स्वतंत्र आवाज़
word map

कश्मीर में राष्ट्रवाद का पुनर्जागरण-उपराष्ट्रपति

श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय के दीक्षांत पर मेधावी सम्मानित

'जम्मू और कश्मीर में अलगाववाद से एकीकरण की नई यात्रा शुरू'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 15 February 2025 05:52:00 PM

meritorious students honored in the convocation of shri mata vaishno devi university

कटरा (जम्मू कश्मीर)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा हैकि जम्मू-कश्मीर में बदलाव सिर्फ एक क्षेत्रीय घटना नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रवाद के पुनर्जागरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहाकि कश्मीर घाटी में शांति और प्रगति की ये पहलें अनुकरणीय हैं, आइए हम जम्मू कश्मीर केलिए एक नई सुबह के निर्माता बनें। उपराष्ट्रपति ने आज जम्मू कश्मीर के कटरा में श्रीमाता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह में मेधावियों को संबोधित और सम्मानित किया। उन्होंने इस अवसर पर उल्लेख कियाकि लोकसभा चुनाव-2024 के दौरान सबसे अधिक मतदान करने वालों में जम्मू कश्मीर के लोगों की भागीदारी रही। उपराष्ट्रपति ने कहाकि यहां जमीनी हकीकत बदल रही है, लोगों की उम्मीदें बढ़ रही हैं, केवल दो वर्ष में ही जम्मू कश्मीर को 65000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं, जो इस क्षेत्रमें मजबूत आर्थिक विकास का संकेत है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि ऐतिहासिक फैसले धारा 370 के समाप्त होने केबाद पहलीबार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के जरिए जम्मू कश्मीर में कई अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों ने रुचि दिखाई है और यह क्षेत्र विश्वास और पूंजी का संगम है। जगदीप धनखड़ ने कहाकि यहां भावी पीढ़ियों की आकांक्षाओं को तब पंख मिले, जब अलगाव की संवैधानिक दीवारें ढह गईं। उन्होंने कहाकि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था, भारतीय संविधान के निर्माता बाबासाहेब डॉ भीमराव आम्बेडकर ने इसका मसौदा तैयार करने से इनकार कर दिया था, देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने अधिकांश रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत कर लिया था, किंतु जम्मू-कश्मीर को एकीकृत करने में असमर्थ रहे थे, परंतु वर्ष 2019 से जम्मू कश्मीर में ‘अलगाववाद से एकीकरण’ एक नई यात्रा शुरू हुई। उपराष्ट्रपति ने कहाकि यहां बड़ी संख्या में पर्यटकों के आने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को जबरदस्त बढ़ावा मिला है और यह धरती का स्वर्ग अब आशा और समृद्धि का प्रतीक है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि राष्ट्रवाद हमारी पहचान है, हमेशा राष्ट्रीय हित को ऊपर रखना हमारा सर्वोच्च कर्तव्य है और कोईभी राजनीतिक या व्यक्तिगत हित राष्ट्रीय हित से बड़ा नहीं हो सकता है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि हर व्यक्ति के कुछ कर्तव्य होते हैं, हमारी संस्कृति हमें सिखाती हैकि हमारे कर्तव्य क्या हैं और हमें अपने नागरिक कर्तव्यों का पूरी लगन से निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने कहाकि हमें विकसित भारत की ओर अपनी यात्रा को तेज़गति से आगे बढ़ाना है, इस दिशामें एक महत्वपूर्ण कदम दंड विधान से न्याय विधान की ओर परिवर्तन है-औपनिवेशिक मानसिकता को तोड़ना। जगदीप धनखड़ ने कहाकि भारत को निवेश और अवसर के एक पसंदीदा गंतव्य के रूपमें वैश्विक स्तर पर सराहा जा रहा है। उन्होंने यह भी कहाकि स्वतंत्रता केबाद से हमारे इतिहास में पहले कभीभी किसी भारतीय प्रधानमंत्री की आवाज़ केसाथ विश्व के नेताओं केसाथ गूंजायमान नहीं हुई है। दीक्षांत समारोह में केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, जम्मू-कश्मीर की शिक्षा मंत्री सकीना मसूद और गणमान्य नागरिक मौजूद थे।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]