिवार या वरिष्ठों से प्रेरणा लें। उन्होंने आत्मविश्वास बढ़ाने और उपलब्धि की भावना का आनंद लेने केलिए 10 किलोमीटर साइकिल चलाने जैसे छोटे-छोटे लक्ष्यों केसाथ खुदको चुनौती देने का सुझाव दिया। नरेंद्र मोदी ने कहाकि खुद केसाथ ये छोटे-छोटे प्रयोग व्यक्तिगत सीमाओं को दूर करने और अतीत को भुलाकर वर्तमान में जीने में मदद करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि उन्हें लोगों से प्रेरणा मिलती है, खासकर 140 करोड़ भारतीयों से। उन्होंने साझा कियाकि जब उन्होंने परीक्षा पे चर्चा लिखी तो अजय जैसे लोग अपने गांवों में इसे अपनी कविता में बदल रहे हैं, इससे उन्हें लगता हैकि उन्हें इस तरह के काम जारी रखने चाहिए, क्योंकि हमारे आस-पास प्रेरणा के कई स्रोत हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सलाह दीकि केवल सुबह जल्दी उठने जैसी सलाह पर विचार करना क्रियांवयन के बिना पर्याप्त नहीं है। उन्होंने सीखे गए सिद्धांतों को व्यावहारिक रूपसे लागू करने और व्यक्तिगत प्रयोग के माध्यम से खुदको निखारने के महत्व पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने बतायाकि खुदको प्रयोगशाला बनाकर और इन सिद्धांतों का परीक्षण करके कोई व्यक्ति वास्तव में उन्हें आत्मसात कर सकता है और उनसे लाभ उठा सकता है। नरेंद्र मोदी ने इस बातपर प्रकाश डालाकि अधिकांश लोग खुदसे नहीं, बल्कि दूसरों से प्रतिस्पर्धा करते हैं, अक्सर खुदकी तुलना उन लोगों से करते हैं, जो शायद कम सक्षम हों, जिससे निराशा होती है। उन्होंने कहाकि खुद से प्रतिस्पर्धा करने से अटूट आत्मविश्वास पैदा होता है, जबकि खुद की तुलना दूसरों से करने से निराशा होती है। नरेंद्र मोदी ने असफलता से कैसे उबरें विषय पर कहाकि भले ही 30-40 प्रतिशत छात्र अपनी 10वीं या 12वीं कक्षा में असफल हो जाएं, लेकिन जीवन समाप्त नहीं होता। उन्होंने यह तय करने के महत्व पर जोर दियाकि जीवन में सफल होना है या केवल पढ़ाई में। उन्होंने असफलताओं को अपना शिक्षक बनाने की सलाह देते हुए क्रिकेट का उदाहरण दिया, जहां खिलाड़ी अपनी गलतियों की समीक्षा करते हैं और सुधार केलिए प्रयास करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीवन को केवल परीक्षाओं के नजरिए से नहीं, बल्कि समग्र रूपसे देखने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि दिव्यांग व्यक्तियों में अक्सर असाधारण ताकत होती है और हर किसी की अपनी अलग क्षमताएं होती हैं। उन्होंने केवल शैक्षणिक उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय इन शक्तियों पर काम करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि लंबे समय में सफलता की कहानी किसी व्यक्ति के जीवन और योग्यता से ही तय होती है, न कि केवल अकादमिक अंकों से। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दियाकि हम सभी भाग्यशाली हैं और खासकर ऐसे युग में जब तकनीक व्यापक और प्रभावशाली है तो ऐसे समय में तकनीक से दूर भागने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहाकि इसके बजाय व्यक्तियों को यह निर्धारित करना चाहिए कि क्या वे अपना समय गैर-उत्पादक गतिविधियों पर खर्च करते हैं या अपनी रुचियों में गहराई से उतरते हैं, ऐसा करने से तकनीक विनाशकारी शक्ति के बजाय एक ताकत बन जाएगी। नरेंद्र मोदी ने कहाकि समाज की बेहतरी केलिए शोधकर्ता और नवाचारी तकनीक विकसित करते हैं। उन्होंने लोगों से तकनीक को समझने और उसका बेहतर उपयोग करने का आग्रह किया। किसी भी कार्य में अपना सर्वश्रेष्ठ देने के बारेमें पूछे जाने पर नरेंद्र मोदी ने निरंतर सुधार के महत्व पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवार की सलाह या व्यक्तिगत हितों केबीच चयन करने की दुविधा पर कहाकि परिवार के सुझावों को स्वीकार करना और फिर उनकी सलाह के अनुसार आगे बढ़ने के तरीके पूछकर और उनकी सहायता मांगकर उन्हें विश्वास दिलाना महत्वपूर्ण है। छात्रों ने समय पर अपने परीक्षा पेपर पूर्ण नहीं करने की आम समस्या पर चर्चा की, जिससे तनाव और दबाव पैदा होता है, प्रधानमंत्री ने इससे निपटने केलिए संक्षिप्त उत्तर लिखने और समय का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने के तरीके सीखने केलिए पिछली परीक्षा के प्रश्नपत्रों का गहन अभ्यास करने की सलाह दी। उन्होंने उन प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित करने के महत्व पर प्रकाश डाला, जिनमें अधिक प्रयास की आवश्यकता होती है, कठिन या अपरिचित प्रश्नों पर बहुत अधिक समय खर्च नहीं करने की सलाह दी और कहाकि नियमित अभ्यास से परीक्षा के दौरान बेहतर समय प्रबंधन में मदद मिलती है। प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन पर गंभीरता से विचार करने केलिए युवा पीढ़ी की सराहना की। उन्होंने मिशन लाइफ (पर्यावरण केलिए जीवनशैली) का उल्लेख किया, जो प्रकृति की रक्षा और पोषण करने वाली जीवनशैली को बढ़ावा देता है। उन्होंने भारत में सांस्कृतिक विधियों को साझा किया जैसे धरती माता से क्षमा मांगना और पेड़ों और नदियों की पूजा करना, जो प्रकृति के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने एक पेड़ माँ के नाम अभियान पर भी प्रकाश डाला, जो लगाव और स्वामित्व की भावना को बढ़ावा देती है, जिससे प्रकृति की सुरक्षा होती है। प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों और परीक्षार्थियों को सफलता केलिए शुभकामनाएं एवं बधाई दी।